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ताक
ताक - संज्ञा, पु० ( अ० ) घाला, ताखा । मुहा० - बालायेता या ताक़ पर धरना या रखना पड़ा रहने देना, काम में न लाना, छोड़ या डाल रखना । विषम संख्या, द्वितीय, अनोखा |
ताकझांक - संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० ( हि० ताकना + झाँकना ) ठहर ठहर या छिप छिप कर देखना |
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ताक़त - संज्ञा, स्त्री० (०) बल, पौरुष, शक्ति, जोर, सामर्थ्य ताक़त (दे० ) । ताकत रहे ये नैन ताकत गँवाइकै " - रसाल । ताक़तवर - वि० ( फा० ) बली, शक्तिमान । ताकना - स० क्रि० दे० (सं० तर्कण ) ताड़ना, देखना, ध्यान रखना, रक्षा या रखवाली करना, पहरा देना । पू० का० ताकि । ताकि ) -- अव्य० (फ़ा०) जिसमें, इसलिये कि । ताकीद - संज्ञा, स्त्री० (०) बलपूर्वक आज्ञा
या अनुरोध, चेतावनी के साथ कही बात । तागड़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० ताग + कड़ी) तगड़ी - करधनी, कमरबंध, कटि-सूत्र, करगता (दे० ) ।
तागना—स० क्रि० दे० (हि० तागा, मोटी सिलाई करना, डोभ या लंगर डालना । तागपाट - संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि० तागा +
पाट = रेशम) विवाह के समय का आभूषण । तागा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० तार्कक ) धागा, डोरा । ताज - संज्ञा, पु० (अ० ) राजा का मुकुट, तुर्रा, कलंगी, मोर और मुर्गे की कलँगी, मकान का बुर्ज । वि० ताजदार - बादशाह, राजा ।
ताजक - संज्ञा, पु० (फ़ा० ) एक ईरानी जाति, देहवार ( विलोचि ० ) ज्योतिष का एक भेद । ताज़गी - संज्ञा, स्त्री० (फ़ा० ) हरापन, नवीनता, प्रफुल्लता ।
ताड़का
करै लौकी करै लगाम । सबद गुरु का ताजना पहुँचै संत सुठाम "कबी० " ताजनो विचार को के व्यंजन बिचारु है ” – राम० । ताजपोशी - संज्ञा, स्रो० यौ० ( फ़ा० ) राजमुकुट धारण करने या राज-गद्दी पर बैठने
का उत्सव |
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ताजवाबी -संज्ञा, स्त्री० ( ० ) शाहजहाँ की पत्नी, मुमताज महल । ताजमहल - संज्ञा, पु० ( ० ) मुमताज महल का समाधि स्थान ( आगरा ) । ताज़ा - वि० ( फ़ा० ) हरा-भरा, हाली, स्वस्थ । यौ० मोटा ताज़ा - खो० ताज़ी । हृष्ट-पुष्ट | नया, नवीन, उसी समय का । ताज़िया - संज्ञा, पु० ( ० ) इमाम, हसन हुसेन के मकबरों की नक़्ल | संज्ञा, स्त्री० (सं०) ताजियादारी -- ताजिया की पूजा । ताज़ी - वि० ( फा० ) अव का, अरबी । संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) अरब का घोड़ा, शिकारी कुत्ता । " तुरकी, ताजी और कुमैता, घोड़ा अरबी पचकल्यान - आल्हा० । ताज़ीम – संज्ञा, स्त्री० ( ० ) आदर-प्रदर्शन, सम्मान दिखाना, खड़े होना, बंदगी करना । ताज़ीमी सरदार - संज्ञा, पु० यौ० ( फा० ताज़ीमी + सरदार प्र०) वे सरदार जिनके लिये राजा सम्मान प्रदर्शित करे । ताटंक - संज्ञा, पु० (स० ) करनफूल, ढारें,
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एक छंद । 'मंदोदरी करण ताटंका' रामा० । तटस्थ्य — संज्ञा, पु० (सं० ) उदासीनता, अलगाव, समीप, समीपता । ताडंक - संज्ञा, पु० (सं०) करनफूल, तरकी, तरौनी ।
ताजन - ताजना -संज्ञा, पु० दे० ( फा० ताजियाना ) कोढ़ा, चाबुक । " चित चेतन तानी
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ताड़ - संज्ञा, पु० (सं० ) एक पेड़, ताड़न, शब्द, जुही, हाथ का एक गहना, ढड़िया । "बाढ़ेहु सो बिन काज ही, जैसे ताड़, खजूर" -रही० ।
ताड़ - पत्र - संज्ञा, पु० यौ० ( हि०) ताड़
का पत्ता ।
ताड़का - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० ) एक राक्षसी ।
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