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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इती इती8-वि० खी० दे० ( हि० इतनी ) इतनी, इदानी-कि० वि० (सं० ) इस समय में एलो (ब्र०) इत्ती (दे० )। (अव्य० ) सम्प्रति, अधुना । इतेक - वि० दे० (हि. इत---एक ) इदानीन्तन-वि० ( सं० ) अाधुनिक, इतना, इतना ही। साम्प्रतिक, इस समय का । इतो*-वि० दे० (सं० इयतं = इतना ) इधर-कि० वि० दे० (सं० इतर ) इस इतना, एतो (७०) इत्तो (दे०)। ओर, यहाँ, इस तरफ़, इस स्थान पर, अन्न । इत्तफ़ाक-संज्ञा, पु० (अ.) मेल, मिलाप, ..इधर-उधर---यहाँ-वहाँ, इतस्ततः एका, सहमति, सहयोग, मौक़ा, अवसर। आस-पास, इनारे-किनारे चारो ओर, सब वि० इत्तफ़ाकिया-श्राकस्मिक, मौके का। थोर, जहाँ-तहाँ। क्रि० वि० इत्तफाकन-संयोगवश, मौके से। इधर उधर करना-टाल-मटूल करना, मु०-इत्तफाक पडला... संयोग उपस्थित हीला-हवाला करना, उलट-पलट करना, होना, मौका पड़ना। क्रम भंग करना, तितर-बितर करना, हटाना. इत्तफाक से-संयोगवश, अकस्मात् । भिन्न भिन्न स्थानों पर कर देना । इधर-उधर की ( बात ----अफ़वाह, इत्तला-स्त्री. संज्ञा, दे० (ग्र० इतलाम) सुनी-सुनाई बात, बेठिकाने की बात, सूचना, ख़बर। असंवद्ध या बेसिर-पैर की बात, गप्य-सप्प । यौ० इत्तलानामा--सूचना-पत्र । इधर-उधर के काम--व्यर्थ के कार्य, इत्ता-इत्तो*-वि० (दे०) इतो, एता इतना, अनुपयोगी अनावश्यक कार्य । व० व० इत्ते, स्त्री० इत्ती। इधर-उधर की उड़ाना-भूठ-सच और इत्थं-क्रि० वि० (सं० ) ऐसे. यों, इस व्यर्थ की बातें करना, अनुपयोगी बातें या प्रकार, इस तरह। गपशप करना। इत्थंभूत--वि० (सं० ) ऐसा, इस प्रकार । इधर का (को) उधर करना-व्यर्थ इत्थमेव-वि० (सं० ) ऐसाही, योंही। का काम करना, वेठिकाने का काम करना, इत्यादि--अव्य० (सं० ) इसी प्रकार अन्य, चुगली करना, इसकी बात उससे और प्रभृति, आदि, इसी तरह और दूसरे, उसकी बात इससे कहना। वगैरह। इधर को उधर लगाना-चुगली खाना इत्यादिक ---अव्य० (सं० इत्यादि । क) इसी या करना, झगड़ा लगाना, लड़ाई या विरोध प्रकार के अन्य और, वगैरह, प्रभृति, आदि । कराना, परस्पर वैमनस्य पैदा करना । इत्र-संज्ञा, पु० ( उः ) अतर, इतर, पुष्पलार, इधर की दुनिया उधर होना-अनहोनी यौ० इत्रदान संज्ञा, पु०-इतर रखने या असम्भव बात होना, प्राकृतिक नियमों का पात्र । का परिवर्तित होना या बदल जाना। इत्रफ़रोश-संज्ञा, पु० ( फा० ) इतर बेचने । इधर-उधर में रहना-व्यर्थ के कामों वाला। से समय खोना, झगड़ा कराते रहना, इनीफल-संज्ञा, पु० दे० (सं० त्रिफला ) चुग़ली करते रहना, समय बरबाद करना । शहर में बनाया हुआ त्रिफला का अवलेह । इधर-उधर छाना-तितर-बितर होना, इदम्--सर्व. (सं० ) यह, पुरोवर्ती। उलट-पलट होना, बिगड़ना, भाग जाना, इदमित्थं-अव्य० ( ) ऐसाही है, ठीक एक स्थान या मनुष्य से दूसरे स्थान या है, यही है। मनुष्य के पास हो जाना, खो जाना। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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