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प्राथी-प्राथि २४०
आदि पाथी-प्राथि -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्रादरणीय-वि० (सं० ) श्रादर के योग्य, अस्ति) स्थिरता, पूंझी, जमा।
_सम्मान करने के योग्य, मान्य, माननीय । श्रादन-संज्ञा, स्त्री. ( अ० ) स्वभाव, श्रादरना*-सं० कि० दे० (सं० मादर) प्रकृति, अभ्यास, टेव, बान ।
आदर करना, सम्मान करना, सत्कारश्रादम-संज्ञा, पु. (अ.) मनुष्य जाति करना। का सब से प्रथम मनुस्य, जिससे मानव " श्राक पादरै ताहि किन, दुर्लभ या सृष्टि चली, प्रथम प्रजापति, इनकी स्त्री को संग'-दीन का नाम हवा था -- इन्हीं के कारण मनुष्य श्रादर-भाव-संज्ञा, पु० या० (सं० ) सस्कार, आदमी कहलाते हैं-( इबरानी और | सम्मान, प्रतिष्ठा, क़द्र । अरबी मत)।
श्रादर्श-संज्ञा, पु. ( सं० ) दर्पण, शीशा, प्रादमखोर -वि. (अ.) नर-पिशाच, श्राइना, टीका, व्याख्या, अनुकरणीय, वह नर-मांस-भक्षक।
जिसके रूप, गुण श्रादि का अनुकरण किया प्रादमज़ाद-संज्ञा, पु० (अ० भादम+फा- जाय, नमूना, चिन्ह । ज़ाद ) आदम से उत्पन्न , उनकी संतति, | वि० अनुपम, अनुकरणीय, अनुपमेय । मनुष्य, आदमी।
श्रादरस-संज्ञा, पु० दे० (सं० प्रादर्श) श्रादमियत-संज्ञा, स्त्रो० (अ.) मनुष्यत्व नमूना, आदर्श । इंसानियत, सभ्यता, शिष्टता।।
"गौर-स्याम रूप प्रादरस है दरस जाको--- श्रादमी-संज्ञा, पु० ( ० ) पादम की घनानंद"।
संतान, मनुष्य या मानव-जाति ।। श्रादा- संज्ञा, पु० (दे० ) मूल विशेष, विशेष-नौकर, पति, मज़दूर।
अदरक, अद्रक । मु०-श्रादमी बनना (होना)-सभ्यता आदान--संज्ञा, पु. ( सं० ) ग्रहण करना, सीखना, अच्छा व्यवहार सीखना, सभ्य लेना, स्वीकार करना, रोग-लक्षण । होना।
श्रादान-प्रदान-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) लेनाश्रादमी करना-पति बनाना, खसम करना। देना, लेन-देन, त्याग-ग्रहण, परिवर्तन । श्रादमी बनाना-तमीज़ या सभ्यता श्रादाब-संज्ञा, पु. ( अ ) नियम, सिखाना, पढ़ना, सदाचारी एवं शिष्ट बनाना। कायदा, लिहाज़, पान, नमस्कार, सलाम, आदमी कसना- मनुष्य या नौकर की | प्रणाम। परीक्षा करना।
मु०-प्रादाबअर्ज़ है नमस्कार, प्रणाम, श्रादमी रखना-नौकर रखना, सेवक, सलाम । रखना।
श्रादि-वि० (सं० ) प्रथम, पहला, शुरू श्रादमी देखना-भले-बुरे, बड़े-छोटे, का, प्रारम्भ का, बिलकुल, नितांत, मूल, आदमी का विचार करना।।
अग्र, उत्पत्ति-स्थान। श्रादमी परखना (पहिचानना )- संज्ञा, पु. ( सं० ) प्रारम्भ, बुनियाद, मूल मनुष्य के गुण, कर्म, स्वभाव का अनुभव कारण, परमेश्वर । करना, जाँच करना।
अव्य० (सं० ) वगैरह, आदिक, ( यह शब्द श्रादर-संज्ञा, पु. ( सं० पा+१०+ अल)। सूचित करता है कि इसी प्रकार और सम्मान, सत्कार, प्रतिष्ठा, इज्जत, खातिर, समझो) इत्यादि। भास्था।
, संज्ञा, स्त्री० (दे० ) अदरख, अद्रक ।
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