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उपराजजा
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उपलक्ष उपराजना-स० क्रि० दे० (सं० उपार्जन ) उपरी-उपरा-संज्ञा, पु० (दे० ) प्रति पैदा करना, रचना, उत्पन्न करना, कमाना, द्वंद्विता, चढ़ा-ऊपरी, स्पर्धा । कि० वि० बनाना, उपार्जन करना । " करि मनुहार (दे० ) ऊपर ही से। सुधा धार उपराजै हम"-रखाकर। उपरुद्ध-वि० (सं० ) रक्षित, प्रतिरुद्ध । उपराजा----संज्ञा, पु. ( सं० ) युवराज, । उपरूपक-संज्ञा, पु. (सं० ) छोटा नाटक,
छोटा राजा । वि० (उपराजनाहि.)। जिसके १८ भेद हैं। उपजाया, उगाया, उत्पन्न किया हुआ, उपरैना*---संज्ञा, पु० (दे०) उपरना, विरचा, बनाया हुआ।
दुपा । " कंचन बरन पीत उपरैना सोभित उपराना-स० कि० दे० (सं० उपरि ) साँवर अंग री"-सूर० । ऊपर करना, उठाना, ऊपर लाना, ऊंचा उपरैनी*---संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० उपरना) करना। अ० क्रि० (दे० ) ऊपर आना,
ओढ़नी।
उपरोक्त--वि० (हि. ऊपर ---उक्त-सं०) प्रकट होना, उतराना। उपराम–संज्ञा, पु. (सं०) निवृत्ति, विरति,
ऊपर कहा हुआ, पूर्व कथित, उल्लिखित,
पहिले कहा हुआ (शुद्ध रूप - उपयुक्तविराम, श्राराम ।
सं० उपरि + उक्त)। उपराला-संज्ञा, पु० दे० (हि. ऊपर+
उपरोध---संज्ञा, पु. (सं०) अटकाव, ला- प्रत्य० ) पत-ग्रहण, सहायता, रता,
__ रुकावट, पाच्छादन, ढकना, पाड़। बचाव " उपराला करि सक्यो न कोऊ -
। उपरोधक-वि० (सं० ) रोकने या बाधा छत्र।
. डालने वाला, भीतर की कोठरी । वि. उपरावटा*-वि० दे० ( सं० उपरि + । उपरोधित-पाच्छादित । मावर्त ) गर्व से सिर ऊँचा करने वाला, | उपरोहित-संज्ञा, पु० (सं० ) कुल-गुरु, अकड़ा हुअा, एठा हुआ, जिसका सिर ऊपर ।
पुरोधा, पुरोहित । संज्ञा, स्त्री. उपतना हो।
रोहिती-पुरोहित कर्म, उपरहिती (दे०) । उपराहना-अ० कि० ( ? ) प्रशंसा
उपरौटा-संज्ञा, पु० दे० (हि. ऊपर + पट) करना, सराहना।
ऊपर का पल्ला ( किसी वस्तु के )। उपराहो-क्रि० वि० (दे०) ऊपर, “ बरनौं
उपरौना-संज्ञा, पु० ( दे० ) उपरना, माँग सीप उपराही"-प० । वि० श्रेष्ठ,
(हि.) दुपक्ष। बढ़कर, उत्तम, “ धावहिं बोहित मन उप
उपना-संज्ञा, पु० ( दे०) उपरना, (हि.) राही"-प०।
चद्दर, चादर। उपरि–क्रि० वि० (सं० ) ऊपर, ऊर्ध्व । उपयुक्त-वि० (सं० उपरि + उक्त ) उपयौ० उपरिदृष्टि----संज्ञा, स्त्री. (सं०) रोक्त, ऊपर कहा हुआ। तुच्छ देवता की दृष्टि, वायु का प्रकोप । उपय्यु परि---अव्य. (सं०) यौ० ऊपर• उपरिष्ठात-क्रि०वि० (सं० ) ऊपर, ऊर्ध्व । ऊपर, ऊपर के ऊपर । उपरिस्थ-वि० (सं०) ऊपर स्थित, उपर्ला-संज्ञा, पु० (दे०) उपल्ला (हि.)। ऊपर का।
उपल--संज्ञा, पु० (सं० ) पत्थर, श्रोला, उपरी-वि० (दे० ) ऊपर का, ऊपरी, जोते रन, मेघ, चीनी. बालू, "... उपलदेह
खेत के ऊपर की मिटी, भूमि से उखाड़ी धरि धरी '-रामा० । हुई, मिट्टी । संज्ञा, स्त्री० (दे०) उपली, उपलक्ष-संज्ञा, पु० (सं० ) संकेत, चिन्ह, कंडी, छाता।
दृष्टि, उद्देश्य । भा० श. को०-३
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