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इती
इती8-वि० खी० दे० ( हि० इतनी ) इतनी, इदानी-कि० वि० (सं० ) इस समय में एलो (ब्र०) इत्ती (दे० )।
(अव्य० ) सम्प्रति, अधुना । इतेक - वि० दे० (हि. इत---एक ) इदानीन्तन-वि० ( सं० ) अाधुनिक, इतना, इतना ही।
साम्प्रतिक, इस समय का । इतो*-वि० दे० (सं० इयतं = इतना )
इधर-कि० वि० दे० (सं० इतर ) इस इतना, एतो (७०) इत्तो (दे०)।
ओर, यहाँ, इस तरफ़, इस स्थान पर, अन्न । इत्तफ़ाक-संज्ञा, पु० (अ.) मेल, मिलाप,
..इधर-उधर---यहाँ-वहाँ, इतस्ततः एका, सहमति, सहयोग, मौक़ा, अवसर।
आस-पास, इनारे-किनारे चारो ओर, सब वि० इत्तफ़ाकिया-श्राकस्मिक, मौके का।
थोर, जहाँ-तहाँ। क्रि० वि० इत्तफाकन-संयोगवश, मौके से।
इधर उधर करना-टाल-मटूल करना, मु०-इत्तफाक पडला... संयोग उपस्थित
हीला-हवाला करना, उलट-पलट करना, होना, मौका पड़ना।
क्रम भंग करना, तितर-बितर करना, हटाना. इत्तफाक से-संयोगवश, अकस्मात् ।
भिन्न भिन्न स्थानों पर कर देना ।
इधर-उधर की ( बात ----अफ़वाह, इत्तला-स्त्री. संज्ञा, दे० (ग्र० इतलाम)
सुनी-सुनाई बात, बेठिकाने की बात, सूचना, ख़बर।
असंवद्ध या बेसिर-पैर की बात, गप्य-सप्प । यौ० इत्तलानामा--सूचना-पत्र ।
इधर-उधर के काम--व्यर्थ के कार्य, इत्ता-इत्तो*-वि० (दे०) इतो, एता इतना,
अनुपयोगी अनावश्यक कार्य । व० व० इत्ते, स्त्री० इत्ती।
इधर-उधर की उड़ाना-भूठ-सच और इत्थं-क्रि० वि० (सं० ) ऐसे. यों, इस व्यर्थ की बातें करना, अनुपयोगी बातें या प्रकार, इस तरह।
गपशप करना। इत्थंभूत--वि० (सं० ) ऐसा, इस प्रकार । इधर का (को) उधर करना-व्यर्थ इत्थमेव-वि० (सं० ) ऐसाही, योंही। का काम करना, वेठिकाने का काम करना, इत्यादि--अव्य० (सं० ) इसी प्रकार अन्य, चुगली करना, इसकी बात उससे और प्रभृति, आदि, इसी तरह और दूसरे, उसकी बात इससे कहना। वगैरह।
इधर को उधर लगाना-चुगली खाना इत्यादिक ---अव्य० (सं० इत्यादि । क) इसी या करना, झगड़ा लगाना, लड़ाई या विरोध
प्रकार के अन्य और, वगैरह, प्रभृति, आदि । कराना, परस्पर वैमनस्य पैदा करना । इत्र-संज्ञा, पु० ( उः ) अतर, इतर, पुष्पलार,
इधर की दुनिया उधर होना-अनहोनी यौ० इत्रदान संज्ञा, पु०-इतर रखने या असम्भव बात होना, प्राकृतिक नियमों का पात्र ।
का परिवर्तित होना या बदल जाना। इत्रफ़रोश-संज्ञा, पु० ( फा० ) इतर बेचने । इधर-उधर में रहना-व्यर्थ के कामों वाला।
से समय खोना, झगड़ा कराते रहना, इनीफल-संज्ञा, पु० दे० (सं० त्रिफला ) चुग़ली करते रहना, समय बरबाद करना ।
शहर में बनाया हुआ त्रिफला का अवलेह । इधर-उधर छाना-तितर-बितर होना, इदम्--सर्व. (सं० ) यह, पुरोवर्ती।
उलट-पलट होना, बिगड़ना, भाग जाना, इदमित्थं-अव्य० ( ) ऐसाही है, ठीक एक स्थान या मनुष्य से दूसरे स्थान या है, यही है।
मनुष्य के पास हो जाना, खो जाना।
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