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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुनाल - ४७४ कुबानि कुनाल-संज्ञा, पु० (सं० ) प्रसिद्ध महाराज कुपुत्र-संज्ञा, पु० (सं० ) कुमार्गी पुत्र, दुष्ट अशोक का पुत्र, जिसने अपनी सौतेली माँ पुत्र, कुपूत ( दे०) कपूत (दे० )। की पापेच्छा न पूर्ण कर तदादेश से अपनी कुपुरुष-संज्ञा, पु० (हि.) अधम मनुष्य, आँखें निकाल दी और अशोक के द्वारा नीच, कापुरुष ( सं०) “ भाग्य भरोसे उसका वधादेश सुन अपनी प्रार्थना से जो रहै, कुपुरुष भापहि टेरि।" कु० वि० । उसे बचाया। कुपूत--- संज्ञा, पु० दे० (सं० कुपुत्र ) कपूत कुनित -वि० दे० (सं० क्वणित) शब्दायमान। कुनोति-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अन्याय, कुप्पा -संज्ञा, पु० दे० (सं० कूपक याकुतुप ) अनुचित रीति । घड़े का सा चमड़े का बना हुआ घी, तेल कुनैन--संज्ञा, स्त्री० दे० ( अं० किनिन ) आदि रखने का पात्र । सिनकोना नामक पेड़ की छाल का ज्वर- मुहा०-कुप्पा होना (हो जाना) फूल नाशक सत । संज्ञा, पु० दे० (हि. कु = जाना, सूजना, मोटा होना, हृष्ट-पुष्ट या प्रसन्न बुरा+ नैन ) बुरे नेत्र, कुपित नेत्र। होना, रूठना, मुँह फुलाना । ( स्त्री० कुपंथ-संज्ञा, पु० दे० (सं० कुपथ) बुरा मार्ग, __ अल्पा० ) कुप्पी-छोटा कुपा । कुचाल, कुमार्ग, कुत्सित सिद्धान्त या संप्र- कु.फुर* -- संज्ञा, पु० दे० (अ. कुफ़) मुसलदाय, बुरामत, निषिद्धाचरण। वि० कुपंथी- मानी मत से विरुद्ध या भिन्न मत । वि. कुमार्गी। काफिर (अ.)। कुपढ़-वि० (हि. कु+पढ़ ) अनपढ़। कुफेन-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) काबुल नामक कुपथ-संज्ञा, पु. (सं० ) बुरा रास्ता, । नदी का प्राचीन नाम । निषिद्धाचरण, कुचाल । यौ०-कुपथगामी कुबंड-संज्ञा, पु० दे० (सं० कोदडं) धनुष । कुत्सिताचरण वाला, पापी । संज्ञा पु० (सं० वि० ( कु+बंड + खंज) विकृतांग, खोंडा। कुपथ्य ) स्वास्थ्य के लिये हानिकर भोजन । कुब-कूब-संज्ञा, पु० ( दे०) कूबड़ा, कूबर । " कुपथ निवारि सुपंथ चलावा,-रामा० (दे०) "साई करि कूब राधिका पै "कुपथ माँग रुज-व्याकुल रोगी"- रामा०। पानि फाटी है"-उ० श० । कुपथ्य-संज्ञा, पु. (सं०) स्वास्थ्य के | कुबड़ा-संज्ञा, पु० दे० (सं० कुब्ज ) कूबड़ लिये हानिकारक अहार-विहार, बदपरहेजी वाला, जिसकी पीठ टेढ़ी या भुकी हो। (फा०)। वि०-टेढ़ा, झुका हुआ, कूब वाला । (दे०) कुपना -- अ. क्रि० ( दे० ) कोपना, कूबर। स्त्री० कुबड़ी-कुबरी-कूबड़ वाली, नाराज़ होना। स्त्री, मुके हुए सिरे वाली छड़ी।, मंथरा । कुपाठ-संज्ञा, पु० (सं०) बुरी सलाह, " कुबरी कुटिल करी कैकेयी " रामा०, कंस बुरा पाठ । " कीन्हेसि कठिन पढाइ कुपाटू" की दासी, कुब्जा। -रामा०। कुबत-संज्ञा, स्त्री० ( हि• कु-+बात ) कुपात्र-वि० (सं०) अनधिकारी, अपात्र, कुबात, निंदा, बुरी चाल या बात, (सं० अयोग्य, शास्त्रों में जिसे दान देना निषिद्ध है। कु+ बात-वायु ) बुरी हवा। कुपार-संज्ञा, पु० दे० (सं० अकूपार ) कुबाक-कुवाक्य-संज्ञा, पु० दे० ( सं०) समुद्र, सागर । बुरा वाक्य, कुत्सित शब्द, निंदा, गाली। कुपित - वि० (सं०) क्रुद्ध, अप्रसन्न, कोप- | कुबानि-संज्ञा, स्त्री० (हि० कु+बानि) बुरी युक्त, नाराज। । श्रादत, बुरी टेंच । ( कुवाणी) बुरी वाणी। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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