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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कराव ४१४ करुणा कराव करावा--संज्ञा, पु० ( हि० करना ) | करिहाँ-करिहाय, करिहाँव--संज्ञा, स्त्री० एक प्रकार का विवाह, सगाई। दे० ( सं० कटिभाग) कमर, कटि, " कर कराह-संज्ञा, पु० दे० ( हि० करना --- माह)। जमाय करिहाँय '' --- गंगा०......"कतरे कराहने का शब्द, * संज्ञा, पु० (दे०) कतरे पतरे करिहाँ की "-पद्मा। कराह (सं० ) कड़ाह, कड़ाहा (दे०)। करी--संज्ञा, पु० दे० (सं० करिन् ) हाथी। कराहना-अ. क्रि० (दे० ) व्यथा-शब्द | संज्ञा, स्त्री० (सं० काँड ) छत पाटने की का निकालना, प्राह आह करना। शहतीर, कड़ी * कली ( हि० । पन्द्रह कराही कड़ाहो-- संज्ञा, स्त्री. (दे०) । मात्राओं का एक छन्द । क्रि० स० । करना कराह, कड़ाही। सा० भू० स्त्री० किया। " यौं करवीर करी करिंद-संज्ञा, पु० दे० (सं० करीन्द्र ) बन राजे-के० ।' सब चन्दन की सुभ ऐरावत या सर्वोत्तम हाथी। सुद्ध करी"--के। करिंदा--संज्ञा, पु० दे० ( अ० कारिन्दा) करीना * ----संज्ञा, पु० (दे०) करोना, टाँकी । ज़मीदार का नायब । मसाला। संज्ञा, पु० (अ. करीना ) ढङ्ग, करि - संज्ञा, पु० (सं० करिन् ) हाथी। तर्ज, तरीका, चाल, क्रम, शऊर । पू० का० क्रि० (करना) करके । स्त्री० करिनी। करी-स० कि० ( ब्र० करना ) कीजै । यौ० करिकुंभ-हाथी के मस्तक के टीले । करोब-क्रि० वि० (अ.) पास, समीप, करिज-संज्ञा, पु० (सं०) कलभ, हाथी लगभग । वि० करीबो । का बच्चा। करीम-वि० (अ.) कृपालु, संज्ञा, पु०करिखई-संज्ञा, अ. स्त्री० (दे०) कालिख, ईश्वर । कालिमा । करिखा, करखा, कारिख (दे०) करीर----संज्ञा, पु० ( स० ) बाँस का नवाकरिण-संज्ञा, पु. ( सं० ) हाथी, स्त्री० कर, करील वृत्त, घड़ा। करिणी। करील-संज्ञा, पु. ( सं० करीर ) बिना करिया* वि० (दे०) काला, संज्ञा, पु० पत्तियों का एक काँटेदार वृक्ष । "...करील दे० (सं० कर्ण) पतवार, कलवारी, माँझी, के कुञ्जन ऊपर वारौं ' - रस०।। केवट । “ करियामुख करि जाहु अभागे" --- करीय---संज्ञा, पु० ( सं० ) जङ्गल में मिलने रामा०, .."बहै करिया बिन नाउर" गि। वाला सूखा गोबर, बन कंडा, अरना । करियाई-संज्ञा, स्त्री० (दे०) कारिख, करीस-संज्ञा, पु० दे० ( स० करीश ) कालिमा। गजराज। करियाद-संज्ञा, पु० (सं० ) सूस, जल- | कल्बई-कराई --संज्ञा, स्त्री० ( दे.) हस्ति । कटुता ( सं० ) कडु यापन। करियारी-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) लगाम, करुयाना करवाना- अ. क्रि० (दे० ) बाग। कटु या तिक्त लगना, जलन होना, पीड़ा करिल-...संज्ञा, पु० दे० (सं० करीर) कोंपल ।। होना, दुखना । स० क्रि० कडू लगने पर वि० (हि. कारा, काला ) काला : "करिल मुख बनाना । केस विसहर विसभरे। "---१० करखी-वि० दे० (सं० कलुपो) कलुषयुक्त, करिवदन - संज्ञा, पु. ( सं० यौ० ) संज्ञा, स्त्री० (दे० ) कनखी । गणेशजी। करुणा-कम्ना-संज्ञा, स्त्री० (सं०) पर करिष्णु-वि० (सं० ) कर्तव्य, करणशील । दुख से उत्पन्न एक प्रकार का मनोविकार For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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