SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 670
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिड़िया-खाना चितेरा जाना - चिरैया, शिकार का चला जाना । चितना-स० क्रि० (दे० ) रँगा जाना, मुहा० ---चिड़िया का दूध-अप्राप्यवस्तु। ताकना, देखना। सेोने की चिड़िया ---- धन देनेवाला वितभंग ...संज्ञा, पु० यो० (सं० चित+भंग) असामी, चिड़िया के आकार का गढ़ा या ध्यान न लगना, उचाट, उदासी, मतिभ्रम । काटा हुअा टुकड़ा, ताश का एक रंग। चितरना88 --- स० क्रि० दे० (सं० चित्र ) चिड़ी ( दे०) । " तब पछिताने क्या हुश्रा चित्रित करना, चित्र बनाना। जब चिड़िया चुग गई खेत "..--कवीर० । चितरोख-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० चित्र + चिड़िया-खाना--संज्ञा, पु. यौ० (हि० रुख-फ़ा) एक प्रकार की चिड़िया, चितरवा। चिड़िया + फा० ख़ाना) वह स्थान या घर चितला-वि० दे० (सं० चित्रल) कबरा, जिसमें अनेक प्रकार के पक्षी, पशु तथा चितकबरा, रंग-बिरंगा । संज्ञा, पु. लखनऊ जंतु देखने के लिये रखे जाते हैं, चिड़ियाघर। का एक ख़रबूजा, एक बड़ी मछली। चिड़िहार - संज्ञा,पु० (दे०) चिड़ीमार । चितवन-चितौन---संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. चिड़ीमार-संज्ञा, पु० यौ० (हि. चिड़ी चेतना) देखने या ताकने का भाव या ढंग, मारना ) चिड़िया पकड़ने वाला, बहेलिया। अवलोकनि, दृष्टि, चितवनि चितौनि संज्ञा, स्त्री० चिड़ीमारी। "वह चितवनि और कछू ''--वि० । चिढ़ - संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. चिड़चिड़ाना ) | चितवना-स० क्रि० दे० (हि० चेतना) चिढ़ने का भाव, अप्रसन्नता, कुढ़न, खिज- देखना, चितौना। लाहट, नफरत, घृणा। वितवाना - स० कि० दे० (हि० चितवना चिढ़ना-प्र० कि० दे० (हि. चिड़चिड़ाना) का प्रे० रूप ) तकाना, दिखाना। चितअप्रसन्न या नाराज़ होना, बिगड़ना, कुढ़ना, वाइबी (ब्र०)। द्वेष रखना, बुरा मानना, चिटकना। चितहट-संज्ञा, स्त्री० यौ० (दे०) अनिच्छा, चिढ़ाना-स० कि० (हि. चिढ़ना का प्रे० खींच, घृणा। रूप ) अप्रसन्न या नाराज़ करना, खिझाना, चिता-संज्ञा, स्त्री० (सं० चित्य) मुरदा जलाने कुढ़ाना, कुढ़ाने को मुँह बनाना या ऐसी ही को लकड़ियों का चुना हुआ ढेर, श्मशान, अन्य कोई चेष्टा या उपहास करना ।। मरघट। चित-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चेतना, ज्ञान । चिताना-स० क्रि० दे० (हि. चेतना ) चित-संज्ञा, पु० (सं० चित्त ) चित्त, मन । होशियार या सावधान करना, स्मरण या संज्ञा, पु० दे० ( हि० चितवन ) चितवन, आत्म-बोध कराना ज्ञानोपदेश देना, (ग) दृष्टि। वि० (सं० चित - ढेर किया हुआ) | जलाना, सुलगाना । चेताना ( दे०)। पीठ के बल पड़ा हुश्रा, चित्त ( दे.) चितावनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० चिताना) ( विलो० पट )। चिताने की क्रिया, सतर्क या सावधान करने चितकबरा-वि० दे० (सं० चित्र -+ कवूर ) की क्रिया, सावधान करने को कही गयी ( स्त्री. चितकबरी) रंगविरंगा, कबरा, बात, चेतावनी (दे० )। चितला। चिति--संज्ञा, स्त्री. ( सं० ) चिता, ढेर, चितचार-संज्ञा, पु० यौ० (हि. चित --- चुनने या इकट्ठा करने की क्रिया, चुनाई, चार ) चित्त को चुराने वाला, प्यारा, प्रिय, चैतन्य, दुर्गा देवी। "मामन मो निसिदिन बसै ऊधौ वह चितेरा--संज्ञा, पु० दे० (सं० चित्रकार ) चित-चोर"। चित्रकार, मुसौविर, " वैद्य चितेरा बानियाँ For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy