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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालापानी ४५२ कालो भारी, भयानक, दुस्तर वस्तु, बहलोल कालिकाला ( कालिकला )-कि. लोदी का भांजा जो लिकंदर लोदी से लड़ा | वि० (हि.) कदाचित, कभी। था, नवाब मुरशिदाबाद का कट्टर और कालिख —संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कालिका) कर सेनापति। कालौंछ, कारिख (दे० ) स्याही। कालापानी-संज्ञा, पु० यौ० (हि.) मुहा०—मुंह में कालिख लगना बंगाल की खाड़ी का वह भाग जहाँ पानी (लगाना)-बदनामी के कारण मुँह दिखाने श्याम दीखता है, देश-निकाले का दंड, योग्य न रहना ( रखना ) कालिख अंडमानादि द्वीप जहाँ देश-निकाले के कैदी पोतना, पुतजाना। भेजे जाते हैं, शराब। कालिख्या—संज्ञा, स्त्री० (सं० ) किन्दवाली काला भुजंग-वि० (हि. काला--- भुजंग --सं०) बहुत काला, घोर श्याम वर्ण का। कालिदास-संज्ञा, पु० (सं० ) ई० ५८८ संज्ञा, पु. यो० (हि. ) काला साँप।। से पूर्व के लोक-प्रसिद्ध संस्कृत के महाकवि कालास्त्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक प्रकार और नाटककार जो विक्रमादिस्य की सभा का अमोघ वाण । के : रत्नों में से एक थे, दूसरे भवभूति कालायस-संज्ञा, पु० यौ० (सं० काल+ के समकालीन ( ई० ७४८) महाकवि प्रयस् ) इस्पात । थे, ( तीसरे ११वीं शताब्दी) राजा भोज कालिंग–वि० (सं० कलिंग ) कलिंग देश | के समय के प्रसिद्ध विद्वान ग्रन्थकार थे। का। संज्ञा, पु. कलिंग-वासी, हाथी, साँप, कालिब-संज्ञा, पु० (प्र.) टोपियों को तरबूज़ । चढ़ा कर दुरुस्त करने का गोल ढाँचा, कालिंजर—संज्ञा, पु. ( सं० कालंजर ) शरीर, देह । बाँदा प्रान्त का एक पुराण-प्रसिद्ध पवित्र कालिमा-संज्ञा, स्त्री. ( सं० काल+ पर्वत एवं तीर्थ स्थान । इमन् ) कालापन, कालिख, अँधेरा, कलंकी, दोष, लांछन । कालिंदी-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) कलिन्द ! कालीय-कालिय-काली-संज्ञा, पु० (सं०) पर्वत से निकली यमुना नदी, कृष्ण की कृष्ण का वश किया हुआ एक सर्प, यह एक स्त्री, एक वैष्णव-सम्प्रदाय । गरुड़ के भय से समुद्र को छोड़ व्रज में कालि (काल्ह, काल्हि )-क्रि० वि० यमुना के भीतर रहता था, कृष्ण की आज्ञा (दे०) कल । कालिक-वि० (सं० ) समय-सम्बन्धी, | कालियङ--संज्ञा, पु० (दे० ) मलय से फिर समुद्र में रहने लगा। अनिश्चित समय, कालोचित । चन्दन । कालिका—संज्ञा, स्त्री. (सं०) देवी की काली-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) चण्डी, दुर्गा, एक मूर्ति, चंडिका, काली, कालिख, बिछुथा पार्वती, १० महाविद्याओं में से प्रथम, पौधा, मेघ, स्याही, मसि, शराब, आँख अग्नि की ७ जिह्वानों में से प्रथम, एक की काली पुतली, रोम राजी, जटामासी, नदी, श्राद्या प्रकृति, शान्तनु-नृप-पत्नी। शृगाली, काकोली, कौवे की मादा, कुहरा, | क्रि० वि० (दे०) कल-"राम तिलक झाड़ी, ४ वर्ष की कन्या, सुवर, दक्ष की जो साँचेहु काली "-रामा०। वि० कन्या, काली मिट्टी। यौ० कालिका- | स्त्री० (हि० काला ) काले वर्ण की। यौ० पुराण-संज्ञा, पु० (सं०) कालिका देवी | कालीघटा-कादम्बिनी, काले बादल । के माहात्म्य का एक उपपुराण । कालीरात-अँधेरी रात । कालीज़बान For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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