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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तैराक ८५१ तोड़, तोड़ल तैराक - वि० (हि. तैरना+प्राक प्रत्य०) (हि. तोंद + ल, ईला, एल, ऐला-प्रत्य०) पैरने या तैरने वाला। बड़े पेट या तोंद वाला, तोंदिल । तैलंग-संज्ञा, पु० दे० ( सं० त्रिकलिंग ) दक्षिण | तोंदी--- संज्ञा, स्त्री० दे० सं० नाभि) नाभि । देश का एक प्रांत जहाँ की भाषा तिलगू है। | तोही- अव्य० (दे०) उसी समय, वक्त में, तैलंगा-संज्ञा, पु०दे० (हि. तैलंग) तैलंग देश- | त्योंही । सर्व० (दे०) तुझे, तोहि। निवासी, अंग्रेजी सेना का सिपाही, तिलंगा। तो -- सर्व० दे० (सं० तव) तेरा तव । ' कहा तैलंगी-संज्ञा, पु० दे० ( हि० तैलंग+ई. | भयो जो बीछुरे, तो मन मो मन साथ" --- प्रत्य० ) तैलंग देश वासी। संज्ञा, स्त्री० । वि० । अव्य० दे० ( सं० तदा) तब, तौ तैलंग देश की बोली या भाषा। (दे०) उसकी ऐसी अवस्था या दशा में । तैल-संज्ञा, पु० (सं०) तेल, चिकनाई, चिकना। तोइ. तोय -संज्ञा, पु० (सं० तोय )पानी, तैलचोरिका-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) तिल जल । चिहा, तैलया, एक चिड़िया। तोक-संज्ञा, पु० सं०) सन्तान, पुत्र, कन्या। तोकह-सवे० दे० (हि. तुझे) तुमको, तैलव-संज्ञा, पु. (सं०) तेल का भाव गुण । तुझको, तुझे, तोहि । "कहा कहाँ तोकहँ तैलया-संज्ञा, पु० (सं०) एक पक्षी। तैलमाली-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं०) बत्ती, नंदरानी जात न कछू कह्यो"-सूर० । तोख छ- संज्ञा, पु० दे० ( सं० तोष) संतोष, पलीता। प्रसन्नता, तोष । तैलाक्त-वि० (सं०) तेल-लगी वस्तु । तोटक-संज्ञा, पु० दे० (सं०) १२ वर्णों का तैलाभ्यंग-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देह में तेल एक छंद, टुटका (दे०)। लगाना। तोटका-- संज्ञा, पु० दे० (हि० टोटका) टोटका, तैलिनी-संज्ञा, स्त्री० ( हि० तेलिन ) तेलिन, टुटका, टोना। तेलिनी। तोड़-संज्ञा, पु० दे० ( हि० तोड़ना ) तोड़ने तैली-संज्ञा, पु० ( हि० तेली ) तेली, तेल का भाव, नदी या उसकी धारा का वेग या सम्बंधी, तेलमय । तीव्र बहाव, दूध या दही का पानी, तोर । तैश- संज्ञा, पु० (अ०) क्रोध, रिस, जोश । तक, लौं पर्यंत । यौ० जोड़-तोड़तैष-संज्ञा, पु. (सं० ) पौष या पूस का दाँव-पेंच, चाल, युक्ति। मुहा०-तोड़ महीना। डालना-नष्ट करना, फोड़ना । तोड़ देना तैषी- संज्ञा, स्त्री० (सं०) पौष मास की पूर्ण- ..-खींचना, फलफूल तोड़ना। मुँह तोड़ मासी। -विरुद्ध या कड़ा उत्तर । तैसा-वि० दे० ( सं० तादृश ) उस तरह का, | तोड़ना-स० कि० ( हि० टूटना ) टुकड़े या वैसा, तइस (ग्रा०), तैसो (ब०)। बल भाग करना, वस्तु के विभागों को उससे व०-तैसे। भिन्न या अलग करना, शरीर का कोई अंग तों -क्रि० वि० दे० ( हि० त्यों ) त्यों, इस | भंग या बेकाम कर देना, नयी भूमि हल से प्रकार। जोतना, सेंध करना, किसी को क्षीण, दुर्बल तोंअर--संज्ञा, पु० दे० (हि० तोमर) राजपूतों या कमजोर करना, किसी संगठन या कारकी एक जाति। बार को मिटा या नष्ट कर देना, प्रतिज्ञा या तोंद-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० तुंड ) पेट का प्रण या नियम भंग करना, मिटा देना, फूलापन । फोड़ना, तोरना। तोंदल - तोंदीला - तोंदैल- तोंदला-वि० | तोड़, तोड़ल-संज्ञा, पु० दे० ( हि० तोड़ा ) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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