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४८६ मिट्टी या लोहे का गहरा बरतन, जिससे कूकस-संज्ञा, पु० (दे०) भूसी। सिंचाई के लिये कुएँ से पानी निकालते हैं, कूकरी-संज्ञा, स्त्री. (दे० ) कुकुरी, सूत
खेत में हल से बनी नाली, कंड। की लच्छी, कुतिया, कुकुरिया ( दे० )। कैंडा-संज्ञा, पु० दे० (सं० कुंड ) पत्थर का --संज्ञा, पु. (हि. कूकना ) सिक्खों
या मिट्टी का चौड़ा बरतन, छोटे पौधे का एक पंथ । लगाने का बरतन, गमला, रोशनी की बड़ी | कूच-संज्ञा, पु० ( तु० ) प्रस्थान, रवानगी, हाँड़ी, डोल, कठौता, मठौता, कुंडा (दे०)। प्रयाण । मु०-कूच कर जाना-मर कँडी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. कँडा ) पत्थर जाना । (किसी के ) देवता कूच कर
की प्याली, पथरी, कुंडी, गेंडुरी, छोटी जाना-होश-हवाश चला जाना, भय नाँद।
आदि से स्तब्ध हो जाना । कूच बोलना कॅथना*-अ० कि० दे० (सं० कुंथन ) दुख | प्रस्थान करना। या श्रम से अस्पष्ट शब्द मुँह से निकालना, कूचा-संज्ञा, पु० (फ़ा) छोटा रास्ता, गली। काँखना, कबूतरों का बोलना। स० कि. | (दे०) कुंचा, क्रौंच पक्षी। स्त्री. कृची मारना-पीटना।
-कूँची वि० (हि. कुचना ) कुचली हुई। कँदना-स० कि० (दे०) खरादना। "कुंदन कूज-संज्ञा, स्त्री० ( हि० कूजना) ध्वनि । बेलि साजि जनु कू दे" प० ।
कूजन-संज्ञा, पु. ( सं० ) पक्षियों का कँई-कुई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कुछ + मधुर स्वर से बोलना। वि० कृजितई०-प्रत्य०) कुमुदिनी।
ध्वनित, गूंजा हुआ, ध्वनि पूर्ण । कूक-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कूजन ) लम्बी कूजना-० कि० दे० (सं० कूजन ) मृदु सुरीली ध्वनि मोर या कोयल की बोली। मधुर स्वर करना । जल-खग कूजत गूंजत संज्ञा, स्त्री० (हि• कुंजी ) घड़ी या बाजे | भृगा-" रामा०। श्रादि में कुंजी भरने की क्रिया।
कूजा-संज्ञा, पु. (फा कूजा ) मिट्टी का कूकना-अ० कि० दे० (सं० कूजन) कोयल पुरवा, कुल्हड़, अर्ध गोलाकार मिश्री या
या मोर का बोलना. चिल्लाना । स० कि० मिश्री की डली। ( हि० कुंजी) कमानी कसने के लिये घड़ी कूट- संज्ञा, पु. (सं० ) पहाड़ की ऊँची
आदि में कुंजी लगाना। " जेबी घड़ी हैं ये | चोटी, जैसे हेमकूद, जाल, सींग, (अना. इन्हें शबोरोज़ कूकिये"-प्रक०। जादि की ) ऊँची और बड़ी राशि, छल, कूकर-कूकुर-संज्ञा, पु० दे० (सं० कुक्कुर)। हथौड़ा, धोखा, फरेब, मिथ्या, गूढ़ भेद, __ कुत्ता, श्वान । स्त्री० कृकुरी, कृकरी (दे०)। गुप्त रहस्य, निहाई, वह कविता या वाक्य कूकर-कोर-संज्ञा, पु० यौ० (हि.) जिसका अर्थ शीघ्र न प्रकट हो, दृष्ट कूट, कुत्ते को दिया गया जूठा भोजन, टुकड़ा, ( सूर-कृत ) गूढार्थ-पूर्ण हास्य या व्यंग्य । तुच्छ वस्तु ।
विष ( काल-कूट ) । वि० (सं०) झूठा, कूकुर-निदिया-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि.) छलिया, कृत्रिम, प्रधान । संज्ञा, स्त्री० दे० कुत्ते की सी नींद, श्वान-निद्रा।
(सं० कुष्ट ) कुट नामक औषध । संज्ञा, कूकुरमुत्ता-संज्ञा, पु. (दे० ) एक बर- स्त्री० (हि. काटना, कूटना ) काटने, कूटने साती पौधा ।
या पीटने की क्रिया-जैसे--मारकूट, काटकूकरलेंड-संज्ञा, पु. (दे० ) श्वान-मैथुन कूट। वि०-कुटायल । दे०) मार खाने वाला। व्यर्थ की भीड़।
| कूटता-संज्ञा, स्नो० ( सं० ) कठिनाई,
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