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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदासना ३२२ उदोत अलग, निरपेक्ष, तटस्थ, दुखी, रंजीदा, | कहा हुआ, “ उदित अगस्त पंथ-जन खिन्न, व्यग्रचित्त । सोखा"-रामा० " उदित उदय गिरिउदासना -- स० क्रि० (दे०) उजाड़ना, | मंच पर"-रामा० । समेटना, तोड़ना, फोड़ना, चित्त न लगना। उदित यौवना-संज्ञा, स्त्री. (सं० यौ०) उदासी- संज्ञा, पु. (सं० उदास+ई- मुग्धा नायिका का एक भेद, धागत यौवना हि. प्रत्य० ) विरक्त पुरुष, त्यागी पुरुष, जिसमें तीन भाग यौवन और एक भाग संन्यामी, नानकशाही साधुओं का एक लड़कपन हो। भेद, बैरागी, एकान्त-वासी । संज्ञा, स्त्री०-- उदीची-संज्ञा, स्त्री० (सं० उत् + अ + ई ) खिन्नता, दुख । यौ०-उदासीबाज-एक उत्तर दिशा। प्रकार का बाजा। | उदीच्य--वि० (सं०) उत्तर का रहने वाला, उदासीन-वि० (सं०) विरक्त, जिसका __उत्तर दिशा का,शरावती नदी का पश्चिमोत्तर चित्त हट गया हो, तटस्थ, उपेक्षायुक्त, । देश । संज्ञा, पु० (सं० ) बैताली छंद का ममता-रहित, वासना-शून्य, संन्यासी, समदर्शी, जो पक्षापक्ष में से किसी की ओर उदीपन - संज्ञा, पु० ( दे० ) उद्दीपन (सं०) भी न हो, निष्पक्ष, रूखा, प्रेम-शून्य उत्तेजन । निरपेक्ष, विरोधी बातों से अलग। उदीरण-संज्ञा, पु० (सं० उत् + ईर् + उदासीनता - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) विरक्ति अनट ) कथन, उच्चारण, वाक्य, कहना। त्याग, निरपेक्षता, निवहता, उदासी, उदीरित-वि. (सं०) उच्चारित, उक्त, कथित । खिन्नता। उदुम्बर-संज्ञा, पु. ( सं० ) गूलर, देहली, उदाहर-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) धुंधला रंग, ड्योढ़ी, नपुंसक, एक प्रकार का कोढ़, ऊमर, भूरा। वि० औदंबर। उदाहरण-संज्ञा, पु. (सं०) दृष्टान्त, उदृखल-संज्ञा, पु० (सं०) ऊखल, अोखली, निदर्शन, उपमा, मिसाल, तर्क के पांच गूगुल। अवयवों में से तीरा, जिसके साथ साध्य उदूल हुक्मी-संज्ञा, स्त्री० (फा० ) आज्ञा का साधर्म्य या वैधयं होता है, एक प्रकार न मानना, प्राज्ञोल्लंघन, अवज्ञा । का अलंकार जिपमें इव, जिमि, जैसे आदि उदेग-संज्ञा, पु० (दे०) उद्वेग (सं०) पदों के द्वारा किसी सामान्य बात का स्पष्टी- व्यग्रता। करण किया जाता है। उदै। - संज्ञा, पु. (दे०) उदय (सं.) उदाहत वि० (सं० उत्+आ+ह+क्त) उन्नति । स० क्रि० दे० प्रगट होना। दृष्टान्त दिया हुआ, उत्प्रेक्षित, उक्त, कथित, उदो--संज्ञा, पु० (दे०) उदय (सं०)। उदाहरण से समझाया हुआ। उदोत-संज्ञा, पु० दे० (सं० उद्योत् ) उदियाना* --अ० क्रि० दे० (सं० उद्विग्न ) प्रकाश, उन्नति, वृद्धि, कांति, शोभा, बढती, उद्विग्न होना, घबराना, हैरान होना, परे- "तिन को उदोत केहि भाँति होय"शान या व्याकुल होना। राम । “तिय ललाट बेंदी दिये, अगनित उदित वि० (सं० उद्-+5+क्त ) जो बढ़त उदोत"-बि० । वि. प्रकाशित, उदय हुआ हो, उद्गत, आविर्भूत, प्रगट उदित, दीप्त, शुभ्र, उत्तम, प्रकट, " होत हुश्रा, निकला हुआ, प्रकाशित, जाहिर, उदोत प्रभाकर को दिसि पच्छिम तौ कछु उज्वल, स्वच्छ, प्रफुल्लित, प्रसन्न, कथित, दोष नहीं है-मो०रा० । For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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