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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दिग्शूल दिखाव ८१८ दिखाव-संज्ञा, पु० दे० (हि. देखना+ | दिग्दाह -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्यास्त होने भाव-प्रत्य०) देखने का भाव या कार्या, पर दिशाओं का लाल और जलता हुआ नजारा, दृश्य । सा ज्ञात होना ( अपशकुन, अशुभ)। दिखापटी-वि० दे० (हि. दिखौमा) दिग्देवता-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दिग्पालु, दिखौश्रा, (ग्रा०) बनावटी, दिखाऊ। दिग्पति, दिग्देव । दिखावा-संज्ञा. पु० दे० ( हि० देखना --दिग्ध-वि० (सं०) विषाक्त, विष से बुझा आवा प्रत्य० ) बनावटी, ऊपरी शान । सा० तीर या बाण । भू० स० क्रि० (दे०) दिखाया। दिगपट-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दिगंबर, नङ्गा । दिखैया /-संज्ञा, पु० दे० (हि. देखना --- दिगपति--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दिगपाल | ऐया- प्रत्य० ) देखने या दिखाने वाला, दिग्पाल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दिक्पाल, देखैया (दे०)। दिङ्नाथ, दिक्पति । दिखौश्रा, दिखौधा-वि० दे० (हि. देखना दिगभ्रम-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दिशा भूल +औसा, प्रोवा-~-प्रत्य० ) बनावटी। संज्ञा, जाना । “जाको दिग्भ्रम होई खगेशा "पु० (दे०) देखने वाला। रामा। दिगंत--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दिशा का अंत, आँख का कोना। "दिगंत विश्रांतरथोहि दिग्भ्रमण--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दिग्पर्य्यतरसुतः "-रघु। टन, घूमना। दिगंतर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दो दिशाओं दिग्मंडल-दिमंडल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) के बीच की दिशा । " संचार पूतानि दिगं- | सब दिशाये, दिशा-समूह । तराणि "- (दे०) ()। दिग्गज-दिग्राज- संज्ञा. पु. यौ० (सं०) नेत्रों का अंतर। दिग्पाल, दिक्पति । दिगंतराल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) आकाश। दिग्वस्त्र-संज्ञा पु. यौ० (सं०) दिगंबर, दिगंबर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नङ्गा रहने | नङ्गा, शिव, दिग्बस्न दिगदुकूल । वाला, जैनों का एक भेद । वि० नङ्गा, नग्न । विश्वास-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) दिग्वसन, दिगंबरता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) नङ्गापन । नङ्गा, शिव। दिगंश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) क्षितिज, दिशा दिग्विजय-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) चारों का भाग । दिगंशयंत्र-संज्ञा, पु० यौ० पा० । श्रोर के राजाओं को युद्ध में हरा कर अपना (सं०) ग्रह या नक्षत्रों के दिगंश जानने का । . महत्व बैठाना। एक यंत्र (ख०)। दिग-संज्ञा, स्त्री. (सं०) दिशा, तरफ, भोर।। दिग्विजयी-वि० पु० यौ० (सं० दिग्विजय दिग्गज--संज्ञा, पु. यौ० (स०) दिशाओं के प्राप्त पुरुष, दिग्विजेतास्त्री० दिग्विजयिनी। हाथी । वि० (दे०) बहुत बड़ा या भारी। दिग्विभाग-- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) तरफ़, दिग्घ -वि० दे० (सं० दोघ) बड़ा, महंत। दिशा, ओर । "उदयति यदि भानुः पश्चिमे दिग्दति-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दिग्गज, दिग्विभागे"। दिङ्नाग, दिङमतंग। दिग्यापी-वि० चौ. (सं०) जो सब दिग्दर्शक यंत्र-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) ध्रव- दिशाओं में फैलाहो, दिग्व्याप्त।"दिव्यापी दर्शकयंत्र, कुतुबनुमा। है सुजस तुम्हारा " - राम० । स्त्री० दिग्दर्शन संज्ञा, पु० यौ० सं०) बानगी, दिग्व्यापिनी। नमूना, इंगितमात्र दिखाना, जानकारी। दिग्शूल---संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दिक्शूल। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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