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दोषनाश
दोहरा -प्रेत्य० ) ऐब या अपराध लगाना, कलंक दोस्ताना - संज्ञा, पु. (फ़ा०) मित्रता, मित्रता या लांछन देना।
का व्यवहार । वि. मित्रता का। दोषनाश-संज्ञा, पु० यो० (सं०) पापमोचन, दोस्ती-संज्ञा, स्त्री० [फा०) स्नेह मित्रता,प्रेम।
अपवाद हरण । वि० दोषनाशक । दोह-संज्ञा, पु० दे० (सं० द्रोह) बैर, शत्रुता। दोषभाक-संज्ञा, पु. या० ( सं० ) अपराधी, हगा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दुभगा ) ऐबी, निन्दा के योग्य।
रखी हुई स्त्री. उपपत्नी, सुरैतिन । दोष-मार्जन-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दोष दूर दाहता, दुहेता- संज्ञा, पु० दे० (सं० दौहित्र) करना, शुद्ध करना।
नाती, नवासा : स्त्री० दोहनी, दुदेती। दोषा-संज्ञा, स्त्री० [सं०) रात्रि, निशा, रजनी, दोहत्थड-- संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० दा-+संध्या, प्रदोष, प्रदोषा।
हाथ ) दोनों हाथों से मारा जाने वाला, दोषातन-वि० (सं०) निशाजात, रात्रिभाव।। थप्पड़ श्रादि। दोषादोष-संज्ञा, पु. यो. ( सं० ) भलाई. दोहत्था दुहत्था-क्रि० वि० यौ० दे० (हि. बुराई, गुण-दोष ।
दो हाथ ) दोनों हाथों के बल या द्वारा, दोषारोपण- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ऐब, दोनों हाथों से । वि० दे० जो दोनों हाथों अपराध, कलंक, लांछन लगाना।
के द्वारा हो । स्त्री. दोहत्थी. दुहत्थी। दोषावह- वि० ( सं० ) दोष-उत्पादक, दोहद -- संज्ञा, पु० (२०) गर्भिणी की इच्छा दोषोत्पन्न, दोष का धारण करने वाला।
या अभिलाषा, गर्भावस्था, गर्भ-चिन्ह, सुन्दरी दोषिन, दोखिना-संज्ञा, स्त्री० (हि. दोषी) नायिका के छूने से प्रियंगु, पान की पीक अपराधिनी, पापिनी, कलंकिनी।
डालने से मौलसिरी, लात मारने से अशोक, दोषी--संज्ञा, पु० (सं० दोषिन ) अपराधी,
देखने से तिलक, मीठा गाने से ग्राम, नाचने कलंकी, पापी, अभियुक्त, दोसी (दे०)।
से कचनार फालता है यही उनका दोहद दोषैकक-वि० यौ० (सं०) दोषदर्शी, दोष
है। '' उपेत्य सा दोहद-दुःख शीलताम" देखने वाला, छिद्रान्वेषक ।
"सुदक्षिणा दोहदलक्षणं दधौ' । --- रघु० । दोस-संज्ञा, पु० दे० ( सं० दोष ) ऐब,
दाहदवती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गर्भवती स्त्री। अपराध, दोष । संज्ञा, पु. (दे०) दोस्त
दोहन--संज्ञा, पु० (सं०) दुहना, दोहनी । (फा० ) । संज्ञा, स्त्री० (दे०) दोसतो।।
दोहना* -- स० क्रि० दे० (सं० दूषण ) दोष दोसदारी*--संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० दोस्त
या कलंक तथा अपराध लगाना, तुच्छ
ठहराना, द्रोह करना. दुहना। दारी) मित्रता, दोस्ती।
दोहनी, दाहिनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) दुध दोसरा-- संज्ञा, पु. (दे०) दूसरा, साथी।
दुहने का पात्र, दूध दुहने का कार्य या कर्म, दोसाद-संज्ञा, पु० (दे०) धानुक, धानुख,
धारणे गिरवर, दोहनी, धारत वाँह डुमार, दुसाद, अछूत जाति विशेष ।
पिराय"--सूर० दोसाला-वि० यौ० ( हि० दो + साल = दोहर- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दो+धरी = तह वर्ष ) दो वर्ष का । संज्ञा, पु० (दे०) दुशाला, | दो परत की चादर या दुपट्टा । पशमीना।
दोहरना--अ० क्रि० दे० (हि. दोहरा) दोहर दोसूतो-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (हि. दो+सूत होना, दुबारा होना। स० कि. (दे०) दोहर
दो तही, दो सूत का मोटे कपड़े का बिछौना। करना । दोस्त-संज्ञा, पु०(फा०) मित्र, साथी, स्नेही। | दोहरा-वि० पु. दो। (हि. दोन हरा
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