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कुतप
कुतप - संज्ञा, पु० (सं० ) दिन का ८ वाँ मुहूर्त ( मध्याह्न काल ) श्राद्ध में आवश्यक वस्तुयें, मध्याह्न, गैंडे के चमड़े का पात्र, तिल श्रादि, एकोदिष्ट श्राद्ध के प्रारम्भ का समय, सूर्य, अग्नि, प्रतिथि, भांजा, द्विन । यौ० कुतप-काल- गरमी का समय, मध्याह्न ।
कुश,
कुतरना - स० क्रि० दे० (सं० कुर्तन ) दाँत से छोटा टुकड़ा काटना, बीच ही में से कुछ अंश काट लेना, चोंच से काटना । कुतरू - संज्ञा, पु० (सं० ) बुरा वृक्ष, बँबूल | ( दे० ) पिल्ला |
कुतर्क ( कुतरक ) - संज्ञा, पु० सं० (दे०) कुत्सितर्क, बेढंगी दलील, वितंडा, दुर्बल युक्तियों का तर्क ।
कुतर्की ( कुतरको ) – संज्ञा, पु० (सं० ) कुतर्क करने वाला, वितंडा वादी, बकवादी, हुज्जती ।" मति न कुतरकी - " रामा० । कुतल - संज्ञा, पु० (सं०) भूतल, पृथ्वीतल । कुतवार - कुतवाल - संज्ञा, पु० ( दे० ) कोतवाल । संज्ञा, पु० ( कूतना - हि०) कूतने वाला |
कुतवाली -कुतवारी - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) कोतवाली, कोतवाल का काम या स्थान । कुतिया कुत्तिया - संज्ञा स्त्री० (हि० कुत्ती ) कूकरी, कुकुरिया (दे० ) ।
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. कुतुब- कुतुब- संज्ञा, पु० (अ० ) ध्रुव तारा, किताबें ।
. कुतुबखाना -संज्ञा, पु० ( ० ) पुस्तकालय | . कुतुबनुमा - संज्ञा, पु० ( ० ) दिग्दर्शक यंत्र, दिशा सूचक यंत्र |
कुतुबफ़रोश -- संज्ञा, पु० ( ० ) पुस्तकविक्रेता, बुकसेलर |
कुतूहल -- संज्ञा, पु० (सं० ) किसी वस्तु के देखने या किसी बात के सुनने की प्रबल इच्छा, विनोद-पूर्ण उत्कंठा, वह वस्तु जिसके देखने की इच्छा हो, कौतुक, क्रीड़ा, खिलवाड़, अचंभा, कौतूहल, परिहास |
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कुदरत
वि० कुतूहली - (सं० ) कौतुकी, जिसे देखने-सुनने की प्रबल उत्कंठा हो, खिलवाड़ी, पूर्वता ।
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कु. तृण संज्ञा, पु० (सं० ) बुरी घास । कुत्ता - संज्ञा, पु० (दे० ) भेड़िया, गीदड़, लोमड़ी आदि की जाति का एक पशु जो घर की रक्षा के लिए पाला जाता है, श्वान, कूकुर ( दे० ) ग्राममृग । स्त्री० कुत्ती । यौ० कुत्ते- खसी - व्यर्थ और तुच्छ कार्य 1 मु० का कुत्ते ने काटा है- क्या पागल हुए हैं | कुत्ते की मौत मरना - बहुत बुरी तरह मरना । कुत्ते का दिमाग़ होना ( कुत्ते का भेजा खाना) - अधिक बकवाद करने की शक्ति होना । कपड़ों में लिपटने वाली बालों की घास, लपटो (दे० ) कल का वह पुरज़ा जो किसी चक्कर को उलटा या पीछे की ओर घूमने से रोकता है, दरवाज़े के बंद करने का एक लकड़ी का छोटा चौकोर टुकड़ा, बिल्ली, बंदूक का घोड़ा, नीच या तुच्छ व्यक्ति, क्षुद्र । कुत्सन- संज्ञा, पु० (सं० कुत्स + भनट् ) निन्दा, भर्त्सना |
कुत्सा - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) निंदा, गर्हा,
श्रवज्ञा ।
कुत्सित - वि० (सं० ) नीच, निंद्य, गर्हित, अधम | संज्ञा, पु० ( सं० कुत्स + क ) कुद, कोरैया औषधि |
कुथ - संज्ञा, पु० (सं० कुथ + अल् ) हाथी की भूल या बिछावन, रथ का श्रोहार, प्रातः स्नायी ब्राह्मण, कथरी, एक कीड़ा । कुथरी -कुथली - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) घोली, कोथली -- (दे० ) बुरे स्थान का । कुदकना -- -- प्र० क्रि० (दे० ) कूदना, फुदकना, फाँदना ।
कुदका -कुदका - संज्ञा, पु० ( हि० कुतका ) अँगूठा । संज्ञा. पु० (हि० कूदना ) उछल-कूद | . कुदरत - संज्ञा, स्त्री० ( ० ) शक्ति, प्रभुत्व, प्रकृति, माया, ईश्वरीय शक्ति, कारीगरी ।
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