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झोलमाल ७६०
टंक मुलम्मा। संज्ञा, पु० दे० ( हि० झूलना) झौंद-संज्ञा, पु० दे० (हि० झोंझ ) पेट, पहने या ताने हुये कपड़े का लटका हुआ | उदर, झोझर (प्रा.) झोंझ, घोसला । भाग, परदा, झाप, ढोला, बेकाम, निकम्मा, झोर -संज्ञा, पु० दे० (सं० युग्म, जुग्म बुरा । संज्ञा, पु. भुल, धोखेवानी। संज्ञा, हि० झूमर ) गरोह, मुंड, पत्तियों, फूलों, पु० (हि. झिल्ली ) गर्भाशय, बच्चेदानी। फलों का गुच्छा, एक गहना, झाड़ियों और संज्ञा, पु० दे० ( सं० ज्वाल ) राख, भस्म । पेड़ों का धना समूह, कुंज (प्रान्ती०)। झोलमाल-संज्ञा, पु० (दे०) ढीला-ढाला, भरना- अ. क्रि० दे० ( अनु० ) झौरना, चरपरा रस, धोखा, छल, भेद, गड़बड़ा।
| गुच्छाना, गूंजना, मुल्सना । झोलदार-वि० (हि. झाल --फा० दार ) जिसमें रसा हो, मुलम्मे वाला, ढीला
भौंराना-अ० कि. ( हि० झूमना) झूमना । ढाला, झोल वाला।
" अ० क्रि० दे० (हि. झांवरा ) काले रंग का झोला-संज्ञा, पु० (हि० झूलना ) झोंका, हो जाना, कुम्हलाना, मुरझाना, झौरियाना। झकोरा । संज्ञा, पु. ( हि० झूलना ) कपड़े झोंसना-अ० क्रि० (दे०) झुलसना, मँउकी बड़ी झोली या थैला, ढीला ग़िलाफ सना (ग्रा०) झोरियाना। या कुरता, चोला, बात रोग, लकवा, पेड़ों झौर -- संज्ञा, पु० दे० (अनु० झाँव २) झगड़ा का रोग जिसमें पत्ते एक बारगी सूख जाते विवाद, कहा-सुनी, डाँट-फटकार, झुंड । हैं। स्त्री० अल्पा० झोली । झटका, धक्का, मोरना-स० कि० दे० (हि. झपटना ) वाधा. विपत्ति, संकेत।
छोप या दबा लेना, झपट कर पकड़ झोली-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. झूलना )
लेना। छोटा झोला, या थैली, घास बाँधने का
मौरी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) खेत की घास । जाल, पुर, चरसा, अनाज उड़ाने का वस्त्र, कुश्तो का पेंच । संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०
झोरे-क्रि० वि० दे० (हि. धौरे ) पास, ज्वाल ) राख, खाक, भस्म । मुहा० झोली बुझाना-कार्य पूर्ण होने पर फिर उसे | झोवा -संज्ञा, पु० दे० (हि. झाबा) झाबा, करने को चलना।
टोकरा, झउवा (ग्रा०)। झोलना-स० कि० दे० (सं० ज्वलन) मोहाना-अ.क्रि० दे० ( अनु० ) गुर्राना, जलाना, मूलना।
। चिल्लाना, चिड़चिड़ाना।
लाल
समाप.साथ.सग।
अ-हिन्दी या संस्कृत की वर्णमाला के | स्थान नासिका है। चवर्ग का पाँचवाँ व्यंजन इसका उच्चार
ट-संस्कृत या हिन्दी की वर्णमाला के टवर्ग का | टंक-संज्ञा, पु. ( सं०) चार माशे की तौल, पहला व्यंजन, इसका उच्चार-स्थान मूर्धा है। एक सिक्का, पत्थर गढ़ने की टाँकी, छेनी,
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