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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तप्त ३१५ उत्तरदायी उत्तप्त-वि० (सं० ) ख ब तपा हुआ, (सं० ) युधामन्यु का भाई, मनु के दस दुःखी, दग्ध, पीड़ित, संतप्त, उष्ण, परिप्लुत, पुत्रों में से एक । चिंतित । संज्ञा, स्त्री० (सं०) उत्तप्तता- उत्तर-संज्ञा, पु० (सं० ) दक्षिण दिशा के उष्णता, संताप। सामने की दिशा, उदीची, किसी प्रश्न या उत्तम-वि० (सं०) श्रेष्ठ, अच्छा, सब से बात को सुनकर तत्समाधानार्थ कही हुई भला, मुख्य, प्रधान । संज्ञा, पु. श्रेष्ठ नायक, बात, जवाब, बहाना, मिस, व्याज, हीला, राजा उत्तानपाद का, रानी सुरुचि से उत्पन्न प्रतिकार, बदला, एक प्रकार का अलंकार पुत्र जिसे वन में एक यक्ष ने मार डाला था। जिसमें उत्तर के सुनते ही प्रश्न का अनुमान उत्तमतया-क्रि० वि० (सं० ) भली भाँति, किया जाता है या प्रश्नों का अप्रसिद्ध अच्छी तरह से। उत्तर दिया जाता है। एक प्रकार का उत्तमता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) श्रेष्ठता, दूसरा अलंकार (चित्रोत्तर) जिसमें प्रश्न के ख बी, भलाई, उत्कृष्टता । (दे०) उत्तम- वाक्यों ही में उत्तर रहता है अथवा बहुत ताई-बड़ाई। से प्रश्नों का एक ही उत्तर होता है। प्रतिउत्तमत्व-संज्ञा, पु० (सं०) अच्छाई, श्रेष्ठता। वचन । संज्ञा, पु० (सं० ) विराट महाराज उत्तमपद - संज्ञा, पु० ( सं० ) श्रेष्ठ पद, का पुत्र, यह अभिमन्यु का साला था, मोक्ष, अपवर्ग । इसकी बहिन उत्तरा थी। वि०-पिछला, उत्तम पुरुष-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) बोलने बाद का, ऊपर का, बढ़कर, श्रेष्ठ । क्रि० वाले पुरुष को सूचित करने वाला सर्वनाम वि०-पीछे, बाद, अनन्तर, पश्चात् । (व्या०) जैसे--मैं, हम। उत्तरकाल-संज्ञा, पु० यौ० (सं) पश्चात् उत्तमर्ण-संज्ञा, पु. ( सं० उत्तम + ऋण) काल, भविष्य, श्रागामी काल । ऋणदाता, महाजन, व्यौहर (दे०)। उत्तरकाशी--संज्ञा, स्त्री० (सं० ) हरिद्वार उत्तमादूती-संज्ञा, स्त्री. (सं०) नायक __ के उत्तर में एक तीर्थ ।। या नायिका को मधुरालाप से मना लेने उत्तरकुरु-संज्ञा, पु. (सं०) जम्बूद्वीप के वाली श्रेष्ठ दूती। नव वर्षों में एक, एक जानपद या देश ।। उत्तमानायिका-संज्ञा, स्त्री. (सं० यौ०) उत्तरकोशल-संज्ञा, पु० (सं० ) अयोध्या पति के प्रतिकूल होने पर भी स्वयं अनुकूल | के आस-पास का देश, अवध प्रान्त । बनी रहने वाली स्वकीया नायिका। उत्तरक्रिया-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अन्त्येष्टि उत्तमसंग्रह--संज्ञा, पु० (सं०) सम्यक्संग्रह, | क्रिया, पितृकर्म, श्राद्ध आदि। एकान्त में पर-स्त्री से आलिंगन । वि० | उत्तरच्छद-संज्ञा, पु० (सं० ) आच्छादनवस्त्र, ऊत्तमसंग्रही। पलंगपोश । “शय्योत्तरच्छद विमर्द कृशांगराउत्तमसाहस-संज्ञा, पु. (सं०) दंड विशेष, गम्"-कालि। (८०००० पण) अति साहस, दुस्साहस। | उत्तरदाता-संज्ञा, पु० (सं० ) जवाबदेह, उत्तमांग-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) मस्तक, | जिससे किसी कार्य के बनने या बिगड़ने की सिर । पूछताछ की जाय, ज़िम्मेदार । उत्तमोत्तम-वि० यौ० (सं० ) अच्छे से | उत्तरदायित्व-संज्ञा, पु० (सं० ) जवाबअच्छा, श्रेष्ठातिश्रेष्ठ, परमोत्कृष्ट । देही, ज़िम्मेदारी। उत्तमौजा-वि० (सं० उत्तम+भोजस् ) उत्तरदायी -वि० (सं० उत्तरदायिन) जवाबउत्तम तेज या पराक्रम वाला । संज्ञा, पु० । देह, जिम्मेदार। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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