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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काकुत्स्थ ४३८ काज काकुत्स्थ-संज्ञा, पु. ( सं० ) श्रीराम, कागारोल~ संज्ञा, पु० दे० (हि. काग+ ककुत्स्थ-वंशज। रोर-शोर ) शोर-गुल, हल्ला-गुल्ला ।। काकुल-संज्ञा, पु. (फा० ) कनपटी पर कागौर - संज्ञा, पु० (दे० ) काक-बलि । लटकते लंबे बाल, जुल्फ । काचलवण-संज्ञा, पु. (सं० ) कचिया काकोल-संज्ञा, पु. ( सं० ) नरक विशेष, नोन, काला नमक एक विषैली धातु । काकोली-संज्ञा, स्त्री० (सं.) सतावर की काची - संज्ञा, स्त्री० ( हि० कच्चा ) दूध सी एक अप्राप्य औषधि । की हाँडी, दुर्दैहड़ी, तीखुर, सिंघाड़े आदि काकोलूकिका-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) काक का हलुश्रा। वि. स्त्री० (सं० काचा = और उल्लू की सी शत्रुता। कचा ) कच्ची। काग-संज्ञा, पु० दे० (सं० काक ) कौया । कार-संज्ञा, पु० दे० (सं० कक्ष ) पेडू संज्ञा, पु. ( अं० कार्क) एक नरम लकड़ी। और जाँघ के जोड़ या उसके नीचे तक यौ० कागासुर-कृष्ण-द्वारा मारा गया का स्थान, काँछ या पीछे खोंसने का धोती एक दैत्य । कागावासी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) का छोर, लाँग, अभिनयार्थ नटों का वेश सबेरे कौवा बोलते समय का भाग, एक या बनाव । मुहा०-काछ काछनासमय का भाग, एक मोती, जो कुछ | वेष बनाना। काला हो। काछना-स० क्रि० दे० (सं० कक्षा ) लाँग काग़ज़-कागद (७०)-संज्ञा, पु. (अ.) या काँछ मारना ( खोंसना) वेष बनाना, सन्, रुई, पटुना और पेड़ों के गूदे को पहिनना, " तापस भेस बिराजत काछे" सड़ाकर बनाया हुआ लिखने का पत्र । - रामा० । स० कि० दे० (सं० कषण ) वि. काग़ज़ी-काग़ज का, काग़ज़ के से तरल पदार्थ को हाथ या चम्मच से खींच पतले छिलके का, जैसे काग़ज़ी नीबू या | कर उठाना । काँक्ना (दे०) बादाम, लिखा हुआ, लिखित । यौ० काछनी-कछनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. मुहा०--काग़ज़ी घोड़ा दौड़ाना काछना ) कस कर श्री रान पर चढ़ा कर लिखा-पढ़ी करना। ..." सत्य कहौं लिखि पहिनी हुई धोती जिसकी दोनों लाँगें कागद कोरे " रामा० । यौ० काग़ज-पत्र पीछे खोसी जाती हैं, एक प्रकार का कटि( अ० सं० ) लिखे हुए काग़ज़, प्रमाणिक वस्त्र । संज्ञा पु० (दे० ) काछा, काँछा । लेख, दस्तावेज़, प्रमाण-पत्र, समाचारपत्र, प्रामिसरी नोट । काछिन--संज्ञा, स्त्री० (दे०) काछी की स्त्री। मुहा०—काग़ज़ काला करना या रँगना काकी-संज्ञा, पु० दे० (सं० कच्छ == जल प्राय देश ) तरकारी बोने और बेचने वाला, -व्यर्थ कुछ लिखना । काग़ज़ की नाव --- अस्थायी वस्तु । काग़जी फूल-सार मुराई (दे०)। हीन कृत्रिम (दिखावटी) पदार्थ । काळू - संज्ञा, पु० (सं० कच्छप ) कछुवा । काग़जात--संज्ञा, पु. (अ. काग़ज़ का ब. | काछे--क्रि० वि० दे० (सं० कक्षे ) निकट, व०) काग़ज़-पत्र । पास । स० कि० (दे०) सा० भूतकागर -संज्ञा० पु. ( दे० ) काग़ज़ । (हिं०-काछने ) पहिने, पहिने हुए। (हि. काग ) चिड़ियों के मुलायम पर जो काज-संज्ञा पु० दे० (सं० कार्य ) काम, मुड़ जाते हैं। " कीर के कागर ज्यों नृप- कृत्य, प्रयोजन, अर्थ, व्यवसाय, पेशा, चीर".."कवि० । वि. कागरी-तुच्छ । । विवाह, कारज (दे०)। " अवसि काज For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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