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गुबरैला
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गुबरैला - संज्ञा, पु० दे० हि० गोबर + ऐलाप्रत्य० ) गोबर का एक छोटा कीड़ा । गुवार - संज्ञा० पु० ( अ० ) गर्द, धूल, मन में दबाया हुआ क्रोध, दुख, द्वेष | गुवार (दे० ) ।
गुधिन्द - संज्ञा, पु० ( दे० ) गोविन्द | "बिंद जू कुबिंद बनि आये हैं" सरस | गुब्बारा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० कुप्पा ) गरम हवा या हलकी गैस से श्राकाश में उड़ने वाला थैला ।
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गुमसा - वि० (दे० ) सड़ा, गला । गुमान -- संज्ञा, पु० ( फा० ) अनुमान, क्रयास, घमंड, गर्व, ज्ञान, लोगों की बुरी धारणा,
गुमानी |
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गरबी
गुमाना- स० क्रि० ( दे० ) गँवाना, खा देना ।
गुमानी - वि० ( हि० गुमान ) घमंडी, श्रहं - कारी, ग़रूर करने वाला ।
गुमाश्ता संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) बड़े व्यापारी की घोर से ख़रीदने और बेचने पर नियुक्त मनुष्य, एजेंट ( अं० ) । यौ० मुनीमगुमाश्ता ।
गुरुमट - संज्ञा, पु० दे० ( फा० गुंबद ) गुंवद, संज्ञा, पु० ( सं० गुल्म ) गुमटा (दे० ) ।
गुम - संज्ञा, पु० ( फा० ) गुप्त, छिपा हुआ, गुम्मा - वि० दे० ( फा० गुम ) चुप्पा, न प्रसिद्ध, खोया हुआ | बोलने वाला | संज्ञा, पु० (सं० गुल्म ) दे० बड़ी ईंट |
गुमकना - अ० क्रि० (३०) भीतर ही भीतर गूँजना, बाहर प्रगट न होना । " धमकि मायौ घाव श्राय गुमकि हिये रह्यो " । गुमटा- संज्ञा, पु० दे० (सं० गुंवा + टा०
प्रत्य०) मत्ये या सिर पर चोट से हुई सूजन, गुलमा, गुरमा ( ग्रा० ) । गुमडी संज्ञा स्त्री० दे० ( फा० गुंबद ) मकान के ऊपरी भाग में सीढ़ी या कमरों आदि की ऊपर उठी हुई छत । गुमना
- प्र० क्रि० दे० ( फ़ा० गुम ) गुम होना, खो जाना ।
संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० गुरुच ) सिकुड़न, बट, वल ।
गुमनाम -- वि० यौ० ( फा० ) श्रप्रसिद्ध, अज्ञात, जिसमें नाम न दिया हो । गुमर --- संज्ञा, पु० दे० ( फा० गुमान ) अभिमान, घमंड, शेखी, मन में छिपाया हुआ क्रोध या द्वेष, गुवार, धीरे की बातचीत, काना - फँसी ।
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गुरचों - संज्ञा स्त्री० दे० ( अनु० ) परस्पर धीरे धीरे बातें करना, कानाफूसी । गुरजना - स० क्रि० (दे० ) घुस्टना, घुड़कना,
गरजन ।
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गुरदा – संज्ञा, पु० ( फ़ा० सं० गोर्द ) रीढ़ दार जीवों के देहान्तर में कलेजे के निकट एक अंग, साहस, हिम्मत, एक छोटी तोप | गुमसना - अ० क्रि० (दे०) दुर्गंधित होना, गुरमुख - वि० यौ० ( हि० गुरु + मुख )
गुमराह - वि० यौ० ( फ़ा० ) बुरे मार्ग में चलने वाला, भूला भटका हुया । संज्ञा स्त्री०गुमराही - भुलावा देना ।
उमस से सड़ना |
गुरु से मंत्र लेने वाला, दीक्षित, शिक्षित । संज्ञा, पु० (दे०) गुरमुखी- पंजाबी लिपि । गुरम्मर - वि० पु० (दे० ) मीठा ग्राम । गुरवी - वि० पु० (दे० ) अभिमानी, घमंडी, गर्वीला, गुर्वी (सं०) भारी ।
गुर - संज्ञा, पु० ( सं० गुरु-मंत्र ) वह साधन या क्रिया जिसके करने से कोई कार्य तुरंत हो जाय, मूल-मंत्र, भेद, युक्ति | संज्ञा, पु० (सं० ) गुड | संज्ञा, पु० (दे० ) गुरु । गुरगा - संज्ञा पु० दे० (सं० गुरुग ) चेला, शिष्य, टहलुआ । (ग्रा० ) नौकर, गुप्तचर, जासूस, गुरगी (स्त्री० ) । गुरगावी - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) मुंडा जूता । गुरच - संज्ञा, पु० (दे० ) गिलोय, गुरुचि, गुरिच, गुड़िa |
गुरची
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