SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 477
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ४६६ कुंभक घट, कलश, हाथी के सिर के दोनों ओर वाले उभड़े भाग, ज्योतिष में दशवीं राशि, दो द्रोण या ६४ सेर का एक प्राचीन मान, प्राणायाम के ३ भागों में से एक (कुंभक) प्रति १२ वें वर्ष में पड़ने वाला एक पर्व, प्रह्लाद-सुत एक दैत्य, गुरुगुल, वेश्यापति, मेवाड़ के एक राजा ( १४१६ ई० ) । कुंभक - संज्ञा, पु० (सं० ) प्राणायाम का एक अंग जिसमें सांस की वायु को भीतर ही रोक रखते हैं । कुंभकर्ण – संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) रावण का भाई । कुंभकार – संज्ञा, पु० (सं० ) मिट्टी के बर्तन बनाने वाला, कुम्हार, मुर्गा । स्त्री० कुंभकारी - कुम्हारिन, कुलथी, मैनसिल । कुंभज - कुंभजात -- संज्ञा, पु० ( सं० ) घड़े से उत्पन्न पुरुष, अगस्त्य मुनि, वशिष्ठ, द्रोणाचार्य । " कहँ कुंभज कहँ सिंधु अपारा "" -रामा० । कुंभसंभव - संज्ञा, पु० (सं०) अगस्त्य ऋषि । कुंभवीर्य -संज्ञा, पु० (सं० ) रीठा । कुंभा - संज्ञा, पु० (सं० ) छोटा घड़ा, एक राजा, वेश्या । कुंभिका-संज्ञा, खो० (सं० ) कुंभी, जलकुंभी, वेश्या, कायफल, आँख की फुंसी, हजनी, बिलनी, परवल का पेड़, शूक रोग । कुँभिलाना - प्र० क्रि० (दे० ) कुम्हलाना । कुंभिनी- -संज्ञा, स्त्री० (दे०) पृथ्वी, जमालगोटा । कुंभी - संज्ञा, पु० (सं० ) हाथी, मगर गुग्गुल, एक विषैला कीड़ा, बच्चों को कुंश देने वाला एक राक्षस | संज्ञा, स्त्री० (सं०) छोटा घड़ा, कायफल का पेड़, दंती वृक्ष, दाँती (दे० ), जलकुंभी या जलाशयों की एक वनस्पति, कुंभीपाक नरक । यौ० कुंभीपुर - हस्तिनापुर | कुंभीधान्य - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) घड़ा या मटका भर अन्न जिसे कोई व्यक्ति या Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुकु परिवार ६ दिन या १ ( श्रन्यमत से ) साल में खा सके (स्मृति) | संज्ञा, पु० (सं० ) कुंभीधान्यक - कुंभीधान्य रखने वाला । कुंभीनस - संज्ञा, पु० (सं०) क्रूर सर्प, एक विषैला कीड़ा, रावण । स्त्री० कुंभीनसा । कुंभीपाक - संज्ञा, पु० (सं०) एक नरक ( पुरा० ) नाक से काला रक्त गिरने वाला सन्निपात । कुंभीर - संज्ञा, पु० (सं० ) नक्र या नाक नामक एक जल-जन्तु, एक प्रकार का कीड़ा। कुंभीकरुणा – संज्ञा, स्त्री० (सं० ) औषधि विशेष, निसोत । कुँवर - कुँवरेटा - संज्ञा, पु० दे० (सं० कुमार) लड़का, पुत्र, बेटा, राज पुत्र, बच्चा । स्त्री० कुँवरेटी - (दे० ) । कुवरि कुवँरी - संज्ञा स्त्री० (दे० ) कुमारी, पुत्री, राजकन्या । " रहि जनु कुवँरि चित्रश्रवरेखी " रामा० । कुवाँरा - वि० दे० (सं० कुमार ) बिना व्याहा, युवक, कुमार । स्त्री० कुवाँरी( सं० कुमारी ) । " ताते अबलगि रही कुवाँरी ". कुँह-कुँह * - संज्ञा, पु० दे० (सं० कुंकुम ) कुंकुम, केसर । रामा० । कु- उप० (सं० ) संज्ञा शब्दों के पूर्व लगकर उनके अर्थों में बुरा, नीच, कुत्सित आदि का भाव बढ़ाता है, जैसे कुमार्ग | संज्ञा, पु० (सं) पाप, अधर्म, निन्दा | संज्ञा, स्त्री० (सं० ) पृथ्वी । कुआँ कुवाँ - संज्ञा, पु० दे० (सं० कूप प्रा० कूब ) पानी के लिये पृथ्वी में खोदा हुआ गहरा गड्ढा, कूप, इँदारा । मुहा०- ( किसी के लिए ) कुआँ खोदना - नाश करने या हानि पहुँचाने का प्रयत्न करना | कुवाँ खोदना -जीविकार्य श्रम करना । कुएँ में गिरनाविपत्ति में पड़ना । कुएँ में बाँस पड़ना ( डालना ) - बहुत खोज होना (करना) । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy