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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org तसलीम तसलीम - संज्ञा, स्त्रो० (प्र०) सलाम, बंदगी, मान लेना, स्वीकार करना । तसल्ली - संज्ञा, स्त्री० (०) तसकीन, धैर्य देना, सांखना, आश्वासन | तसवीर - संज्ञा, स्त्री० (०) चित्र, सबिह । वि० - मनोहर | ८२४ तसी - संज्ञा, पु० (दे०) तीन बार जोता हुधा खेत । तसू, तस्सू - संज्ञा, पु० दे० (सं० त्रि + शूक) १३ इंच की नाप । तस्कर - संज्ञा, पु० (सं०) चोर, कान, एक दवा | तस्करता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) चोरी | तस्करी - संज्ञा, खो० (सं० तस्कर ) चोरी, चोर की स्त्री । तस्म -संज्ञा, पु० (दे०) चमीटा, चिमटा, चिमटी संज्ञा, पु० तस्मा कसने का छल्ला । तस्मई – संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तस्मयी ) खीर, जाउर (ग्रा० ) । तस्मात् - अव्य० (सं०) इस हेतु या वास्ते, इस कारण । तस्मिन् - सर्व ० (सं०) उसमें, वहाँ पर । तस्मै -- सर्व० (सं०) उसके हेतु या वास्ते । तस्य - सर्व ० (सं०) उसका । तहँ तहँवाँ – क्रि० वि० (सं० तत् + स्थान ) वहाँ, उस ठौर, स्थान, या जगह पर । ( विलो० - जहँ, जहँवा ) " जहँ तहँ कायर गवहिं पराने" - रामा० । तब हनुमान यो चलि तहँवाँ - रामा० । "" 39 तहसीलना मार्मिक या पते की बात। ( किसी बात की ) तह तक पहुँचना - ठीक ठीक भेद या रहस्य या असली बात समझ लेना या मर्म जान लेना । वरक़, झिल्ली । तहकीकात - संज्ञा, स्त्री० ( ० तहक़ीक़ का बहु० ) ठीक ठीक खोज, जाँच-पड़ताल, अनुसंधान, पता लगाना । तहखाना - संज्ञा, पु० यौ० ( फा० ) भुइँधरा, तलगृह, तरघर | तहज़ीब -- संज्ञा, स्त्री० (प्र०) सभ्यता, मनुष्यस्व, भलमंसी । तह पेंच - संज्ञा, पु० यौ० तले का वस्त्र । तहरी - संज्ञा, स्त्री० (दे०) पेठे की बरी और चावल की खिचड़ी, मटर की खिचड़ी । तहरीर - संज्ञा, स्त्री० (अ०) लेख, लिखने की शैली, ढङ्ग, परिपाटी, रीति, लिखी बात, लिखाई, लिखावट | तहरीरी -- वि० ( फ़ा० ) लिखा हुआ । तहलका - संज्ञा, पु० (प्र०, खलबली, हलचल, धूम, मृत्यु । तहवील - संज्ञा स्त्री० (०) अमानत, धरोहर ख़जाना, सुपुर्दगी । तहवीलदार - संज्ञा, पु० ( प्र० तहवील + दार फा० ) खजानची, कोषाध्यक्ष, पोतदार । तहसनहस - वि०यौ० (दे०) नष्ट-भ्रष्ट, ख़राब बरबाद, तबाह | तह - संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) परत । मुहा०तह करना या लगाना- किसी कपड़े आदि को सब ओर से समेटना । तह कर रखना -- रहने देना नहीं चाहिये, रक्षित या छिपा रखना । तह तोड़ना-झगड़ा निपटाना कुये का उतरना । किसी चीज़ की तह देना - हलका परत चढ़ाना या रंग देना । तल, पेंदा। मुहा० - तहकी बात- छिपी या गुप्त या Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तहसील - संज्ञा, स्त्री० (०) उगाही, लगान । तहसीलदार की कचहरी या दफ़तर तह - सीली (दे० ) । यौ० -- घसूल तहसील । तहसीलदार - संज्ञा, पु० ( प्र० तहसील - फा० दार) तहसील का हाकिम या अफ़सर । तहसीलदारी - संज्ञा, खो० ( प्र० तहसील + फा० दार + ई ) तहसीलदार का पद या काम, उसकी कचहरी या दफ़तर । तहसीलना - स० क्रि० अ० तहसील ) कर रहस्य की बात, | आदि उगाहना या उसूल करना । For Private and Personal Use Only ( फ़ा० ) पगड़ी के
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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