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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गिरना - गिद्ध-राज गिद्ध-राज-संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि. गिद्ध + | गियाह-संज्ञा, पु० ( ? ) एक प्रकार का राज) जटायु । “गिद्धराज सुनि भारत | घोड़ा। (फा०) एक घास । बानी"-रामा०। | गिर-संज्ञा, पु० दे० (सं० गिरि) पहाड़, गिनतो-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. गिनना+ पर्वत, सन्यासियों के दश भेदों में से एक । ती= प्रत्य० ) संख्या निश्चित करने की गिरई-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) एक प्रकार की क्रिया, गणनांक, गणना, शुमार । मुहा०- मछली । गिनती में आना वा होना-कुछ महत्व गिरगट-गिरगिट-संज्ञा, पु० दे० (सं० का समझा जाना । गिनती गिनाने के कृकलस वा गलगति) छिपकली की जाति लिये-नाम मात्र के लिये, कहने-सुनने का एक जन्तु जो दिन में दो बार अपना भर को। संख्या, तादाद । मुहा०-गिनती रंग बदलता है । गिगिटान, गिदौना, के-बहुत थोड़े। कोई (कसी) गिनती गिरदान, (ग्रा.)। मुहा०-गिरगट ( में ) न होना-अति तुच्छ या साधारण । की तरह रंग बदलना-बहुत जल्दी होना । गिनती न होना--असंख्य होना। सम्मति या सिद्धान्त बदल देना। उपस्थित की जाँच, हाज़िरी (सिपाही) गिरगिरी-संज्ञा, स्त्री० (अनु० ) लड़कों का एक से सौ तक की अंक-माला। एक खिलौना। गिनना-स० कि० दे० (सं० गणन ) गणना गिरजा-संज्ञा, पु० दे० ( पुर्त० इग्रिजिया ) या शुमार करना, संख्या निश्चित करना। ईसाइयों का प्रार्थना-मन्दिर । ( सं० मुहा०-अँगुलियों पर गिनना-किसी| गिरिजा ) पार्वती, शैल-सुता। चीज़ का अति अल्प संख्या में होना। गिरदा-संज्ञा, पु. (फ़ा. गिर्द ) घेरा, (दिन) गिनना-श्राशा में समय बिताना, चक्कर, तकिया, गिडुवा, बालिश, काठ की किसी प्रकार काल-क्षेप करना। गणित | एक थाली जिसमें हलवाई मिठाई रखते हैं। करना, हिसाब लगाना, कुछ महत्व का | ढाल, फरी । संज्ञा, पु. (फ़ा-गिर्द ) पोर, समझना, ख़ातिर में लाना । कुछ (न) तरफ़ । जैसे-चौगिर्दा (ग्रा० ) चारों ओर । तरक्त गिनना-किसी योग्य (न) समझना। गिरदान-संज्ञा, पु० (हि. गिरगट) गिरगिट। गिनवाना-स० कि. (दे०) गिनना का | गिरदावर-संज्ञा, पु. ( दे.) गिर्दावर। प्रे० रूप गिनाना। गिरधर-संज्ञा, पु. (सं० गिरिधर ) पहाड़ उठाने वाले श्रीकृष्ण, गिरधारी । गिनाना-स० कि० (हि० गिनना का प्रे० रूप) | गिरना-अ० क्रि० दे० (सं० गलत ) एक गिनने का काम दूसरे से कराना। दम उपर से नीचे आ जाना, अपने स्थान गिनी-संज्ञा, स्त्री. ( अं० ) सोने का एक से नीचे आ जाना, पतित होना, खड़ा न सिक्का, एक विलायती घाम । यौ० गिनी रह सकना, ज़मीन पर पड़ जाना, अवनति गोल्ड-ताँबा मिश्रित सोना। या घटाव पर या बुरी दशा में होना, जलगिनी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) गिनी। धारा का बड़े जलाशय में जा मिलना, शक्ति गिब्बन--संज्ञा, पु० (अं० ) एक प्रकार | या मूल्य आदि का कम या मंदा होना, का बन्दर। बहुत चाव या तेजी से आगे बढ़ना, टूटना, गिमटी-संज्ञा, स्त्री० (अं० डिमिटी ) एक अपने स्थान से हट, निकल, या झड़ जाना, बूटीदार मज़बूत कपड़ा। किसी ऐसे रोग का होना जिसका वेग ऊपर गिय*-संज्ञा, पु० (दे० ) गिउ । से नीचे को पाता हुआ माना जाय जैसे For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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