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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गाढ़े ५७४ गाभा साथी या संगी-संकट-समय का मित्र, संज्ञा, पु. ( स्त्री० गादड़ी ) गीदड़, सियार । विपत्ति के समय में सहारा देने वाला । | गादा-- संज्ञा, पु० दे० (सं० गाधा=दलदल) गाढ़ा समय - गाढ़े दिन )-संकट के खेत का वह अन्न जो भली भाँति पका न दिन, विपत्ति, कठिनाई पाना । संज्ञा, पु. हो, अधपका अन्न, गहर, बे पकी या कच्ची (सं० गाढ़ ) एक प्रकार का मोटा सूती फसल, जुआर का कच्चा दाना (दे०)। कपड़ा, गज़ी, मस्त हाथी। गादी संज्ञा, स्त्री. ( हि० गद्दी ) एक पक. गाढे -क्रि० वि० दे० (हि. गाढ़ा) वान, हथेली, गदेरी ।(दे०) गद्द गद्दी। दृढ़ता से, ज़ोर से, अच्छी तरह । " लेत “गादी पै देख्यौ तौ सीतला बाहन"। चढ़ावत बँचत गाढ़े''--रामा। | गादुर-संज्ञा, पु० (दे०) चमगादर। गाणपत--वि० दे० (सं० ) गणपति " गादुर मुख न सूर कर देखा"--१०। सम्बन्धी। संज्ञा, पु० . एक सम्प्रदाय जो गाध--संज्ञा, पु० (सं०) स्थान, जगह, गणेश जी की उपासना करता है। जल के नीचे का स्थल, थाह, नदी का गाणपत्य--संज्ञा, पु. (सं० ) गणेश जी बहाव, कूल, लोभ । वि. (स्त्री० गाधा ) का उपासक। जिसे हिलकर पार कर सकें, जो बहुत गहरा गात-संज्ञा, पु० दे० (सं० गात्र ) शरीर, न हो, छिछला, थोड़ा, स्वप्न । (विलो०अंग। “दरपन से सब गात".--वि०।। अगाध)। गाती-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० गात्री) वह गाधि-- संज्ञा, पु० (सं०) विश्वामित्र के चद्दर जिसे गले में बाँधते हैं, चद्दर या पिता। यौ० गाधि सुवन-विश्वामित्र । अंगौछे के लपेटने का एक ढंग। क्रि० स० "गाधि सुवन मन चिंता व्यापी' . रामा०। (हि० गाना) गा रही ( स्त्री० )। गान-संज्ञा, पु० (सं० ) (वि० गेय गेतव्य) गात्र - संज्ञा, पु० (सं०) शरीर, अंग, देह। गाने की क्रिया संगीत, गाना, गीत । गाथ-संज्ञा, पु० दे० (सं० गाथा ) यश गाना-स० कि० दे० (सं० गान ) ताल, प्रशंसा, "मूरख को पोथी दई बाँचन को स्वर के नियमानुसार शब्दों का उच्चारण गुन-गाथ " वृ। करना, अलाप के साथ ध्वनि निकालना, गाथा-संज्ञा, स्त्री० (सं.) स्तुति, वह श्लोक मधुर ध्वनि करना, वर्णन करना, सविस्तार जिसमें स्वर का नियम न हो, प्राचीन कहना । मुहा०-अपनीही गानाकाल की ऐतिहासिक घटनाएँ जिनमें किसी अपनी की बात कहते जाना, अपना ही हाल के दान-पुण्य प्रादि का वर्णन रहता है, कहना, स्तुति करना, प्रशंसा करना लो० । आO छन्द, एक प्रकार की प्राचीन भाषा, "जिसका खाना उसकी गाना"। श्लोक, गीत, कथा. वृत्तान्त, पारसियों के संज्ञा, पु०-गाने की क्रिया, गान, गीत । धर्म-ग्रन्थ का भेद, जैसे-गाथा शमशती। गान्धिक-- संज्ञा पु० (सं०) सुगन्धित द्रव्य, मुहा०-गाथा गाना--कथा या प्रशंसा । व्यवहारी। करना। गाफ़िल - वि० (अ.) बेसुध, बे ख़बर, गादा-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० गाध ) तरल बेहोश, असावधान । (संज्ञा, पु०-गफ़लत)। पदार्थ के नीचे बैठी हुई गादी चीज़, तल- गाभ--संज्ञा, पु० दे० ( सं० गर्भ; प्रा० गम्भ) छट, तेल की कीट, गाढ़ी चीज़, गोंद (दे०)। पशुओं का गर्भ (दे० ) गाभा-पेड़ के गादड-गादर-वि० दे० (सं० कातर या बीच की छाल । कर्य, फा० कादर ) कायर, डरपोक, भीरु । गाभा-संज्ञा पु० (सं० गर्भ ) (वि० गाभिन) For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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