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दुदल
दुनियासाज़ दुदल-संज्ञा, पु. यौ० दे० (सं० द्विदल ) | दुधिया-पत्थर-संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. दाल, करनफूल, वरना पेड़।।
दुधिया+ पत्थर ) गौरा पत्थर । दुदलाना-स. क्रि० (हि. दुतकारना ) |
दुधिया विष-संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. दुतकारना, तिरस्कार या अपमान करना,
दुधिया +-विष ) तेलिया विष, मीठा जहर, धिक्कारना।
सिंगिया विष, इसके पेड़ कश्मीर में हैं। दुदामी-संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (हि० दो+
दुधैल-वि० दे० (हि. दूध---ऐल-प्रत्य०) दाम ) मालवा का एक सूती कपड़ा।
दुधार, दुधारू। दुदिला-वि० दे० यौ० (हि. दो + फ़ा०
दुनवना *-अ. क्रि० दे० (हि. दो+ दिल ) दुचित्ता, चिंतित, व्यग्र, व्याकुल ।
नवना ) झुककर दोहरा हो जाना । स० क्रि० दुद्धी-सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दुग्धी ) दुधिया
मोड़ कर दोहरा करना। घास, दूधी।
दुनाली-वि० सी० दे० यौ० (हि. दो+ दुधमुख*- वि० दे० यौ० (हि. दूध+
नाली ) दो नालों वाली, जैसे--दोनाली मुख, सं० दुग्धमुख) दुधमुहाँ, दूध पीता बच्चा।
बंदूक । दुधमुहाँ-वि• द० यौ० ( सं० दुग्धमुख )
दुनियाँ- संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० दुनिया ) दुग्धमुख, दुधमुख, दूध पीता बच्चा।।
__ जगत, संसार, जहान । यो-दीनदुधहाँडा-दुधाँड़ी-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (सं० दुग्धहंडिका हि• दूध + हाँड़ी) दूध
दुनियाँ-लोक-परलोक। मुहा०-- दुनियाँ रखने का मिट्टी का बरतन, दुधहड़ी।।
के परदे पर-सारे जहान या संसार में ।
दुनिया की हवा लगना ( दुनिया दुधार-वि० दे० (सं० दुग्धधारिणी ) बहुत |
देखना)-लौकिक बातों का ज्ञान या दृध देने वाली गाय श्रादि, दुधारू (ग्रा०)।
अनुभव होना । दुनिया भर का-बहुत संज्ञा, स्त्री० वि० (दे० यो०) दुधारा, जिसमें
ज्यादा, सब से अधिक । संसार के लोग, दो धार हो, तलवार आदि। दुधारा-वि० यौ० दे० ( हि० दो+धार )
जनता, जगत का जंजाल या बखेड़ा, प्रपंच।
दुनियाई - वि० दे० (अ.दुनिया + ई-प्रत्य०) दो धार वाला प्रस्त्र, तलवार आदि । "लिहें दुधारा दक्खिन वाला चिरवाँ दुइ आँगुर की
लौकिक, सांसारिक । संज्ञा, स्त्री० (दे०) जगत, धार"-आल्हा०।
संसार । दुधारी-वि० स्त्री० दे० यौ० (हि. दूध+ दुनियादार-संज्ञा, पु. ( फ़ा० ) गृहस्थ, प्रार-प्रत्य) दध देने वाली। वि० स्त्री० । लौकिक झगड़ों में फंसा हुश्रा, प्रपंच या (हि. दो+धार ) जिसमें दो धार हों। ढोंग से कार्य सिद्ध करने वाला, व्यावहारिक (नदी), दो धार की तलवार आदि।
बातों में प्रवीण । दुधारू- वि० दे० यौ० (सं० दुग्धधारिणी) | दुनियादारी --संज्ञा, स्त्री. (फ़ा०) दुनिया के बहुत दूध देने वाली गाय । " लात खाय काम-काज, गृहस्थी का जंजाल, स्वार्थपुचकारिये, होय दुधारू धेनु"-वृं। साधन, बनावटी कार्य.लौकिक अवधार। दुधिया-दूधिया-वि० दे० (हि. दूध+ | दुनियाबी वि० ( फ़ा० ) संसार-सम्बन्धी, इया-प्रत्य०) जिसमें दूध मिला हो, दूधयुक्त,
लौकिक, व्यावहारिक । दुध के रंग का, सफ़ेद । संज्ञा, स्त्री० दे० दुनियासाज-वि. (फा०) प्रपंच से कार्य (सं० दुग्धिका ) दूधी घास, चरी, खड़िया सिद्ध करने वाला, चापलूस, स्वार्थ-साधक । मिट्टी, एक विष।
| संज्ञा, स्त्री० दुनिया साज़ी।
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