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द्वारकाधीश
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द्वित्रा
चन्द्रमा, कर्पूर, गरुड़, द्विजों का स्वामी । द्विजप्रया - संज्ञा, स्त्री० (सं०) वृक्षों का थाला
या भालबाल !
तीर्थ या नगर, द्वारावती, द्वारिका । " द्वारका | द्विजपति--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्राह्मण, के नाथ द्वारका के पठवत हौ ।” द्वारकाधीश - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रीकृष्ण द्वारका में श्रीकृष्ण की मूर्ति, द्वारकेश । द्वारकानाथ – संज्ञा, पु० (सं०) श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण की मूर्ति ( द्वारका में ) । द्वार पूजा -संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दरवाज़ा - चार, द्वाराचार, दुवाराचार |
द्विजप्रिया -- संज्ञा, त्रो० यौ० (सं०) सोमलता या सोमवल्ली । द्विजबन्धु- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कुत्सित या निंदित ब्राह्मण, ब्राह्मण ।
द्वारवती, द्वारावती, द्वारिका संज्ञा, स्रो० (सं०) द्वारका नगर ( गुजरात ) |
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द्विजराज - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चन्द्रमा, कर्पूर, ब्राह्मण, गरुड़, द्विजों का राजा । नाम द्विजराज काज करत कसाई द्विजवर्य द्विजवर्य - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रेष्ठ या उत्तम ब्राह्मण, द्विजश्रेष्ठ | द्विजब्रुव - संज्ञा, पु० (सं०) कहने या जाति मात्र का ब्राह्मण, नीच ब्राह्मण । द्विजाति- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अर्थात् जनेऊ पहनने वाले, दाँत । द्विजातीय-- वि० यौ० (सं०) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तीन वर्ण सम्बन्धी । द्विजालय - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ब्राह्मण का घर, पक्षियों का घोसला । द्विजिह्न - वि० यौ० (सं०) दो जीभों वाला, दुष्ट, खल, चुगलखोर, सर्प । "द्विजिह्नः पुनः सोऽपि ते कंठभूषा – श० । द्विजेंद्र द्विजेश- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) द्विजपति, द्विजराज, ब्राह्मण, चन्द्रमा, गरुड़ | द्विजात्तम-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रेष्ठ ब्राह्मण, गरुड़, द्विजश्रेष्ठ ।
द्वारसमुद्र - संज्ञा, पु० (सं०) दक्षिण का एक प्राचीन. प्रसिद्ध नगर |
द्वारा - संज्ञा, पु० दे० (सं० द्वार) द्वार, दरवाङ्गा । अव्य० दे० ( सं० द्वारात्) जरिये या से I
साधन
)
द्वारी* - संज्ञा, स्त्री० ( सं० द्वारे + ई - प्रत्य० छोटा द्वार या दरवाज़ा । वि० - द्वारयुक्त । दुधारी (दे० ) ।
द्वि - वि० (सं०) दो, दु । द्विक द्वैक - वि० (सं०) दो अवयव वाला, दोहरा, दो । "पाये घरी ट्रैक मैं जगाइ लाइ ऊधौ तीर" – ऊ० श० ।
द्विकर्म, द्विकर्मक- वि० यौ० (सं० ) वह सकर्मक क्रिया जिसमें दो कर्म हों (व्या० ) । द्विकल - संज्ञा, पु० यौ० (सं० द्वि + कला ) दो मात्रा का (पिं० ) । द्विगु-संज्ञा, पु० (सं०) एक समास जिसका पूर्व पद संख्यावाची हो (व्या० ) । द्विगुण - वि० सं०) दूना, दोगुना, दुगुना, दुगुन, दूगुन (ग्रा० ) 1 द्विगुणित - वि० (सं०) दूना, दो गुना । द्विज-संज्ञा, पु० (सं० ) दोबार उत्पन्न । संज्ञा, पु० (सं०) पक्षी, कीड़े, अंडे से उत्पन्न जीव, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, जो जनेऊ पहनते हैं, चंद्रमा, दाँत । " निपटहि द्विज करि जानेसि मोंहीं ". - रामा० । द्विजन्मा - वि० यौ० (सं० द्विजन्मन् ) नो दोबार उत्पन्न हुआ हो, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, पक्षी, कीड़े अर्थात् अंडज, दाँत ।
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द्विज्या - संज्ञा, त्रो० (सं०) ज्योतिष की एक रेखा ।
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द्वितय - वि० सं०) दो, युग्म । द्वितीय - वि० (सं०) दूसरा स्रो० द्वितीया । द्वितीया - संज्ञा, स्त्री० (सं०) दूज तिथि । द्वितीयांत - वि० यौ० (सं० ) जिम शब्द के अंत में कर्म कारक या द्वितीया विभक्ति का प्रत्यय हो ( व्या० ) । द्वित्रा - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) दो अथवा तीन, दो तीन ।
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