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करभोरु
४१२
करवीर करभोरु-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) हाथी की फररो-संज्ञा, पु० (दे०) ममरी, बनतुलसी ।
संड सी जंधा । वि० ऐसी जंघा वाला, कररूह-संज्ञा, पु. ( सं०) नाखून । करम-संज्ञा, पु० दे. (सं० कर्म) काम, भाग्य, | करल-संज्ञा, पु० दे० ( सं० कराह ) कार्य । यौ०-(करम दंड ) करम-भोग | कड़ाही। किए हुए कर्मों का दुखद फल । मुहा० करला-संज्ञा, पु. ( दे० ) कोमल पत्ता, करम फूटना-भाग्यमंद होना, करम | कनखा, कल्ला, स्त्री० करलो। होना-कष्ट या दुख मिलना, बेइज्जती करलगुवा—संज्ञा, पु० (दे० ) स्त्री वश, होना, (सब) करम करना--अपमान करना, स्त्रीजित् । कार्याकार्य करना । यो०-करम-रेख- | करवट-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० करवर्त) भाग्य-विधान, किस्मत में लिखा . करम | हाथ के बल लेटने की मुद्रा, पार्श्व पर रेख नहिं मिटत मिटाये'- करमचंद- लेटना । संज्ञा, पु. ( सं० करपत्र ) करवत, कर्म भाग्य । संज्ञा, पु. (अ.) मेहरबानी। पारा, जिससे शुभ फल की प्राशा से प्राण करमकल्ला -संज्ञा पु० (अ. करम+कल्ला- दिये जाते थे । प्राचीन )। हि ) बंद गोभी, पात गोभी, केवल पत्ते के | मुहा०-करवट बदलना (लेना) पलटा संपुट वाली गोभी।
और का शोर होना। करवटवानाहाना) करमनासा -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० कर्मनाशा खाना, उलट या फिर जाना । करवट न एक नदी।
लेना-कुछ ध्यान न रखना या देना । करमट्ठा-वि० दे० (सं० कृपण ) कंजूस । सन्नाटा खींचना। करवटे बदलना-तड़करमठ --वि०दे० (सं० कर्मठ) कर्मठ, कर्म- पना, बेचैन पड़ा रहना। (किस) करवट निष्ठ, कर्म-कांडी, कर्मप्रिय । संज्ञा, पु० | ऊंट बैठना-न जाने क्या होना। कमट-उपाय ।
करवत-संज्ञा, पु० (दे०) करपत्र (सं०) करमात-संज्ञा, पु० (दे०) भाग्य, कर्म। श्रारा। स्त्री० करामात (अ.)।
करवर*-संज्ञा, स्त्री. ( दे० ) विपत्ति, करमाला—संज्ञा, स्त्री० (सं०) माला के संकट, होनहार । संज्ञा, पु० (दे०) तलवार । अभाव में जप की गिनती करने के लिये " करवर टरी श्राजु सीता को"-रा० २०, उँगलियों के पोरों का प्रयोग । संज्ञा, पु. तव पंचम नृप करवर काठयो"-छल । (सं०) अमलतास।
यौ० श्रेष्ठ हाथ । करमाली-संज्ञा, पु. ( सं० ) सूर्य । करवा-संज्ञा, पु० दे० (सं० करक ) धातु करमी-वि० दे० (सं० कर्मी ) कर्म करने या मिट्टी का टोटीदार लोटा । यौ० करवा वाला, कर्मकाण्डी।
चौथ-संज्ञा, स्त्री० (सं० करका चतुर्थी ) करमुखा*-करमुँहा- वि० दे० (हि. कार्तिक कृष्ण चतुर्थी---जब स्त्रियाँ गौरी का काला + मुख ) काले मुँह वाला, कलंकी। । व्रत रखती हैं। स्त्री०-करमुखी, करमही।।
करवाना-स० क्रि० (हि० करना का प्रे० रूप) करर-संज्ञा, पु० ( देश० प्रान्ती० ) गाँठदार करने में प्रवृत्त करना। विषैला कीड़ा, एक प्रकार का घोड़ा। करवार*- (करवाल)- संज्ञा, स्त्री० दे० कररना*-करराना-अ. क्रि० (अनु०) (सं० ) तलवार, नाखून । स्त्री० ( अल्प० )
चरमराकर टूटना, कर्कश शब्द करना, कड़ा करवाली-छोटी तलवार, करौली। होना । संज्ञा, पु० कररान-धनु टंकार। । करवीर-संज्ञा, पु० (सं० ) कनेर का पेड़,
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