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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकहायन ३६२ एकादशी हरी । यौ० एकहराबदन-दुबली- | एकाएक पाई है।" ० ० । नि० वि० पतली देह । एकाएकी-एकाएक । वि० (सं० एकाकी) एकहायन-वि० ( सं० ) एक वर्ष का | अकेला। (बच्चा )। एकार—संज्ञा, पु० (सं० ) मिल कर एक एकांग-वि० (सं०) एक ही अंग का, होने की दशा, एक मय होना, अभेद । वि० एक पक्ष का । वि० पु० (स्त्री०) एकांगी---- एक समान, एक श्राकार का, एकाचार, भेद एक तरफ का, हठी। भाव-रहित। एकांत-वि. ( स० ) अत्यंत, बिल्कुल । एकाकी—वि० (सं० एकाकिन् ) अकेला, अलग, अकेला, शून्य, निर्जन, सूना । संज्ञा, तनहा । स्त्री. एकाकिनी। “ सहज एका स्त्री० एकान्तता। संज्ञा, पु. ( सं० ) ! किन्ह के भवन रामा० । निराला या सूना स्थान । यो० एकान्त- एकाल-वि० सं० ) काना (करण सं०) सेवो-एकान्त में रहने वाला। संज्ञा, पु. कौवा, शुक्राचार्य । यौ० एकाक्षएकान्तकैवल्य-संज्ञा, पु० (सं० ) जीवन रुद्राक्ष.... एक मुखी रुद्राक्ष । मुक्ति । एकाक्षरा( एकातरी)-वि० (सं० ) एक एकान्तवास-संज्ञा, पु. ( सं० ) निर्जन ही अक्षर का, एक वृत्त जिसमें एक ही स्थान में अकेले रहना। अक्षर का प्रयोग होता है। इस प्रकार का एकान्तस्वरूप-वि० ( सं० ) निर्लिप्त, वृत्त केवल संस्कृत साहित्य में ही पाया असंग जाता है । यौ० एकाक्षरी कोश-प्रत्येक एकान्तर--संज्ञा, पु० (सं० ) एक अोर, अक्षर के अलग अलग अर्थ देने वाला कोश । अलग। एकान्तर कोण-संज्ञा, पु० (सं० ) एक एका--वि० (सं० एक अग् + र ) एक ओर का कोना। ओर स्थिर अचंचल, एक ही ओर ध्यान एकान्तिक---वि० (सं० ) एक देशीय, एक लगा हुआ। यौ० एकाग्रचित्त-वि० ही स्थान पर घटित। (सं० ) स्थिर चित्त । एकान्ती-संज्ञा, पु० (सं०) अपने भगवत्प्रेम एकाता--संज्ञा, स्त्री. (सं० ) चित्त की को अपने ही में रखने और प्रगट न करने स्थिरता, मनोयोग, अचांचल्य, ध्यानस्थैर्य । वाला भक्त । एकात -वि० (सं०) सार्वभौम, एकच्छत्र, एका—संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुर्गा, भगवती। चक्रवर्ती । संज्ञा, स्त्री० (दे० ) ऐक्य, एकता, मेल एकात्मता----संज्ञा, स्त्री. (सं० ) एकता, अभिसंधि, सहमति, एकोद्देश्य ।। अभेद, अभिन्नता, मिल कर एक होना, एकाई-संज्ञा, स्त्री० (हि. एक- आई- एकरूपता । संज्ञा, पु. एकात्मा-एक प्रत्य० ) एक का भाव, एक का मान, वह प्राण, एक देह, अभिन्न । मात्रा, जिसके गुणन या विभाग से दूसरी । एकादश-वि० (सं० ) ग्यारह (एक । मात्राओं का मान ठहराया जाय, अंक- दशन् + डट् ) ग्यारह का ग्रंक। गणना में प्रथमांक या प्रथम स्थान । एकादशाह--संज्ञा, पु. ( सं० ) मरने के इकाई (दे०)। दिन से ग्यारहवें दिन का संस्कार या कृत्य एकाएक-क्रि० वि० (हि. एक -- एक ) (हिन्दू)। अकस्मात्, सहसा । " कठिन समस्या एक एकादशी---संज्ञा, नी० (सं० ) प्रत्येक चांद्र For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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