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कुढंगी।
उन्मादन
३३०
उपकारक उन्मादन-संज्ञा, पु. (सं०) उन्मत्त या मुक्त-करण । वि० उन्मोचनीय-मुक्त करने मतवाला करने की क्रिया, कामदेव के पांच | योग्य, त्याज्य । वि० उन्मोचित-मुक्त, वाणों में से एक।
स्यक्त, वि० उन्मोचक-छुड़ाने वाला, उन्मादी- वि०(सं० उन्मादिन ) उन्मत्त, । मुक्त करने वाला। पागल, बावला । स्त्री० उन्मादिनी।
उन्हानि-संज्ञा, स्त्री० (दे०) बराबरी, समता। "..."थी मानसोन्मादिनी" -प्रि० प्र० ।
उन्हारा--संज्ञा, पु. ( दे० ) डील-डौल, रूप, उन्मान-संज्ञा, पु० (सं० ) तौल, परिमाण,
अनुहारि, उनहारि।
उन्हारि-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) रूप, आकार, नाप, उनमान (दे०)।
शकल, प्रकार । “ज्यौं एकै उन्हारि कुम्हार उन्मार्ग-संज्ञा, पु. (सं० ) कुमार्ग, बुरा
के भांडे"-दे। रास्ता, बुरा ढंग । वि. उन्मार्गी-कुमार्गी,
उपंग -- संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार का उन्मिषित-वि० (सं० उत् + मिष् -।-क्त )
बाजा, ऊधव के पिता, " चंग उपंग नाद प्रफुल्लित, विकसित, फूला हुआ,खिला हुआ।
सुर तूरा"-प०
उपंत - वि० दे० (सं० उत्पन्न ) उत्पन्न, प्रगट । उन्मीलन-संज्ञा, पु० (सं० ) खुलना ( नेत्रों
उप-उप० (सं० ) एक उपसर्ग, यह जिन का ) उन्मेष, विकसित होना, खिलना ।
शब्दों के पूर्व पाता है उनमें इस प्रकार वि. उन्मीलनीय, वि. उन्मीलक
श्रर्थान्तर या विशेषता कर देता है--समीविकासक, खोलने वाला। उन्मीलना-स० क्रि० दे० (सं० उन्मीलन)
पता- उपकूल, उपनयन, २-सामर्थ्य
(श्राधिक्य) उपकार, ३-गौणता-(न्यूनता) खोलना। उन्मीलित-वि० (सं० ) खुला हुआ,
उपमंत्री,उपसभापति, ४-व्याप्ति-उपकीर्ण । प्रस्फुटित । संज्ञा, पु. एक प्रकार का अर्थालंकार
यौ० उपकंठ-वि० (सं० ) निकट, समीप।
संज्ञा, पु. (सं.) ग्राम के समीप अश्व जिसमें दो वस्तुओं ( उपमेय, उपमान ) के
गति-विशेष। इतने अधिक सादृश्य का वर्णन किया जाय।
उपकथा-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) आख्यायिका कि केवल एक ही बात के कारण उनमें भेद
कहानी, कल्पित कथा। दिखलाई पड़े।
उपकरण-संज्ञा, पु. ( सं० ) सामग्री, उन्मुख-वि० (सं० ) ऊपर मुंह किये हुये, राजाओं के छत्र चवर श्रादि राज-चिन्ह, उत्कंठित, उत्सुक, उद्यत, तैरयार, ऊर्ध्वमुख ।। परिच्छेद, भोजन में चटनी श्रादि बाहिरी वि० स्त्री० उन्मुखा, उन्मुखी।
पदार्थ, पुष्प, धूप, द्वीप आदि पूजन की उन्मूलक-वि० (सं० ) समूल नष्ट करने सामग्री, प्रधान द्रव्य या वस्तु, सोधक वस्तु। वाला, बरबाद करने वाला, उखाड़ने वाला । उपकरना8-स० क्रि० दे० (सं० उपकार) उन्मूलन-संज्ञा, पु० ( स० उत् + मूल् + उपकार करना, भलाई करना, हित करना। अनट ) जड़ से उखाड़ना, समूल नष्ट करना, उपकर्ता संज्ञा० ५० (सं० ) उपकारक । उत्पादन, ऊपर खींचना। वि० उन्मूलनीय,
उपकार-संज्ञा, पु० (सं० उप+ +-घज्) वि० उन्मूलित-उखाड़ा हुआ, विनष्ट । भलाई. हित, नेकी, सलूक, हितसाधन, उन्मेष-संज्ञा, पु० (सं०)खुलना (आंखोंका) लाभ, फायदा । विकाश, खिलना, थोड़ा प्रकाश, उन्मीलन, उपकारक-वि० (सं०) उपकार करने वाला,
ज्ञान, बुद्धि, पलक । वि० उन्मिषित। उपकारी, भलाई करने वाला, हितकारक उन्मोचन-संज्ञा, पु० ( सं० ) परित्याग, स्त्री० उपकारिका, उपकर्ती ।
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