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6.
टरकाना
टरकाना - स० क्रि० दे० ( हि० टरकना ) हटाना, खिसकाना, टाल देना, भगा देना, चलता करना, धता बताना । टरटराना अ० क्रि० दे० ( हि० टर ) बक बक करना, ढिठाई से बोलना । दर्शना । टरना स० क्रि० दे० ( हि० टर० ) टलना संत दरस जिमि पातक टरई
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हटना ।
रामा० ।
टराना - अ० क्रि० (दे०) हटाना, हटा देना टाल देना, भगा देना, दूर करना । रनि) - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० टरना ) टरने का भाव, क्रिया ।
ढीठ,
दर्रा - वि० दे० ( अनु० ) टर्शने वाला, कटुवादी, उद्दंडता से लड़ने वाला । दर्शना- अ० क्रि० दे० ( अनु० टर ) ढिठाई और कठोरता से उत्तर देना । संज्ञा पु० पन, टरपन |
टलना - ० क्रि० दे० (सं० टलन) सरकना, खिसकना, हटना, चला जाना। मुहा०अपनी बात से टलना - प्रण या प्रतिज्ञा का पूर्ण न करना । मिटना, रह न जाना, नियत समय का बीत जाना, किसी काम का न होना, किसी श्राज्ञा का न माना जाना । स० क्रि० टालना । प्रे० रूप० टलाना । टप - संज्ञा स्त्री० (दे०) छाँट, टुकड़ा, कतरन, भाग. खंड ।
टलमलाना - अ० क्रि० (दे०) डगमगाना, हिलना, ललचाना | संज्ञा, स्त्री० टलामली। लहा - वि० (दे०) खोटा माल ( सोनाचाँदी ) । खो० टलही । दलाली– संज्ञा स्त्री० (दे०) हीलेबाजी,
बहाना, हीला हवाला । टालमटूल (दे० ) टलाना - स० क्रि० दे० ( हि० टलना ) हटवाना, लुकवा देना ।
टल्ला - संज्ञा, पु० (दे०) झूठ, बे काम । टल्ली - संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार का बाँस । टल्लेनवीसी-संज्ञा स्त्री० यौ० (दे०) व्यर्थ
रहलुआ
का काम, निठल्लापन, बहाना बाज़ी, टालमटूल, हीलेबाज़ी ।
टवाई - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० घटना == घूमना) व्यर्थं का घूमना, आवारगी, श्रावारा गरदी । -संज्ञा स्त्री० दे० ( अनु० ) किसी भारी चीज़ के हटने या खिसकने का शब्द |
टस
मुहा० टस से मस न होना - कुछ भी न हिलना, कहने-सुनने का प्रभाव न होना । दसक - संज्ञा स्त्री० दे० (अनु० टपकना ) ठहर कर होने वाला दर्द, टीस, कसक । टसकना - अ० क्रि० दे० (सं० टस + करण ) किसी स्थान से हटना, खिसकना, टलना, टीस मारना, कहने सुनने का प्रभाव पड़ना, कहना मानने को उद्यत होना । टसकाना - स० क्रि० दे० । ( हि० टसकना ) सरकाना हटाना, टालना । टसना - ० क्रि० (दे०) मसकना, टसर - संज्ञा पु० दे० ( सं० त्रसर ) घटिया, कड़ा और मोटा रेशम ।
फटना ।
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सुनाई - संज्ञा पु० दे० (हि० अँसुश्रा) धाँसू । रहना - संज्ञा पु० (सं० तनः ) पेड़ की डाली ( स्त्री० अल्प ० ) टहनी ।
टहल - संज्ञा स्त्री० ( हि० टहलना ) सेवा, खिदमत | नीच टहल गृह की सब करिहौं”- - रामा० । यौ० - टहल-टकोर
सेवा-सुश्रूषा, काम धंधा |
टहलना - अ० क्रि० दे० (सं० तत् + चलन ) धीरे-धीरे या मंद-मंद चलना | मुहा०टहल जाना - टल या खिसक जाना । हवा खाने या जी बहलाने को शाम सुबह बाहर घूमना, सैर करना । ( प्रे० रूप ) टहलाना,
टहलवाना |
टहलनी - संज्ञा स्त्री० दे० (सं० टहल) दासी, दिया की बत्ती हटाने की लकड़ी । टहलुया - संज्ञा, पु० दे० (हि० टहल) दास, सेवक । टहलू (दे० ) । स्त्री० - टहलुई, टहलनी ।
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