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आयु २५७
श्रार श्रान्ति, श्रम, क्लेश, व्यायाम, प्रयास, प्रायुष्टोम-संज्ञा, पु० (सं०) आयु-वृद्धियत्न ।
कारक एक प्रकार का यज्ञ, चिरजीवन-प्रद वि० श्रायासी-परिश्रमी।
यज्ञ। प्राय-संज्ञा, स्त्री० (सं०) वय, उम्र, प्रायमान्-वि० ( सं० ) दीर्घजीवी, ज़िन्दगी, अवस्था. जीवन-काल ।
दीर्घायु, ज्योतिष के २७ योगों में से मु०-" श्रायु खुटना"-आयु कम तीसरा। होना।
स्त्री० आयुष्मती-चिरजीविनी। "सो जानै जनु आयु खुटानी"-रामा० ।। आयुष्य-संज्ञा, पु० (सं०) श्रायु, उम्र, प्रायु की रेख मिटाना-मृत्यु का अाह्वान अवस्था । करना, मृत्यु बुलाना, मरण की इच्छा | वि० (सं० ) आयु का हितकारक, प्रायुकरना।
वर्धक । "श्रायु की रेख मिटावति मानौ"- श्रायोगव-संज्ञा, पु० (सं० ) वैश्य स्त्री और मति ।
शूद पुरुष से उत्पन्न एक संकर जाति, प्रायुदीय- संज्ञा, पु० (दे० ) अवस्था, उम्र, बढ़ई ( स्मृति)। श्रायु ।
प्रायोजन-संज्ञा, पु० (सं० ) किसी कार्य श्रायुध-संज्ञा, पु. ( सं० ) हथियार, में लगना, नियुक्ति, प्रबंध, इंतिजाम, शस्त्र, अस्त्र ।
तैय्यारी, उद्योग, सामग्री, सामान, साजप्रायुधागार-संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) सामान, संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रायोजना। अस्त्रागार, शस्त्रालय।
प्रायोजित - वि० (सं० ) कृतोद्योग, आयुधिक-वि० ( सं० ) अस्त्रजीवी,
नियुक्त किया हुआ, सुव्यवस्थित, शस्त्रधारी।
विधानित। आयुधीय-वि० (सं० ) अस्त्रधारी, शस्त्रा- |
प्रायोधन-संज्ञा, पु० (सं०) युद्ध, रण, जीव ।
संग्राम, लड़ाई, युद्ध करना। प्रायुबल-संज्ञा, पु० ( सं० ) श्रायुष्य,
वि० प्रायोधित-कृत युद्ध । उम्र, अवस्था।
वि० (सं० ) प्रायोधनीय-युद्ध के
योग्य । आयुर्वेद-संज्ञा, पु० चौ० (सं० ) आयुसम्बन्धी शास्त्र, चिकित्सा शास्त्र, धन्वन्तरि
प्रारम्भ-संज्ञा, पु० (सं० ) किसी कार्य की
प्रथमावस्था का सम्पादन, अनुष्ठान, उत्थान, प्रणीत श्रायु-विद्या, अथर्ववेद का उपवेद,
उपक्रम, शुरू, किसी वस्तु का श्रादि, शुरू वैद्यक विद्या, निदान शास्त्र, श्रायु-विज्ञान,
का हिस्सा, उत्पत्ति, श्रादि, श्रीगणेश, वैद्य-विद्या।
प्रारम्भ । प्रायुर्वंदीय-वि० यौ० (सं०) आयुर्वेदज्ञ, प्रारम्भना -अ. क्रि० दे० (सं० चिकित्सक, वैद्य, आयुर्वेद सम्बन्धी ।
प्रारंभण) शुरू होना। प्रायुष्कर-वि० (सं० ) परमायु-जनक, | स० क्रि० प्रारम्भ करना, प्रारम्भ करना, आयुवर्धक, दीर्घायु करने वाला।
शुरू करना। प्रायुष्काम-वि० (सं०) दीर्घजीवना- | " अवध अरंभेउ जबते"-रामा० । भिलाषी, परमायुप्रार्थी, दीर्घजीवी, चिर-पार - संज्ञा, पु० (सं०) एक प्रकार का जीवनैषी।
| बिना साफ किया हुमा, निकृष्ट लोहा, भा० श. को०-३३
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