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केबली केन-संज्ञा, पु० (सं० ) प्रसिद्ध उपनिषद, मीठे और लम्बे होते हैं, यह गर्म स्थानों में तवलकार उपनिषद । सर्व० (सं.) किससे किसके द्वारा।
केलि केली (दे०)—संज्ञा स्त्री० (सं०) कना संज्ञा, पु० (दे० ) छोटा-मोटा सौदा, | क्रीड़ा, खेल, रति । स्त्री-प्रसंग, हँसो,दिल्लगी,
अन्न से खरीदी वस्तु, तरकारी, केजा (दे०)।। पृथ्वी। संज्ञा, स्त्री० ( हि० केला ) केला। केम-संज्ञा, पु. (दे०) कदम्ब..." केम केलि-कला-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) कुसुम की बास"
सरस्वती की वीणा, रति। केमद्रुम---संज्ञा, पु० (सं० ) जन्म काल का केलि-गृह-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) रंगग्रह, एक दरिद्र-योग ( ज्यो०)।
शाला विहार-स्थान । केयुर—संज्ञा, पु० (सं० ) बाँह का बिजा- केवका-संज्ञा, पु. ( सं० कवक = ग्रास) यट भूषण, बजुल्ला, अंगद, भुज बन्ध, प्रसूता स्त्री को दिया जाने वाला मसाला । बहुँटा ( दे.)।
केवट-संज्ञा, पु० दे० (सं० कैवर्त ) क्षत्रिय " केयूरा न विभूषयन्ति पुरुषं .." भ ।। पिता और वैश्य माता से उत्पन्न एक जाति, केयूरी-वि० (सं० ) केयरधारी। जो अब नाव चलाने का काम करती है, केर- प्रत्य० दे० (सं० कृत ) सम्बन्ध- | धीवर, मछवा, मल्लाह । स्त्री० केवटिनसूचक विभक्ति, केरा, केरी। ( अव० ) स्त्री० "केवट उतरि दण्डवत कीन्हा--" रामा० । केरी। संज्ञा, पु. ( दे० ) केरा-केला -- | केवटोदाल--संज्ञा, स्त्री. यो० ( हि० केवट..." बेर केर कर संग " रही।
संकर + दाल) दो या अधिक प्रकार की मिली केरल-संज्ञा, पु० (सं.) दक्षिण भारत का हुई दाल । एक प्रान्त, कनारा । वि० (ब०) केरलो- केवटोमोथा--संज्ञा, पु० दे० (सं० कैवर्तकेरेलवासी। स्त्री० केरलो-एक फलित मुस्तक ) सुगंधित मोथा। ज्योतिष ।
केवड़ई - वि० ( हि० केवड़ा + ई - केराना-संज्ञा, पु० दे० (सं० क्रयण ) | प्रत्य० ) हलका पीला और हरा मिला मसाला, मेवा श्रादि । स० कि० (दे०) हा सफेद रंग, केवड़ई रंग। पछोरना।
केवड़ा-केवरा (दे० )-संज्ञा, पु० दे० (सं. केरानी-संज्ञा, पु० (दे० ) (म० क्रिश्चियन) केविका ) केतकी से कुछ बड़ा सफेद रंग का
यूरेशियन ( जिसके माता-पिता में से कोई | पौधा, इसी पौधे का फूल, इसके फूल से हिन्दुस्तानी हो) किरंटा, अंग्रेज़ी दफ्तर | उतारा हा सुगंधित फूल या पासव,
का मंशी या क्लर्क । किरानी (दे०)। केवड़ा-जल । केराव -संज्ञा, पु० दे० (सं० कलाप) मटर। केवल-वि० (सं0) एक मात्र, अकेला, केरि-केरी - प्रत्य० दे० (सं० कृत ) का, | शुद्ध, श्रेष्ठ । कि० वि० मात्र, सिर्फ । संज्ञा, केरा का । स्त्री० संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) केली, | पु० ( वि. केवली ) भ्रांतिशून्य और विशुद्ध केला।
ज्ञान । केरोसिन-संज्ञा पु. ( म० ) मिट्टी केवलात्मा-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) पापका तेल ।
पुण्य-रहित, ईश्वर, शुद्ध स्वभाव का पुरुष । केला केरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० कदल, केवली-संज्ञा, पु. ( सं० केवल + ई - प्रा० कपल ) गज़ सवा गज़ लम्बे पत्तों- प्रत्य० ) केवल-ज्ञानी, मुक्ति का अधिकारी वाला एक कोमल पेड़, जिसके फल गूदेदार, साधु, मुक्ति, जन्म-पत्री।
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