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दुलहन-दुलहिन
दुश्मनी दुलहन-दुलहिन - दुलहिया - दुलही- दुवारा-- संज्ञा, पु० (दे०) द्वार। अव्य० (दे०) संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० दुलहा ) हाल की द्वारा । वि० (दे०) दुवारी (यौ० में )। व्याही हुई वधू, नवविवाहिता स्त्री। "जेठी दुवाल-संज्ञा, स्त्री० फ़ा०) पैकड़ों में लगा पठाई गई दुलही" -- मतिः । “जेहि मंडप हुआ चौड़ा नीता। दुलहिन वैदेही"- रामा० ।
| दुवाली-संज्ञा, स्त्री० (दे०) रंगे कपड़ों में दुलहा-संज्ञा, पु० दे० (सं० दुर्लभ ) दूलह, चमक लाने वाला घोंटा । संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) दूल्हा (दे०), नवविवाहित पुरुष । “दुलहा चमड़े की पेटी या कमरबंद, द्वाली (दे०)। देखि बरात जुड़ानी"-रामा० । | दुविधा-संज्ञा, स्त्री० (हि. दुबिधा) दुविधा, दुलहेटा-दुलेहटा-संज्ञा, पु० दे० (प्रा० दुरंगी दुविधि लो०--- "दुविधा में दोनों दुल्लह ---हि. बेटा) प्यारा, दुलारा, लाडिला गये माया मिली न राम ।' " उभय सनेहु पुत्र या लड़का।
दुविध मति घेरी रामा० । दुलाई-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० तूल ) थोड़ी दुबे-संज्ञा, पु० दे० ( सं० द्विवेदी ) द्विवेदी, रुई भरी हलकी रजाई। " उतरी न उनके ब्राह्मणों की एक जाति । रुख से दुलाई तमाम रात।"
दुवै, दुवोच-वि० दे० ( हि० दुव - दो ) दुलाना-स० क्रि० दे० (हि. डुलाना) दोनों, द्वै।
डुलाना, हिलाना, श्रागे-पीछे हटाना। दुशमन-दुसमन--संज्ञा, पु० दे० (फा० दुलार-संज्ञा, पु० दे० (हि. दुलारना) दुश्मन ) बैरी, शत्रु । " दुसमन दावागीर प्यार, प्रेम, लाड़, स्नेह ।।
होय"-गिर० । दुलारना-- स० क्रि० दे० (सं० दुर्लालन ) दुशवार-वि० ( फ़ा० ) मुश्किल, कठिन ।
प्यार या लाड़ करना, प्रेम करना, फुसलाना।। ( संज्ञा, स्त्री० दुशवारी)। दुलारा- वि० दे० (हि. दुलार ) लाडिला, दुशाला-संज्ञा, पु० दे० (सं० द्विशाट, फ़ा० प्यारा । ( स्रो० दुलारी)। " जैहै नाहि दोशाला ) किनारों पर बेलदार पशमीने की द्रुपद-दुलारी की उतारी सारी"-रसाल । चादरों का जोड़ा दुसाला। “सुवाला हैं दुलोही-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दो+लाहा)। दुशाला हैं विशाला चित्रशाला है " पद्मा० । एक भाँति की तलवार।
दुशासन-दुसासन --संज्ञा,पु० (सं० दुःशादुल्लम* - वि० दे० (सं० दुर्लभ ) दुर्लभ । सन) दुर्योधन का छोटा भाई, दुश्शासन । दुध - वि० ( सं० द्वि) दो। " तुलसी गंग “ झटकट सोऊ पट बिकट दुसासन है" दुवै भये ।"
- रत्ना० । दुवन-संज्ञा, पु० दे० ( सं० दुर्मनस् ) दुष्ट, दुश्चरित्र-वि० (सं०) बुरे चरित्र वाला, खल, शत्रु, राक्षस ।
कुचाली । संज्ञा, पु० बुरी चाल, दुराचार, दुवाज- संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार का घोड़ा। कुकर्म । ( स्त्री० दुश्चरित्रा)। दुवादस -वि० दे० यौ० ( सं० द्वादश) दुश्चरित्रता--संज्ञा, स्त्री. (सं०) कुचाल, बारह । संज्ञा, स्त्री० ( दे०) दुवादसी, कुव्यवहार, दुराचरण, दुराबार । दुवास (ग्रा.)।
दुश्चिकित्स्य-वि० (सं०) असाध्य रोग । दुवादसवनी*- वि० दे० यौ० (सं० द्वादश = ! दुश्चेष्टा --- संज्ञा, स्त्री० (सं०) बुरी चेष्टा, सूर्य + वर्ण) सूर्य सा चमकता हुआ, कांति ! कुचेष्टा । ( वि० दुश्चेष्टित, दुश्चेष्ट)।
या आभायुक्त, खरा सोना, बारहबानी का। दुश्मन-संज्ञा, पु० (फा०) बैरी, शत्रु । दुधारी- संज्ञा, पु० (सं० द्वार) द्वार, दरवाज़ा। दुश्मनी- संज्ञा, स्त्री० (फा०) शत्रुता, बैर।
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