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चतुर्दिक
चनखना चतुर्दिक-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) चारों चारों वेदों का ठीक ठीक जानने वाला दिशायें । क्रि० वि० चारों ओर।
पुरुष, ब्राह्मणों की एक जाति । चतुर्भज-वि० या० (सं०) स्त्री. चतुभुजा चतुव्यूह - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) चार चार भुजाओं वाला । संज्ञा, पु. विष्णु, चार | मनुष्यों अथवा पदार्थों का समूह, विष्णु, भुजायें और चार कोण वाला क्षेत्र। जैसे, राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, कृष्ण, चतुर्भजा--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) एक
बलदेव, प्रद्युम्न, अनुरुद्ध । देवी, गायत्री रूपधारिणी महाशक्ति। | चतुष्क-वि० (सं० ) चौपहला । संज्ञा, पु. चतुर्भुजी-- संज्ञा, पु. ( सं० चतुर्भुज + ई- एक प्रकार का भवन । प्रत्य० ) एक वैष्णव सम्प्रदाय । वि० चतुष्कल-वि० यौ० ( सं० ) चार कलाओं चार भुजाओं वाला।
या मात्राओं वाला। चतभोजन--संज्ञा, पु० या ० ( सं० ) चार चतुष्कोण-वि० यौ० (सं० ) चार कोने प्रकार का भोजन, भक्ष्य, भोज्य, चोप्य वाला, चौकोर, चौकोना।। लेह्य ।
चतुष्य -संज्ञा, पु० सं०) चार की संख्या, चतुर्मास-संज्ञा, पु. या० (सं०) चातुर्मास चार चीज़ों का समूह । (दे० ) चौमास (ग्रा.)।
चतुष्पथ--संज्ञा, पु. या० (सं०) चौराहा । चतुर्मुक्ति-संहा, स्त्री. य० (सं० ) चार चतुष्पद-संज्ञा, पु० या ० ( सं०) चौपाया, प्रकार की मुक्ति, सायुज्य, सामीप्य, सारूप्य, चार पावों वाला। सालोक्य ।
चतुष्पदा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) चौपैया छंद। चतुर्मख--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) ब्रह्मा। चतुष्पदी-संज्ञा स्त्री० यो० । सं० ) १५ वि० ( स्त्री. चतुर्मुखी ) चार मुख वाला। मात्राओं का चौपाई छंद, चार पदों का क्रि० वि० चारों ओर।। चतुर्यगी-संज्ञा, खो० (सं० ) चारों युगों
चतुस्सम्प्रदाय-संज्ञा पु० यौ० (सं० ) का समय । ४३२००००० वर्ष, चौयुगी, वैष्णवों के चार प्रधान संप्रदाय, श्रीरामानुज, चौकड़ी।
श्रीमाध्व, श्री निवार्क, श्रीवल्लभीय ।। चतुोनि-संज्ञा पु० यौ० (सं०) चार प्रकार चत्वर - संज्ञा, पु. (सं० ) चौमुहानी,
से उत्पन्न, अंडज, पिंडज, स्वेदज, जरायुज। चौरास्ता, वेदी, चबूतरा। चत्वार संज्ञा, चतुर्वर्ग--संज्ञा, पु० यौ० (सं) ४ पदार्थ, पु० (सं० ) चार। अर्थ, धर्म काम, मोक्ष।
चदरा--संज्ञा, पु० (फा० चादर ) चादर, चतुर्वर्ण--संज्ञा पु० यौ० ( सं० ) चार जातें, चद्दर (दे० ) स्त्री. अल्प० चदरिया। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। | चादर संज्ञा, पु० (सं० ) कपूर, चन्द्रमा, चतुर्विश-- वि० यौ० (सं० ) चार और । हाथी, साँप । बोस, चौबीसवाँ।
चद्दर-संज्ञा, स्त्री. (फ़ा. चादर ) चादर, चतुर्विशति-वि. या० (सं० ) चार और (वस्त्र), किसी धातु का लम्बा चौड़ा चौकोर
बीस संज्ञा, पु. चौबीस की संख्या । पत्तर, उस नदी की धारा जो बहुत ऊँचाई चतुर्विधि - वि० यौ० ( सं० ) चार प्रकार। से गिरती है। चतुर्वेद---संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चारों वेद, चनकना- अ. क्रि० (दे०) चटकना ।
ऋग, यजु. साम, अथर्व, परमेश्वर । चनखना--- अ. क्रि० दे० (हि. अनखना) चतुर्वेदीक्षा , १० चौ. (२० चतुर्वेदवित्) क्रोधित या खफा होना, चिढ़ना, चिटकना ।
| गीत।
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