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खरिया
खल
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खरिया-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. खर + इया- सर्ग-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) खड्ग (सं०) प्रत्य० ) धाप, भूग बाँधने की पतली खर्च संज्ञा, पु० दे० (अ० खर्ज ) व्यय, रस्पी की जाली, पांसी, झोली, “घर बात सर्फा, खपत, किसी काम में लगने वाला धरे, खुरपा खरिया"-कवि., खडिया धन, खर्चा ( दे०) वि० स्त्री-चोखी।
रूचना-स० कि० (दे०) खरचना, व्यय खरियाना स० कि० दे० (हि. खरिया- | करना। झोली ) झोली में भरना।
खर्चीला- वि० (हि० खर्च + हीला- प्रत्य०) खरिहान-खलिहान-संज्ञा, पु. (दे० ) अति खर्च करने वाला। जहाँ खेत से अनाज काट कर जमा किया खर्ज-संज्ञा, पु० (दे०) षडज (सं० ) जाय ।
एक राग स्वर। खरी - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) खड़िया, खली | सर्जन-संज्ञा, पु० (सं० ) खुजली। (तिल या सरसों आदि की) वि० स्त्री. खजूर-संज्ञा, पु० (सं०) खजूर. छुहारा (हि. वि. पु. खरा ) चोखी।।
(दे०) चाँदी, हरताल, विच्छू । स्त्री० अल्प० खरीता संज्ञा, पु. (अ.) थैला, जेब, खरिका पिंड खजूर।
खांसा, प्राज्ञा-पत्रादि के भेजने का बड़ा खरी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मूसली औषधि । लिफ़ाफ़ा। स्त्री० खरीती (थल्पा०) (दे०)। खपर-संज्ञा. पु० (सं० ) तसले जैमा मिट्टी खरीद - संज्ञा स्त्री० (फा ) मोल लेने की का पात्र, रुधिर पान करने का काली देवी क्रिया, क्रय, खरीदी हुई वस्तु । यौ० खरीद- का पात्र-खप्पर । (दे० ) भिक्षा पात्र फरोख्त।
खोपड़ा, खपरिया। खरीदना-स० क्रि० ( फा० खरीदना ) सर्व-संज्ञा. पु० (सं०) कुवेर की : निधियों मोल लेना।
में से एक सौ अरब की संख्या । वि. न्यू खरीदार-संज्ञा, पु० (फा ) ग्राहक, मोल नांग, भग्नांग, छोटा, लघु, वामन, बौना लेने वाला, चाहने वाला।
(दे०) "हस्वः खर्वः तु वामनः" --अमर० । खरीफ़ संज्ञा, स्त्री. (अ.) आषाढ खर्बर-संज्ञा, पु० (२०) पर्वत का गाँव । अगहन तक की फसल ।
| खर्बजा-( खरबूजा)- संज्ञा, पु. (अ.) खरोंच-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शुरण ) |
खुरचना, छीलना, खरोंट (३०) खर्रा - संज्ञा, पु० (दे० ) मसविदा लंबा खरोंचना-स० क्रि० दे० (सं० तुरण) लिखा काग़ज़, चिट्ठा, खसरा, खाँी, खरखुरचना, करोना, खसोटना ।
खरा, पीठ पर छोटी फुरियों का रोग। खरांट -- संज्ञा, स्त्री० दे०) खरोंच (हि.) खराच-वि० (दे० ) खर्चीला । खरीट (दे०)।
खर्राटा-संज्ञा, पु. ( अनु० ) सोते में नाक खरोष्ट्रो-खराष्ट्री-संज्ञा, स्त्री. (सं०) दाहिने का शब्द । से बायीं ओर लिखो जाने वालो प्राचीन | मुहा० खरा-मारना ( भरना, लेना) गांधार लिपि।
बेखबर सोना । खरौंहा-वि० ( हि. खरा - प्रौहा ) कुछ खल-वि० (सं०) दुष्ट, क्रूर नीच । संज्ञा, खरा, या नमकीन ।
पु० (सं०) सूर्य तमाल वृक्ष, धतूरा लि. खरोटना-स० कि० (दे० ) गादा गाढा हान, पृथ्वी, स्थान, खरल, औषधि कूटने लीपना, खरोंचना।
का पात्र । संज्ञा, स्त्री. खलता।
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