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दर्श
दरेरना
८५० दरेरना-स० कि० दे० ( सं० दरण ) पीसना, दर्दुर-संज्ञा, पु. (सं०) भेक, मेदक, बादल, रगड़ना, रगड़ते हुये धक्का देना।
अबरक, अभ्रक, भोडर, दादुर (दे०)। रेरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० दरण ) धक्का, दद्रु-संज्ञा, पु. (सं०) पामारोग, दादरोग। रगड़, चोट, पानी के बहाव का धक्का, दर्प- संज्ञा, पु. (सं०) अहंकार, अभिमान, धावा । " देत हैं दरेरे मोहिं खेरे घोलि
गर्व, मान, उदंडता, अक्खड़पन, रोब, कै कई "-दीन।
अातंक, धाक, दरप (दे०)। " कंदर्प-दर्प दरेस-संज्ञा, स्त्री० दे० ( अं० ड्रेस) फूलदार दलने विरला समर्थाः "- भर्तृ० । “रावण महीन कपड़ा। वि० (दे०) तैयार, दुरुस्त, के दर्प अर्प दीन्हें लोकपाल लोक "ठीक । संज्ञा, पु० (दे०)पोशाक, ड्रस (१०)।
मन्ना० । यौ०-दन्धि -- गर्व से अंधा । दरेसी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. दरेस) मरम्मत,
| दर्पक-संज्ञा, पु० (सं०) कामदेव, घमंडी। दुरुस्ती, ठीक-ठाक ।
दर्पण--संज्ञा, पु० (सं०) मुकुर, पारसी, दरैया-संज्ञा, पु० दे० (हि. दरना + ऐया
शीशा, दरपन (दे०) । “दुर्जन दर्पण से प्रत्य० ) दाल आदि का दरने वाला. नाशक,
सदा"-वृं० । दर्पणी-दरपनी (दे०)घातक । “दीननाथ दीन-दुख दारिद दरया |
संज्ञा, स्त्री० (दे०) छोटा दर्पण, शीशा । हो"-रसाल। दरोग-संज्ञा, पु. (अ०) असत्य, झूठ।।
दपणीय-वि० (सं०) सुन्दर, मनोहर, दिखदरोग हलफो-संज्ञा, स्त्री० यौ० (अ०) सत्य
नौट, उत्तम, श्रेष्ठ । कहने की सपथ खाकर भी झूठ बोलना।।
दी-वि० (सं.) अभिमानी,क्रोधी, आतंकी। दर्ज-संज्ञा, स्त्री० (हि. दरज ) दरार, दराज,
| दबे-संज्ञा, पु० दे० (सं० द्रव्य ) सम्पत्ति, छेद । वि० (फ़ा०) कागज पर लिखा हुश्रा ।
धन, द्रव्य, रुपया-पैसा, सोना-चाँदी । दर्जन-संज्ञा, पु० दे० (अं० डजन ) बारह
" अर्ब खर्ब लौं दर्ब है "-तु० । वस्तुओं का समूह ।
दर्भ - संज्ञा, पु. (सं०) डाभ, कुशा, कुश । दर्जा-संज्ञा, पु० (अ०) कक्षा, कोटि, श्रेणी, । दर्भासन-संज्ञा, पु० यो० (सं०) कुशासन,
वर्ग, पद, प्रोहदा, खंड । कि० वि०, गुना।। डाभासन, कुशों का बिछौना। दजिन-दराजन-सज्ञा, स्त्री० दे० (हि० दर्जी) | दर्रा- संज्ञा, पु० (फ़ा०) पर्वतों के मध्य का दजी की स्त्री।
संकीण मार्ग, घाटी, दरार। दर्जी-संज्ञा, पु० दे० (फा०) कपड़ा सीने | दर्राना-अ. क्रि० दे० (अनु० दड़ दड़) वाला, कपड़ा सीने वाली एक जाति । धड़धड़ाना, बेखटके या बेधड़क चला जाना, स्त्री० दर्जिन ।
दराज होना, फटना। दर्द-संज्ञा, पु० (फ़ा०) व्यथा, पीडा, दुख, दर्व- संज्ञा, पु० (सं०) हिंसक, राक्षस, एक करुणा, दया, हाथ से निकल जाने का कष्ट या दुख, दरद (दे०)। यौ०-दर्दशरीक दर्विका-संज्ञा, स्त्री. (सं०) चमचा, करछी,
-मित्र । संज्ञा, स्त्री० दर्दशरीकी । मुहा० साँप का फन । : --दर्द खाना ( आना )-कृपा या दया दर्वी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चमचा, करछी, साँप करना।
का फन। दर्दमन्द-वि० (फ़ा०) विपत्ति-ग्रस्त, दुखी, दर्वीकर- संज्ञा, पु० (स०) जिस साँप के फन पीड़ित, कृपालु।
| हो, काला साँप। दर्दी-वि० दे० (फ़ा०)दुखी, पीड़ित, दयालु। दर्श-संज्ञा, पु० (सं०) देखना, दर्शन,
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