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कुघा
कुछ कुघा*-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कुक्षि) दिशा, और राज-दंतों के बीच के दाँत, कीला, सीता ओर, तरफ ।
दाँत । स्रो० सा० भू० (हि० कुचलना)। कुघाट–संज्ञा, पु० (हि.) बुरा घाट, कुरूप, कुचाल-संज्ञा, स्त्री० (हि. कु०+चाल) बेडौल ।
बुरा आचरण, खराब चाल-चलन, दुष्टता, कुघात-संज्ञा, पु. ( हि० ) कुअवसर, छल, बदमाशी, बुरी चाल । वि०, संज्ञा, पु० (हि.
कपट, बेमौका । “बड़ कुधात की पात- कुचाल) कुचाली-कुमार्गी, दुष्ट । "बिधन किनी "-रामा०।
मनावहिं देव कुचाली"--रामा० । कुच-संज्ञा, पु० (सं०) स्तन, छाती, उरोज । | कुचाह - संज्ञा, स्त्री० (हि०) अशुभ बात, वि० कृपण, संकुचित ।
बुरी ख़बर, बुरी इच्छा। कुचकुचवा-संज्ञा, पु० ( दे० ) उल्लू कुचिल-कुचील-वि० दे० (सं० कुचैल) चिड़िया।
मैले वस्त्र वाला, मैला-कुचैला। कुचोला कुचकुचाना-स० क्रि० ( अनु० ) लगातार | (दे० ), कुचैला, कुचेल। कोंचना, बार बार नुकीली चीज़ फँसाना, | कुची-फॅची-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) कैंची, कुछ कुचलना। वि० कुचकुची--मसली | बुहारी, ब्रुश, झाड़ । हुई, ध्वस्त-विध्वस्त । “काची रोटी कुच कुचेष्टा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) बुरी चेष्टा, कुची"-गिर।
बुरी चाल, हानिप्रद यत्न, चेहरे का बुरा कुचना*-अ. क्रि० दे० (सं० कुंचन ) | भाव । वि० कुचेष्ट-बुरी चेष्टा वाला। नुकीली चीज़ का फंसना, सिकुड़ना, गड़ना। कुचैन -संज्ञा, स्त्री० (हि.) कष्ट, दुख, संज्ञा, स्त्री. (दे० ) कुचन---कुचित्राना, | व्याकुलता । वि० बेचैन, व्याकुल । गड़ना, कुचका ब० व०।
कुचैला-वि० (सं० कुचैल) मैले वस्त्र वाला, कुचक्र-संज्ञा, पु. (सं० ) हानिप्रद गुप्त | गंदा । स्त्री० कुचैली । यौ०-मैलाप्रयत्न, षडयंत्र ।
कुचैला। कुचक्री-संहा, पु० (सं० ) षडयंत्र रचने | कुचोध-संज्ञा, पु. ( सं० ) वितंडावाद । वाला, गुप्त प्रयत्न करके दूसरे को हानि | कुच्छित*-वि० दे० (सं० कुत्सित ) बुरा, पहुँचाने वाला।
अधम, नीच । कुचंदन- संज्ञा, पु० (सं० ) लाल चंदन, | कुछ--वि० दे० (सं० किंचित ) थोड़ी संख्या बिना सुगंध का चंदन ।
या मात्रा का, जरा, तनिक, रंच, थोड़ा। कुचर-संज्ञा, पु० (सं० ) श्रावारा, नीच मुहा०-कुछ एक-- कुछ थोड़ा सा, थोड़े । कर्म करने वाला, परनिंदक, बुरे स्थानों में कुछ कुछ-थोड़ा-बहुत, थोड़ा । कुछ घूमने वाला।
ऐसा-विलक्षण । कुछ न कुछकुचलना (कुचरना )-स० क्रि० (दे०) । थोड़ा बहुत, कम या ज्यादा । सर्व. मसलना, रौंदना, दबाना, चूर करना। (सं० कश्चित् ) कोई ( वस्तु )। मु० --सिर कुचलना-पराजित करना । मुहा०-कुछ का कुछ-और का और, कुचला (कुचिला)-संज्ञा, पु० दे० ( सं. उलटा । कुछ, कहना-कड़ी बात कहना, कच्चीर) दवा के काम में आने वाले विषैले बिगड़ना, विरुद्ध बात कहना, साधारण बीजों का एक पौधा, उसके बीज, सा. बात कहना । कुछ कर देना-जादू-टोना भू. (हि• कुचलना)।
कर देना, मंत्र प्रयोग करना। किसी को कुचली-संज्ञा स्त्री० (हि० कुचलना ) डाढों । कुछ हो जाना-कोई रोग या भूत-प्रेत
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