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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जलापा ७१६ जवनिका भस्म करना, झुलसाना, संताप या ईर्ष्या जलेन्धन- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) बाड़वाग्नि, उत्पन्न करना, दुख देना। बड़वानल। जलापा-संज्ञा, पु. (हि. जलना --- आपा- जलेतन--वि० (दे०) अति क्रोधी, रिसहा प्रत्य० ) डाह या ईष्या की जलन । (दे०) । जलावला--वि० (हि. ) भस्मीभूत, खाक जलेबा-संज्ञा, पु० दे० (हि० जलव ) बड़ी हुआ, कोधी, चिड़चिड़ा, दग्ध । जलेबी (मिठाई)। जलामय-वि० (सं०) जलभरा, जलमय, जलेबी-संज्ञा, स्त्रो० दे० (हि० जलाव ) एक जल में डूबा, भीगा, गीला, श्रा, अंदा, कुंडलाकार मिठाई, एक प्रकार की (दे०) । “ऐसी है जलामय ब्रज भूमि न आतिशबाजी। दिखात कहूँ।" संज्ञा, पु. ( स्त्री० ) जलेश-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) वरुण, समुद्र, जलामयी। जलेश्वर। जलाल-संज्ञा, पु० ( अ०) तेज, प्रताप, जलेशय-संज्ञा, पु० (सं०) विष्णु, जलजंतु । प्रकाश, प्रभाव, धातंक । " देखि कै जलाल जलोच्छवास--संज्ञा, पु० यो० (सं०) पानी सिवरान चिहरे को "-भू०। की लहरी या तरंग। जलावन-- संज्ञा, पु० दे० ( हि० जलाना ) | जलोत्सर्ग-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) तालाब, इंधन, किसी वस्तु के तपाये या जलाये जाने कूप और बावली का विवाह ( पुरा० )। पर उसका जला भाग, जलता । जलोदर--- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पेट के जलावर्त्त-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पानी का चमड़े के नीचे की तह में पानी भर जाने भँवर, चक्कर। से पेट फूलने का रोग, जलंधर । जलाशय -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जलभरा जलौका---संज्ञा, स्त्री० (सं०) जोंक । स्थान, तालाब, नदी । “ जल जलाशय का जल्द-कि० वि० (अ० ) शीघ्र, चटपट, घटने लगा"---ऋतु । झटपट, तेजी से । संज्ञा, स्त्री० जल्दो । जलाहल-वि० दे० (हि. जलाजल ) जल. जल्दबाज़-वि० (फा०) ( संज्ञा, स्त्री० जल्द मय । संज्ञा, पु० सागर । "धूटिहैं हलाहल | वाज़ी ) काम में बहुत जल्दी करने वाला, कै बूड़िहैं जलाहल मैं"- रत्न उतावला संज्ञा, स्त्री० जल्दबाजी। जलिका-- संज्ञा, पु० (दे०) जोंक, जलौका। जल्द-संज्ञा, स्त्री० (अ०) शीघ्रता फुरती । जलिया-संज्ञा, पु० (दे०) धीवर, मछवाहा, 1-क्रि० वि० देखो जल्द । केवट । “जलिया छलिया है बड़ो'-स्फु० । जलप ---- संज्ञा, पु० (सं०) कथन, कहना, बकजलील-वि० ( अ० ) तुच्छ, बेक़दर, . वाद, प्रलाप। जल्पन--संज्ञा, पु. (सं.) अपमानित, नीच। बकवाद, प्रलाप, डींग, व्यर्थ की बातें। जलक-जलका --- संज्ञा, स्त्री० (दे०) जोक, जल्पक-वि० (सं०) बकवादी, वाचाल । जलोका, (सं०)। जल्पना-अ० क्रि० दे० (सं० जल्पन ) जलूस-संज्ञा, पु० ( अ.) बहुत से लोगों व्यर्थ बकवाद करना, डींग मारना। का सजधज कर किसी सवारी के साथ जल्लाद-संज्ञा, पु. ( अ०) प्राण दंड पाये प्रस्थान, उत्सव-यात्रा। हुये अपराधियों का वध करने वाला। जलेचर-संज्ञा, पु० (सं०) जल में चलने या घातक, हिंसक, क्रूर व्यक्ति । चरने वाले जीव, जलजंतु, जलपक्षी। जवनिका-संज्ञा, स्त्री० (दे०) यवनिका (सं०) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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