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जानु
जामुनी जानु-संज्ञा, पु० (सं०) जाँघ और पिंडुली " रुचिर रजनि जुग जाम सिरानी"--- के मध्य का भाग घुटना ! विधि स० क्रि० राम० । संज्ञा, पु. (फा०) प्याला, कटोरा । (हि. जानना) जानो। संज्ञा, पु० (फ़ा० जान) संज्ञा. पु० (दे०) जामुन । जाँघ. रान, जंघा
जायगी---संज्ञा, पु. ( ? ) बंदूक या तोप जानुपाणि-कि० वि० यौ० (सं०) घुटनो, का फलीता। बैयाँ बैयाँ, घुटनों और हाथों से चलना। जामदानी संज्ञा, स्त्री० द. ( फा० जमः
"जानुपानि धावत मनि अाँगन".- सूर०।। दानी ) एक कढ़ा हुआ फूलदार कपड़ा। जानुफलक-संज्ञा, पु. ( सं० ) यूँ दी जामदग्न्य---संज्ञा, पु. (सं०) जमदग्नि का चकति, घुटना।
पुत्र, परशुराम । जानो-अव्य० दे० (हि० जानना ) मानो, जामन-संज्ञा, पु० दे० (हि० जमाना ) दूध
जैसे, जनु । विधि० स० कि० (हि० जानना। का जमा कर दही बनाने के लिये डालने जाप--- संज्ञा, पु० (सं०) नाम आदि जपने का दही, मही या खट्टो वस्तु । की क्रिया, जप, जपने की थैली या माला। जामना-प्र० कि० (दे०) जमना, उगना । " जपमाला छापा तिलक" - कबी०। जाम -वि० (दे०) यावनी। संज्ञा, स्त्री. जापक-संज्ञा, पु० (सं०) जाप करने वाला। (दे०) यामिनी, रात, ज़मानतदार । वि० जापी । " जापक जनप्रह्लाद जिमि" । जामवंत-संज्ञा, पु० (दे०) नाँववान् या -- रामा।
जाम्बवन्त । 'जामवंत कह रहु खल ठाढ़ा" जापा- संज्ञा, पु० दे० ( सं० जनन ) सौरी,
-रामा० । स्त्री जामती। प्रसूतिका गृह ।
जामा - एंज्ञा, पु. ( फा० ) कपड़ा, वस्त्र, जापान -- संज्ञा, पु० (दे०) एक द्वीप एशियाः ।
चुननदार धेरे का एक पहनावा । सा० भू० जाफा-संज्ञा, पु० दे० (अ. जाफ़) बेहोशी, स० क्रि० (दे०) उगा । " राम जी के सोहै घुमरी, मूर्छा, थकावट ।
केसरिया जामा " -- स्फु० । मुहा०जाफत—संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० ज़ियाफ़त ) जामे से बाहर होना-पापे से बाहर भोज, दावत।
होना, अत्यन्त क्रोध करना । जाफ़रान - संज्ञा, पु. ( अ० ) केसर। | जामाता* --- संज्ञा, पु. (सं० जामातृ) दामाद । जाबाल-संज्ञा, पु० (सं०) जाबाला के पुत्र, जामिक*-संज्ञा, पु० दे० (सं० यामिक ) एक मुनि !
पहरुमा पहरा देने वाला रक्षक । जाबालि-संज्ञा, पु. (सं०) दशरथ-गुरु जामिन जामिनदार एंज्ञा, पु. (अ.) कश्यप वंशीय एक ऋषि ।
ज़मानत करने वाला, ज़िम्मेदार, प्रतिभू । जाब्ता--संज्ञा, पु० ( अ ) नियम, कायदा, जामिनी--- संज्ञा, स्त्री० (दे०) यामिनी रात । व्यवस्था, कानून । यौ०-जान्ता (दे०) ज़मानत। दीवानी ---सर्व साधारण के परस्पर प्रार्थिक जान--- संज्ञा, पु० दे० ( सं० जंघु ) बरसात व्यवहार से सम्बन्ध रखने वाला कानून में पकने पर काले रंग का एक खटमिट्टा जाता फौजदारी-दंडनीय अपराधों से । फल, बैंगनी या बहुत काले फलों का सम्बन्ध रखने वाला कानून :
सदा बहार पेड़। जाम-संज्ञा, पु० दे० (सं० याम) पहर, जामुनी-वि० (हि. जामुन ) जामुन के प्रहर, साढ़े सात या तीन घंटे का समय ।। रंग का बैंगनी या काला।
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