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कपोती-कपोतिका ४०३
कबरी कपोती-कपीतिका--संज्ञा स्त्री. (सं०) का कर जो वे श्मशान पर कफन फाड़ कर कबूतरी पेंडुकी, कुमारी, मूली, तरकारी।। लेते हैं, इधर उधर से भले या बुरे ढंग से वि० (सं० ) कपोत के रंग का, धूमला। धन जमा करने की वृत्ति, कंजूसी । “कफन कपोल--संज्ञा, पु० (सं०) गाल, गंडस्थल, खसौटी माँहि जात यह जनम बितायो । रुखसार ।
हरि। कपोल कल्पना-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) | कफनाना-स० कि० (दे०) मुर्दे पर मन गढंत, मिथ्या या बनावटी बात, गप्प। कफन लपेटना -- ... “ उतरी हमारी सारी वि०-कपोल कल्पित-झूठ, गप्प। माँहि कफनायगी-' रत्ना० कपोल गया--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ककनी --संज्ञा, स्त्री० (हि० कफ़न ) मुर्दे के कपोल + गेंदुप्रा-हि० ) गाल के नीचे रखने | गले का वस्त्र, साधुओं की मेखला। का तकिया, गल तकिया।
कफ-संज्ञा, पु० ( अं० ) पिंजड़ा, दरबा, कप्पर --- संज्ञा, पु० ( दे० ) कपड़ा (हि.)। बंदीगृह, कैदरवाना, तंग जगह । कप्पास-संज्ञा, पु० (सं०) कमल, बंदर कोणी--संज्ञा, पु० (सं० ) बाँह के नीचे का चूतड़ । वि०.--लाल।
__ की गाँठ, कोहनी। कफ-संज्ञा, पु. ( सं० ) खाँसने पर मुख कबंध-संज्ञा, पु० (सं०) पीपा, कंडाल,
और नाक से भी निकलने वाली गाढ़ी और बादल, मेघ, पेट, उदर, जल, बे सिर का लसीली अंठेदार वस्तु, श्लेष्मा, बलग़म, धड़, रुड, एक राक्षस जिसे राम ने जीता शरीर की एक धातु ( वैद्यक)।
और भूमि में गाड़ दिया था, राहु । कर ----संज्ञा, पु० ( अं० ) कमीज या कुत्तें | कब-क्रि० वि० दे० (सं० कदा ) किस का आस्तीन के आगे वाली बटन लगाने | समय, किप वक्त ( प्रश्न वाचक ) ? की दोहरी पट्टी । संज्ञा, पु० (फा०)। मु०-कब का, कब के, कब से देर कफन्न--संज्ञा, पु. ( सं०) कफारि-सोंठ से, विलंब से । कब नहीं-सदा, (शुंठी)। झाग, फेन. चकमक से श्राग़ बराबर, कभी नहीं, नहीं । कब लौं निकालने का लोहे का टुकड़ा-" काया (तक) ( ७० )-कितने समय तक । कफ चित चकमकै." कबीर । कफ नाशक, कबहूँ (७०) कबों, कबहुँ (दे०)कफ विरोधी ..मरिच ।
कभी भी। कब कब (बोप्सा)-किस कवर्धक-संज्ञा पु० यौ० (सं० ) कफ़ | किस समय । बहुत कम । बढ़ाने वाला, तगर वृत्त ।
कबड्डी-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) दो दल बना कहन-कफन--संज्ञा, पु० (अ.) मुर्दे पर कर खेला जाने वाला लड़कों का एक खेल, लपेटा जाने वाला वस्त्र । " हाय चक्रवर्ती | गबड्डी, काँपा कंपा। कौ सुत बिन कफन फुकत है "--हरि। कबरा--वि० दे० (सं० कर्बर, प्रा० कब्बर ) मु०--कफन को कौड़ी न होना सफेद रंग पर काले, लाल, पीले रंग के ( रहना ) अत्यंत दरिद्र होना। ककन | दाग़ वाला, चितला, कोढ़ी। को कौड़ी न रखना----सारी कमाई ख़र्च | कवरिस्तान--संज्ञा, पु० (दे० ) कब्रिस्तान, कर देना।
| जहाँ मुर्दे गाड़े जाते हों (मुसलमानों या कफन खसोट—वि० यौ० ( अ० कफ़न+ इसाइयों के )। खसेाट-हि० ) कंजूस, लोभी।
कबरी-वि० स्त्री० (हि. कबरा ) विवर्णता कफन खसौटी-संज्ञा, स्त्री० ( हि० ) डोमों । युक्त । संज्ञा, स्त्री० (सं० ) चोटी, बेणी।
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