________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
ड्यौदा
७६६
पना, ढपना
राह या ढंग पर लाना. गढ़ कर ठीक या | ड्योढ़ीदार - संज्ञा, पु० दे० ( हि० ज्यौदी + दार फ़ा० ) द्वार पर पहरे वाला, द्वारपाल, दरवान, प्रतीहार ।
ड्योढ़ीवान - संज्ञा, पु० ( हि० ब्योढ़ी + वान - प्रत्य० ) द्वारपाल, प्रतिहार, पहरेदार ।
उपयुक्त करना । ड्योढ़ा - वि० दे० ( हि० डेढ़ ) पूरी चीज़ और उसी का आधा, डेढगुना । यौ० ड्यौदा दर्जा -- (रेल० ) ।
ड्योढ़ी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० देहली) चौखट, फाटक, द्वार, दरवाजा, पौरी ।
ढ
ढ - हिन्दी-संस्कृत की वर्णमाला के टवर्ग ढँगलाना - स० क्रि० दे० ( हि० ढाल )
लुढ़काना, ढनगाना, दुनगाना ( ग्रा० ) नखरा या बहाना करना, होला करना । ढंगी - वि० दे० ( हि० ढंग ) चतुर, चालाक, मतलबी, स्वार्थी । ढँगीला (दे० ) । ढँगियाना – स० क्रि० दे० ( ६ि० ढंग ) ढंग
का चौथा वर्णं ।
ढ - संज्ञा, पु० (सं०) बड़ा ढोल, कुत्ता, ध्वनि, शब्द, नाद ।
ढँकन -- संज्ञा, पु० दे० (हि० ढँकना) ढक्कन, मुँदना, ढकना ।
ढकना ढकना - स० क्रि० दे० ( सं० ढक्कन ) ढाँकना, मूँदना, छिपाना । अ० क्रि० दिखाई न देना । सज्ञा, पु० ढक्कन, मुदना । ढंख | संज्ञा, पु० दे० (हि० ढाक, सं० भाषादक) छिउल, पलाश, ढाँक (दे०) ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ढंग - संज्ञा, पु० दे० (सं० तंगन ) रीति, प्रकार, ढब, शैली, बनावट, गढ़न, उपाय, तदवीर, युक्ति | मु० ढंग डालना - स्वभाव या बान डालना । ढंग पर चढ़नामतलब पूरा होने के उपयुक्त होना, कार्य सिद्धि के अनुकूल होना । ढंग पर लाना - कार्य सिद्धि के अनुकूल करना । ढंग लगना - उपाय या युक्ति चलना । ढंग लगाना - स्वार्थ सिद्धि का उपाय करना, उपयुक्त साधन करना | चाल, व्यवहार, आचरण, पाखंड, बहाना, लक्षण,
भास | ढंग बैठना ( बैठालना ) - युक्ति लगना, सफलोपाय होना, सिलसिला लगना । यौ० रंग-ढंग - दशा, स्थिति, अवस्था, लक्षण, अवसर । वि० ढंगदार ढंगी, ढँगीला । 'दिन ही मैं लला तब ढंग लगायो - मसि० ।
पर लाना, उपयुक्त या स्वानुकूल बनाना । देंढार - संज्ञा, पु० दे० ( अनु० धाँय धाँय ) अग्नि ज्वाला, आग की लपट या लौ । ढंढारची - संज्ञा, पु० दे० ( हि० ढंढोरा ) मुनादी करने या डौंड़ी पीटने वाला, ढिढोरा फेरने वाला ।
ढढारना ढढोलना - स० कि० दे० ( सं० ढुंढन ) द्वंदना, तलाश करना, खोजना | " तहँ लगि हेरै समुद ढंढोरी छान डालना, मथना, टटोल कर खोजना । " सायर माहि ढोलता, हीरे परिगा हत्थ"कबी ० ० । "तुम सूने भवन ढिंढोरे हो" - गदा० । ढंढोरा, ढिंढोरा - संज्ञा, पु० दे० (अनु०ढम + ढोल ) मुनादी करने का ढोल, डौंड़ी, दुगडुगी, मुनादी ( ढोल से ) घोषणा । ढँढोरिया - संज्ञा, पु० ( हि० ढढोरा ) मुनादी और घोषणा करने वाला, डौंड़ी या डुग्गी पीटने वाला, ढोरने खोजने या ढूंढने वाला । कान्ह सों ढ ढोरिया, न मोंसों है छिपैया कोऊ ". - स्फु॰ । ढँपना- ढपना- संज्ञा, पु० दे० (सं० ढक = छिपना) ढक्कन । अ० क्रि० - छिपना, दिखाई न देना ।
""
For Private and Personal Use Only
""
-प० ।