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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छूना मकरी या अपवित्र वस्तु के छूने का दोष या दूषण | छेड़ना - स० क्रि० दे० (हि. छेदना) अशुद्धि के कारण अस्पृश्यता, ऐसी अशुद्धि | खोदना खादना, दबाना, कोंचना, छू या जिसके छूने से दोष लगे, भूत-प्रेतादि के खोदखाद कर भड़काना या तङ्ग करना, लगने का बुरा प्रभाव । किसी के विरुद्ध ऐसा कार्य करना जिससे छूना-अ० कि० (सं० छुप ) एक वस्तु का वह बदला लेने को तैयार हो, हँसी-ठठोली दूसरी के इतने पाय थाना कि दोनों करके कुढ़ाना, चुटकी लेना, कोई बात या सट जायँ, स्पर्श होना । स० क्रि० किसी कार्य प्रारम्भ करना, उठाना, बजाने के वस्तु तक पहुँच कर उसके किसी अंग को | लिये बाजे में हाथ लगाना, नश्तर से फोड़ा अपने किसी अङ्ग से सटाना या लगाना, चीरना, अलापना । स्पर्श करना। मुहा०-आकाश छूना- छेड़वाना-स० कि० दे० (हि. छेड़ना का बहुत ऊँचा होना । हाथ बढ़ा कर अँगुलियों | प्रे० रूप ) छेड़ने का काम दूसरे से कराना। के संसर्ग में लाना हाथ लगाना । छेत्र - संज्ञा, पु० (दे०) क्षेत्र । कान छूना-शपथ या प्रतिज्ञा करना। छेद-संज्ञा, पु० (सं० ) छेदन, काटने का दान के लिये किसी वस्तु को स्पर्श करना, काम, नाश, ध्वंश, छेदन करने वाला, दौड़ की बाज़ी में किसी को पकड़ना, उन्नति भाजक (ग्रा.)। संज्ञा, पु० दे० (सं० की समान श्रेणी में पहुँचना, बहुत कम काम छिद्र ) सूराख, छिद्र, रंध्र, विल, दराज, में लगना, पोतना । खोखला, विवर, दोष, दूषण, ऐब । मुहा० छेकना-स० क्रि० दे० (सं० छद ) आच्छा- - (पत्तल में) छेद करना-हानि करना। दित करना, स्थान घेरना, जगह लेना, छेदक-वि० (सं० ) छेदने या काटने वाला, रोकना, जाने न देना, लकीरों से घेरना, नाश करने वाला, विभाजक । काटना, मिटाना, घेरना। छेदन- संज्ञा, पु० (सं०) काट कर अलग छेक-संज्ञा, पु० दे० (हि० छेद ) छेद, करने का काम, चीर-फाड़, नाश, ध्वंस, सूराख, बिल, कटाव, विभाग। काटने या छेदने का अस्त्र, कान छेदने का छेकानुप्रास-संज्ञा पु० यौ० (सं० ) वह संस्कार, कनछेदन, छेदना ( ग्रा० )। अनुप्रास जिसमें वों की आवृत्ति केवल एक छेदना-स० क्रि० दे० (सं० छेदन ) कुछ ही बार हो (१० पी०)। . चुभा कर किसी वस्तु को छेद-युक्त करना छेकापह्नति-संज्ञा, स्त्री. यो. (सं.) एक वेधना, भेदना, क्षत या घाव करना, काटना, अलंकार जिसमें वास्तविक बात का अयथार्थ छिन्न करना। उक्ति से खंडन किया जाता है (अ० पी०)। छेकोक्ति-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) अर्थातर, केना-संज्ञा, पु० दे० (सं० छेदन ) खटाई गर्भित उक्ति सम्बन्धी अलंकार । से फाड़ा हुआ पानी-निचोड़ा दूध, फटे | दूध का खोया, पनीर। छेरा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० क्षिप्त) वाधा, छेनी - संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. छेना) लोहे रुकावट। छेड-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. छेद ) छू या | ___ का वह हथियार जिससे लोहा, पत्थर आदि काटे या नकाशे जाते हैं, टाँकी (दे. )। खोद-खाद कर तग करने की क्रिया, हँसीठठोली करके कुढ़ाने का काम, चुटकी, छम -संज्ञा, पु० (दे० ) क्षेम । यौ. चिढ़ाने वाली बात, रगड़ा, झगड़ा। संज्ञा, केम-कुसल । स्त्री० छेड़खानी । यो० छेड़छाड़। । छेमकरी --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० क्षेमकरी) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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