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कुसंग-(कुसंगति)
कुहुँ कुहुँ कुसंग(कुसंगति )-संज्ञा, पु. ( स्त्री०) | कुसुम्भी-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लाल रंग। (सं० ) बुरों का साथ, बुरे लोगों के साथ | वि० कुसुम के रंग का। हेल-मेल ।...“दुख कुसंग के थान'- कुसुम-संज्ञा, पु. (स्त्री०) फूल, पुष्प, कुसंगी, कुसंगती-कुसंग वाला। छोटे छोटे वाक्यों वाला गद्य, आँख का कुसंस्कार-संज्ञा, पु० (सं० ) बुरी बासना, । एक रोग, मासिक धर्म, एक प्रकार का लाल बुरा संस्कार।
फूल, रजो-दर्शन, रज, छन्द में डगण का कुसगुन-संज्ञा, पु. (हि. कु+सगुन) एक भेद । संज्ञा, पु० (दे० ) कुसुंब । संज्ञा असगुन (दे०) बुरा लक्षण, अपशकुन पु. (सं. कुसुंभ) पीले फूलों का एक (अशकुन-सं०)।
पौधा, बरैं। कुसमड़-संज्ञा, पु० (सं० ) बुरे दिनों में, | कुसुमपुर-संज्ञा, पु० (सं० ) पटना नगर दुख की सामग्री।
का एक प्राचीन नाम। कुसमय-संज्ञा, पु० (सं.) बुरा समय, अ- | कुसुमवाण-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) समय, अनुपयुक्त अवसर, निश्चित समय से । कामदेव, कुसुमशर। आगे-पीछे का समय, संकट-काल, दुख के कुसुम विचित्रा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक दिन, (विलोम-सुसमय )।
प्रकार का वर्ण-वृत्त । कुसलई-कुसलाई, कुसलात-संज्ञा, स्त्री. कुसुमस्तवक-संज्ञा, पु. (सं०) दंडक
(हि.) कुशलता, मंगल, चतुरता। छंद का एक भेद, फूलों का गुच्छा। कुसली-(कुशली) वि० दे० (सं०) सकुशलई कुसुमाकर - संज्ञा, पु० (सं०) वसन्त ऋतु। संज्ञा, पु० (हि. कसैली ) श्राम की गुठली, कुसुमांजलि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) पिरांक ( एक मिष्ठान्न, गुझिया ) अँजुली में फूल भर कर देवता पर चढ़ाना, कुसवारी-कुसियारी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पुष्पांजलि, न्याय का एक ग्रंथ । कोशकार ) रेशम का जंगली कीड़ा, रेशम | कुसुमायुध-संज्ञा, पु. यौ० ( सं० ) का कोया।
कामदेव। कुसाइत-संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० कु --- कुसुमारक -संज्ञा, पु० ( सं० ) वसन्त, समृत) बुरी साइत, बुरा मुहूर्त, अयुक्त | छप्पय छंद का एक भेद । अवसर, कुसमय, कुधरी।
कुसुमावलि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) कुसाखी ( कुशाखी )-संज्ञा, पु० दे० फूलों का समूह, पुष्प-पंक्ति। (सं०) बुरा वृक्ष ।
कुसुमित-वि० ( सं० ) फूला हुश्रा, कुसीद-संज्ञा, पु० (सं०) व्याज, वृद्धि, पुष्पित, स्त्री० कुसुमिता पुष्पिता।
व्याज पर दिया धन । वि० कुसीदक। | कुसूत-संज्ञा, पु० दे० (सं० कु + सूत्र, कुसंब-संज्ञा, पु० (सं०) एक बड़ा वृक्ष प्रा. सुत) बुरा सूत, कुप्रबन्ध, कुब्योंत, जिसकी लकड़ी से जाठ और गाड़ियाँ बुरी व्यवस्था । बनती हैं।
कुसूर-संज्ञा, पु. (अ.) अपराध, दोष । कुसुम्भ-संज्ञा, पु. ( सं० ) कुसुम, बरै, कुसेस*-कुसेसय-संज्ञा, पु. ( दे० ) केसर, कुमकुम ।
कमल, कुशेशय (सं० )। कुसुम्भा-संज्ञा, पु० दे० (सं० कुसुंभ) कुहुँ कुहुँ-कुह कुह--संज्ञा, पु० (दे०) कुसुम का रंग, अफीम और भाँग से बना कुमकुम, केसर । " कुहुँ कुहुँ केसर बरन एक मादक द्रव्य । स्त्री० आषाढ शुक्ल छठ।। सुहावा"-५०।
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