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दाता
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दान दाता-संज्ञा, पु. (सं०) देने वाला, दान- फर्याद । “ सुनह हमारी दादि गुसाई" शील, दानी। “ कोउ न काहु कर सुख- -क०। दुख दाता'-रामा० । लोको०-"दाता दादी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दादा) बाप
से सूम भला जो जल्दी देय जवाब।" की माँ, दादा की स्त्री, पितामही। संज्ञा, पु. दातार-संज्ञा, पु. ( सं० दाता का बहु०) (फा० दाद) फर्यादी या न्याय चाहने वाला । दानी, दाता, देने वाला । " मंगलमय,
दादु-8-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दद्रु) कल्यानमय, अभिमत फल दातार"-रामा।
दाद रोग, दिनाई। दाती --संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० दात्री) देने
दादुर -संज्ञा, पु. दे. ( सं० ददुर ) भेक,
मेढ़क । “ दादुर धुनि चहुँ ओर सुहाई ” । वाली, दात्री।
-रामा० । दातुन-दातून-संज्ञा, स्त्रो० दे० (हि. दाँत +
दादू-संज्ञा, पु० दे० ( अनु० दादा) उन-प्रत्य०) नीम आदि की पतली टहनी
दादा, प्यार का शब्द. बड़ा भाई, धुनियाँ जिससे दाँत साफ करते हैं, दाँत साफ करने जाति का एक पंथ प्रवर्तक साधु, दादू
का कार्य, मुखारी, दतुइन, दतून, दतोन । दयाल-" सुन्दर के उर है गुरु दादू । दातृता, दातृत्व-संज्ञा, स्त्री० पु. (सं०) वदा- दादूपंथी-संज्ञा, पु० यौ० (हि. दादू + पंथी)
न्यता, दानशीलता, अकृपणता, दानशक्ति । दादू दयाल के मतानुयायी । संज्ञा, पु. दातौन-संज्ञा, स्त्री. ( हि० दाँत+अवनप्रत्य०)मुखारी, दातून, दात्यून, दात्योन । | दाध --संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० दाध ) दाह दात्यूह-संज्ञा, पु० (स.) पपीहा, चातक, जलन, कष्ट, ताप । “यहि न जाय जोवन के मेघ, बादल।
दाधा"--पद। दात्र-संज्ञा, पु. ( सं० दात्र) देने वाला, दाधना-१० क्रि० दे० (सं० दग्ध ) दाँती, हँसिया।
जलाना, तपाना, भस्म करना । " जैसे दात्री-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दान देने या करने । दाध्यो दूध को"-० । वाली।
दाधा-वि० पु० दे० (सं० दग्ध ) जला या दाद-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० दद्) चर्म-रोग, एक |
जलाया हुा । " प्रेम जो दाधा धनि वह
जीव"-पद। प्रकार का कुष्ट । संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) न्याय,
दाधिक-वि. (सं०) दधि मिथुन, दधिइंसान,प्रशंसा । मुहा०-दाद चाहना
संस्कृत वस्तु. दही, माठा, दही बड़े। किसी अन्याय के रोकने के लिये प्रार्थना
दाधी-वि० स्त्री० दे० ( सं० दग्ध ) जली या करना, प्रशंसा चाहना । दाद दना-न्याय
जलायी हुई । " मैं तो दाधी बिरह कीरे या इंसान करना, बदाई या प्रशंसा करना।
काहे कु औषद देय "-मीरा० । दादनी-संज्ञा, स्त्री. (फा०) जो धन देना
दाधीचि-संज्ञा, पु० (सं.) दधीचि के वंश हो, पहले से दिया गया धन, अगता।
या गोत्र का। दादरा-संज्ञा, पु० (दे०) एक गाना। | दान-सज्ञा, पु० (सं०) किसी वस्तु से अपना दादा-संज्ञा, पु० दे० (सं० तात ) स्वत्व हटा कर दूसरे का जमा देना 'स्वस्वस्व श्राजा। बाप का बाप, पितामह, बड़ा निबृत्य पर स्वत्वात्पादनम् दानम्"-माध०। भाई, बड़े बड़ों का आदर-सूचक शब्द । श्रद्धा और भक्ति से किसी को धन देना। स्त्री० दादी।
खैरात, दान दी गयी वस्तु, कर, महसूल । दादि-* संज्ञा, स्त्री० ( फा० दाद ) न्याय, । चुंगी, हाथी का मद, शत्रु के विरुद्ध कार्य
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