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छुवाछूत
छुरित छुआछूत-संज्ञा स्त्री० यौ० दे० (हि. छूना) कार्य या नौकरी से हटाना, बरखास्त करना, अछूत को छूने की क्रिया, अस्पृश्य-स्पर्श, किसी प्रवृत्ति या अभ्यास को दूर करना । स्पृश्य-अस्पृश्य का विचार, छूत-छात का (छोड़ना का प्रे० रूप) छोड़ने का काम कराना। विचार । “छुआछूत दारुण कुलीनता को छत-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० सुत्) भूख, क्षुधा, अंगमानि" -मिश्र बंधु० ।
बुभुक्षा। छुईमुई-- संज्ञा, स्त्री० दे० या० (हि० छूना+ छतहरा-वि० (दे० ) अशुद्ध, अपवित्र । मुवना ) लज्जालु, लज्जावन्ती, लजाधुर। तिहा--वि० दे० (हि० ठूत+हा-प्रत्य०) छुगुन-संज्ञा, पु० (दे० ) घुघुरू। छूत वाला, जो छूने योग्य न हो, अस्पृश्य, छुच्छी-संज्ञा स्त्री० दे० (हि. छूछा) पतली, कलंकित, दूषित । पोली नली, नाक की कील, लोग छतिहर-संज्ञा पु० (दे० ) कुपात्र, नीच (प्रान्ती०) वि० खोखली, पाली, ठूछी।। मनुष्य, अशुचि वस्तु के संसर्ग से अशुद्ध छुछमछली-संज्ञा, स्त्री० (सं० सूक्ष्म + हि.
हुआ बरतन या घड़ा। मछली ) मछली के रूप का अंडे से निकला | छद्र-संज्ञा पु० (दे०) क्षुद्र । “छुद्र नदी मेढ़क का बच्चा ।
भरि चलि उतराई"-रामा०। छुट*-अव्य० (छूटना ) छोड़ कर, सिवाय, | छुद्रा-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० क्षुद्रा ) नीच अतिरिक्त, छूटने का भाव ।
स्त्री, वेश्या, एक वनौषधि । " शुद्रा यवानी छटकाना* -- स० क्रि० दे० ( हि० छूटना) सहितो कषायः "-वैद्य० । छोड़ना, अलग करना, साथ न लेना, मुक्त छद्रावल-छद्रावलि-संज्ञा स्त्री० (दे०) तुद्र करना, छुटकारा देना।
घंटिका । “कटि छुद्रावलि अभरन पूरा"--401 छुटकारा-संज्ञा पु० दे० ( हि० छुटकाना ) | छधा-संज्ञा, स्त्री० दे०) क्षुधा। वि० (दे०) बंधन आदि से छूटने का भाव या क्रिया, छुधित---वि० दे० । “छुधित बहुत अघात मुक्ति, रिहाई, आपत्ति या चिंता आदि से | नाहीं निगमगुम दल-खाय "—सूर० ।। रता, निस्तार ।
छुपना--म० क्रि० (दे०) छिपना । स० क्रि० छुटना-प्र० कि० ( दे० ) छूटना। छुपाना । प्रे० रूप छुपवाना। छुटपन -संज्ञा, पु० दे० (हि. छोटा + पन छभित*-वि० दे० (सं० जुभित ) विच
प्रत्य० ) छोटाई, लघुता, बचपन । लित, चंचल चित्त, घबराया हुआ। छुटाना-स० कि० ( दे० ) छुड़ाना।। छुभिराना*--० क्रि० दे० (हि. क्षोभ ) छुट्टा-वि० दे० (हि० छूटना ) जो बँधा न सुब्ध या चंचल होना। हो, एकाकी, अकेला, मुक्त, स्वच्छंद । स्त्री० छुरधार*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शुरधार) छुट्टी।
छुरे की धार, पतली पैनी धार । संज्ञा स्त्री० छुट्टी- संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० छूट) छुटकारा, (दे० ) छरहरी-छुरा रखने की पेटी। मुक्ति, अवकाश।
छुरा-छुरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० क्षुर ) छुड़वाना-स० कि० दे० ( हि० छोड़ना का | बेंट में लगा लंबा धारदार हथियार, नाई प्रे० रूप) छोड़ने का काम दूसरे से कराना। के बाल बनाने का हथियार, उस्तुरा । छुड़ाना--स० क्रि० दे० (हि. छोड़ना) (स्त्री० अल्पा० छुरी) बँधी, फँसी, उलझी या लगी हुई वस्तु छरित-संज्ञा पु० दे० (सं०) लास्य नृत्य को पृथक करना, दूसरे के अधिकार से का एक भेद, बिजली की चमक । “छुरिताअलग करना, पुती हुई वस्तु को दूर करना, ! मलाच्छविः"-माघ । भा० श. को०-८८
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