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८०४
तंबाकू
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तंगदस्त जाना. ऊब उठना । तंग करना-सताना, सारंगी, वीणा प्रादि तार वाले बाजों का दिक करना।
बजाने वाला, तंत्री। तंगदस्त-वि० यौ० (फा०) कंगाल, ग़रीब, तंतुवाय-संज्ञा, पु. (सं०) कोरी, जुलाहा, कंजूप । संज्ञा, स्त्री० तंगदस्ती।
ताँती. कपड़े बुनने वाला, कारीगर । तंगहाल-वि० यौ० (फा०) कंगाल, निर्धन, तंत्र-संज्ञा, पु० (सं०) डोरा, तागा, ताँत, विपत्ति-ग्रस्त ।
वस्त्र, वंश का पालन पोषण, प्रमाण, तंग--संज्ञा, पु० (दे०) एक पेड़. अधन्ना, औषधि, निश्चित सिद्धान्त, मंत्र, कार्य, डबल, पैसा ।
कारण, राजा के नौकर, राज्य प्रबन्ध, सेना, तंगी-संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) कंगाली, निर्ध- धन, शासन, प्राधीनता, वंश, ग्रन्थ । यौ० नता. संकोच. कमी, कड़ाई।
तत्र-मंत्र, तंत्र-शास्त्र, प्रजातंत्र । तंजेब-संज्ञा, स्रो० (फा०) महीन और | तंत्रण- संज्ञा, पु० (सं०) हुकूमत, शासन, बदिया मलमल ।
प्रबन्ध का काम । तंड-संज्ञा, पु० दे० (सं० तांडव) नाच, नृत्य । तंत्र--संज्ञा, स्त्री० (सं०) सितार, वीणा तंडव-संज्ञा, पु० दे० सं० तांडव) नाच. नृत्य । । श्रादि तारों के बाजे और उनके तार, रस्पी, तंडुल--संज्ञा, पु. (सं०) चावल, तंदुल, देह की नसें, गुरिच । “ वीणागता तंत्री " छाइ जात नैनन में तंदुल सुदामा के" | सर्वाणि, रागानि प्रकाश्यते "-स्फुट । -रत्ना०।
| तंदरा --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० तंद्रा ) तंत -संज्ञा, पु० दे० (सं० तंतु ) तागा, ऊँघ, उँघाई, थोड़ी बेहोशी, तंदा। डोरा ताँत, ग्रह, संतान, विस्तार, परम्परा, | तंदुरुस्त-वि० ( फा० ) स्वस्थ, निरोग । मकड़ी का जाला । सज्ञा, पु० दे० स० तत्र) तंदुरुस्ती- संज्ञा, स्त्री. (फा०) स्वास्थ्य, वस्त्र, कोरी, जुलाहा, निश्चित, सिद्धान्त, नीरोग होने की दशा या उसका भाव । प्रमाण, ग्रंथ, दवा, तंत्र, राज कर्मचारी, “ तंदुरुस्ती हज़ार न्यामत है।" फ़ौज राज-प्रबन्ध, धन, आधीनता, वंश, तदुल -संज्ञा, पु० दे० (सं० तंडुल चावल । एक शास्त्र । संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० तुरंत ) तंदूर-तंदूल-संज्ञा, पु० दे० (फा० तनूर ) शीघ्रता, आतुरता। संज्ञा, पु० दे० (सं०
| रोटी पकाने की भट्ठी। तत्व ) सारांश, ५ तत्व । वि० (दे०) तौल,
तंदूरो-वि० दे० ( हि० तंदूर ) तंदूर में बना ठीक, सारंगी, सितार।
पदार्थ, रोटी आदि। तंतमंत-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० तंत्र मंत्र )
तंदेही-संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० तनदिही ) तंत्र-मंत्र, जादू. जंतर-मंतर।
परिश्रम, प्रयत्न, उपाय. युक्ति, चितावनी। तंत -संज्ञा, पु० दे० ( सं० तंत्री)
तंद्रा--संज्ञा, स्त्री० (सं०) ऊँच, उँचाई, थोड़ी
| बेहोशी, मूर्छा। वि०-तंद्रित । सारंगी सितार आदि तारवाले बाजे
तंद्रालु- वि० (सं०) तंद्रारोगी, तंद्रित । और उनका बजाने वाला, तंत्र शास्त्र का ज्ञाता, तंत्र-मंत्र करने वाला, जादुगर।
तंबा-संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० तंबान ) चौड़ी
| मोहरी का पायजामा। तंतगक-संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक औषधि । वाक-संज्ञा, पु० दे० ( पुतः टुवैको ) तंत-संज्ञा पु. (सं०) सूत, ताँत. तागा. एक पौधा जिस के पत्तों को लोग नशे के ग्राह, संतान, फैलाव, मकरी का जाला, हेतु खाते, संघते और जला कर धुएँ के रूप परम्परा ।
में पीते हैं । तमाखू तमाक (दे०) सुरती। तंतुवादक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सितार, । (प्रान्तो०)।
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