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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - तानी ५२८ तामजान-तामजाम तानी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. ताना) कपड़े । तापहीन-वि० (सं० ) उष्णता-रहित । की बुनावट में लम्बाई के सूत । वि० तापा-संज्ञा, पु. ( हि० तोपना ) मुरगी गायक । स० क्रि० सा. भू. स्त्री (हि. का दरबा या निवास स्थान, ताप । तानना)। तापिच्छ- संज्ञा पु० (सं०) श्याम तमाल ताप-संज्ञा, पु० (सं० ) गरमी, उष्णता, | का पेड़ । " प्रफुल्लतापिच्छ-निभैः " आँच, ज्वाला. लपट, ज्वर, कष्ट, ताप तीन -माघ । हैं :-" दैहिक, दैविक, भौतिक तापा" तापित-वि० (सं०) गरम किया या तपाया -रामा० । “गात के छुए ते तुम्हें ताप गया, दुखित, पीड़ित । चढ़ि श्रावेगी"--पद्मा० । तापी-वि० (सं० तापिन् ) तपाने या गरमी तापक--संज्ञा, पु० (सं०) गरमी पैदा करने देने वाला, उष्णता युक्त, तपवाला । संज्ञा, वाला, रजोगुण, ज्वर, दाहक ।। पु० (दे०) बुद्ध देव । संज्ञा, स्त्री० (दे०) सूर्यतापतिल्ली-संज्ञा, स्रो० यौ० दे० (हि. ताप+ या० दे० {हि० ताप+ पुत्री, तापती नदी, यमुना नदी। तिल्ली) प्लीहा या तिल्ली के बढ़ने का रोग। तापीय-संज्ञा, पु० यौ० (दे०) सोनामाखी, तापती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) ताप्ती या | एक औषधि । तप्ती नदी। तापूस संज्ञा, पु० (दे०) तेजवान । तापत्रय-संज्ञा, पु० (सं० ) तीन भाँति के | तापेन्द्र-संज्ञा, पु० (सं०) सूर्य । दुःख। “दैहिक, दैविक, भौतिक तापा" | ताप्य-संज्ञा, पु. ( सं० तप्य ) सोनामाखी -रामा०। औषधि । तापन-संज्ञा, पु० (सं० ) गरमी देने वाला, ताफ़्ता-संज्ञा, पु० (फा० ) रेशमी कपड़ा। सूर्य, एक काम-वाण, सूर्यकान्तिमणि, ताब-संज्ञा, स्त्री० (फा०) गरमी, उष्णता, मदार, शत्रु-पीड़क एक प्रयोग ( तंत्र )। दीप्ति, कांति, चमक, शक्ति, धैर्य । " दवि तापना-अ० क्रि० दे० (सं० तापन ) अग्नि तम-तोम ताव तमकति पावै है"..- सरस० । के द्वारा शरीर गरम करना । स० क्रि० (दे०) । ताबड़तोड़-क्रि० वि० द० (अनु०) लगातार, जलाना. फूंकना, नष्ट कर देना, तपाना, बराबर। गरम करना । यौ० फूकना-तापना। ताबा-ताबे-वि० दे० (अ० तावत्र) श्राधीन, तापमानयंत्र-संज्ञा, पु० (सं० ) उष्णता नीचे, मातहत, वश में । संज्ञा, पु. मापक-यन्त्र, थरमामीटर (अ.) ताप ताबेदार। मापक यन्त्र। ताबूत-वि० (अ.) मुर्दे को रख कर दफन तापस-संज्ञा, पु० दे० (सं०) तपस्वी, करने या गाड़ने की संदूक, श्ररथी, ठठरी। तेजपत्ता। तपसी (दे०) स्त्री. तापसी, तपसिनी, " तापस-भेस विसेस उदासी" | ताबेदार-वि. (अ० ताबम-नफा० दार) -रामा०। | आज्ञाकारी, सेवक, वशीभूत । संज्ञा, स्त्री० तापसतरु-नापसद्रम-संज्ञा, पु० यौ० (सं.)। ताबेदारी-दासता। हिंगोट, इंगुदी पेड़। ताम-संज्ञा, पु० (सं०) बुराई, दोष, विकार, तापसी-संज्ञा, स्त्री. ( सं०) तपसिनि, ब्याकुलता, कष्ट । वि० (दे०) भयङ्कर, तपसिनी । तप करने वाली या तपस्वी की | डरावना, हैरान । संज्ञा, पु० दे० (सं० तामस) स्त्री संज्ञा, पु० (सं०) तपसी तपस्वी। " है | रिस, क्रोध, अँधेरा. तांबा । तपसी तपपी वन पाये। सुन्दर सुन्दर तामचीनी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) एक धातु । सुन्दरि ल्याये"। । तामजान, तामजाम-संज्ञा, पु० दे० यौ० For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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