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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ठकठकिया. टोली ७७४ टोली-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० तोलिका ) छोटा टोहाटार-संज्ञा पु० यौ० ( दे०) चीजों का टोला, महल्ला, थोक, मुंड, समूह, पत्थर इधर उधर करना । टौहाटार टउहाटार की वर्गाकार चट्टान, सिल, बाँस-भेद । (ग्रा.) टोवना-स० कि० दे० (हि. टोना) मंत्र,यंत्र टोहिया-संज्ञा पु. ( हि. टार ) खोजी, या तंत्र का प्रयोग करना, टटोलना, छूना। अन्वेषक, गवेषक। टोह-संज्ञा स्त्री० ( दे० ) खाज, पता, अनु. टोही-वि० (हि. टाह) खोजी, पता लगाने संधान । वाला। टोहना–स० कि० दे० (दे०) पता लगाना, टोरना स० क्रि० दे० ( हि. टेरना ) जाँच खोजना, अनुसंधान या अन्वेषण करना, परताल करना, थाह लेना, पता लगाना । हूँदना, टटोलना। ट्रॅक-संज्ञा पु. (म०) लोहे या टोन का सन्दुक । टोहाटाई-संज्ञा स्त्री० (दे०) छानवीन, तलाश, ट्रेन संज्ञा स्त्री० (अ० ) रेलगाड़ी के सम्मिजाँच पड़ताल। लित कई डब्बे । ठ-संस्कृत और हिन्दी की वर्ण-माला के सुख-शान्ति से, चुपचाप, पाराम याप्रसन्नता टवर्ग का दूसरा वर्ण । संज्ञा पु० (सं० ) से। मुहा०-ठंढा होना-मर जाना, महादेव, भारी शब्द या ध्वनि, चन्द्र मंडल, दीपक बुझ जाना । (दिमाग ) ठंढा होना शून्य स्थान । (करना) गर्व या शेखी दूर होना (करना), ठंठ- वि० दे० (सं० स्थाणु) हूँग, सूखा वृक्ष । ताजिया ठंढा करना-ताज़िया दफ़न ठंठार-वि० दे० (हि. ठंठ ) खाली, शून्य, करना, गाड़ना । (किपी पवित्र और रीता। प्यारी चोज को ) ठंढा क'ना--उस ठंढ-संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० ठंडा ) सरदी, वस्तु को फेंक देना या तोड़-फोड डालना । जाड़ा, शीत। ठंढाई- संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० ढंढा ) देह की ठंढई-संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० ठंढा ) शरीर में गर्मी शान्ति कर ठंढक देने वाली औषधियाँ । ठंढक लाने वाली औषधियाँ, जैसे धनिया, ठई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० ठानना ) ठानी, सौंफ आदि, ठंढाई। ठहराई । “काह विधाता ने यह ठई"ठंढक-संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० ठंढा ) जाड़ा. __ लल्लू । "जैसी कुबुद्धि ठई उर मैं"-रामा० लल्लू० । "जैसी सरदी, शीत, तृप्ति, प्रसन्नता, शान्ति । | ठक-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु० ) दो पदार्थों ठंढा-वि० दे० (सं० स्तब्ध) सर्द, शीतल । के टकराने का शब्द. ठोंकने की आवाज़ । (स्त्री० ठंढी)। मुहा०-ठंढी सांस वि०-भौचक्का, अचंभित । दुख और शोक से भरी सांस । ठंडे दिल ठक ठक-संज्ञा, स्त्री० दे० (अनु०) बखेड़ा, से-शान्तिपूर्वक, भावावेश-रहित । बझा झगड़ा, झमेला, झझट । हुप्रा. शांत । मुहा०-ठंढा करना - क्रोध | ठकठकाना- स० कि० दे० ( अनु० ) किसी मिटाना या शान्त करना, धैर्य देकर शोक | वस्तु को ठोंकना, पीटना, खटखटाना । मिटाना । धीर, गंभीर, निरुत्साह, सुस्त, | ठकठकिया-वि० दे० (अनु० ठक ठक ) उदास । मुहा०-ठंढे ठंढे-बिना खरखसे, झगदाल, बखेदिया। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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