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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकचक्र एकया देखते हुए । एकतरह-समान, तुल्य । एकडाल-संज्ञा, पु० (हि. ) एक ही बोहे एकतार-एक ही रंग-रूप का, समान, का बना पूरा कटार । लगातार, बराबर, समभाव से । एक | एकतः-क्रि० वि० (सं० ) एक ओर से। तो--- पहले तो । एकदम-लगातार, एकत-क्रि० वि० (दे०) एकत्र, एक जगा अकस्मात् । एकाएक---- फ़ौरन । एक पर । " कहलाने एकत बसत अहि-मयूरबारगी-एक साथ । एकदिल-खूब मृग-बाव ''—वि० । मिला-जुला, एक ही विचार का, अभिन्न एकतरफा-यौ०--वि० ( फा० ) एक पद हृदय । एक दूसरे का, को, पर, में, से ---- __ का, पक्षपात ग्रस्त, एक रुख । परस्परं । एक न चलना--कोई युक्ति | मु०-एकतरफा डिगरी--- मुद्दालैह की सफल न होना । एक न गलना-काई | गैरहाजिरी पर मुद्दई को प्राप्त होने वाली उपाय न लगना। एकपेट के–एक ही डिगरी, पक्षपात । माँ के, सहोदर ( भाई ) । एक ब एकता--संज्ञा, स्त्री. (सं० ) ऐक्य, मेल, एक-अकस्मात्, एक बारगी। एकबात | समानता । वि० (फ़ा०) अद्वितीय, अनुपम। ( सौ बात की)-ठीक या पक्की बात, संज्ञा, स्त्री० एकताई । दृढ़ या ध्रुव, सच्ची बात (प्रतिज्ञा )। एक एकतान-वि० ( सं० ) तन्मय, लीन, सा-समान, तुल्य । एक स्वर से एकाग्रचित्त, मिल कर एक। ( कहना-बोलना)—एक मत हो कर | एकतारा-संज्ञा, पु० यौ० ( हि०) एक तार कहना । एक होना-मेल करना, तद्रूप | का सितार । यौ० एक तारा । होना । एक चाल से-एक रूप या ढंग एकताल-संज्ञा, पु० (सं० ) सम ताल, से. लगातार । एक करना (आकाश- एक स्वर । पाताल )-समस्त. सम्भवासम्भव उपाय एकतालीस- वि० (सं० एकचत्वारिंशत् ) कर डालना । संज्ञा, पु० ब्रह्म, ईश्वर, चालीस और एक । संज्ञा, पु० (हि.) ४१ परमात्मा। की संख्या या अंक। एकचक्र--संज्ञा, पु० (सं०) सूर्य का रथ. | एकतीस-वि० दे० (सं० एकत्रिंश ) तीस सूर्य । वि० चक्रवर्ती। और एक । संज्ञा, पु० ३१ की संख्या । एकछत्र-वि० (सं०) बिना किसी दूसरे एकतीर्थी-संज्ञा, पु० (सं०) गुरुभाई, के आधिपत्य के (राज्य) जिसमें कहीं किसी सतीर्थ। और का राज्य या अधिकार न हो। कि. एकत्र-कि० वि० (सं०) इकठा, एक स्थान वि० एकाधिपत्य के साथ । संज्ञा, पु. पर । वि० एकत्रित । (सं० ) राजतंत्र—वह राज्य प्रणाली | एकदंत-संज्ञा, पु० (सं०) गणेश । जिसमें देश-शासन का सारा अधिकार एकदा-कि० वि० (सं० ) एक बार । अकेले एक ही व्यक्ति को प्राप्त होता है। एकदेशीय- वि० (सं० ) एक ही अवसर एकज---संज्ञा, पु० (सं० ) अद्विज, शूद्र, या स्थल के लिये, सर्वत्र न घटित होने राजा । वि० एकमात्र । यौ० एकजन्मासंज्ञा, पु० (सं० ) शूद्र, राजा। वाला, एक दिक् । संज्ञा स्त्री० (दे० ) पहिलोठी। एकदेह-संज्ञा, पु० (सं०) बुधग्रह, अभिज्ञ, वि० एकत्र, इकट्ठा। सगोत्र। एकड-संज्ञा, पु. (अ.) १३ बीधे या एकधा-प्रव्य. ( क्रि० वि० सं० ) केवल ४८४०व० ग० के बराबर का एक भू-माप।। एक बार, एकशः । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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