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अंतरात्मा
अंतर्भावित अंतरात्मा-संज्ञा स्त्री० यौ० (सं० अन्तर-+ स्थलों की यात्रा-अन्दर के घर का,
आत्मा ) जीवात्मा, अंतःकरण, ब्रह्म । अंतर्गृह- संज्ञा पु० ( सं० ) भीतरी घर । अंतराय-संज्ञा पु० (सं०) विघ्न, बाधा, अंतर्जानु- वि० ( सं०) हाथों को घुटनों योगि-सिद्धि के १ विघ्न, ज्ञान का बाधक । के बीच में रखे हुए। "हेरि अंतराय को निकाय हरयौ तल तें-- अन्तर्दशा-- यौ० संज्ञा स्त्री० (सं० ) देखो, अभिमन्यु वध
अन्तरदशा-फलित ज्योतिष के मतानुसार अंतराल-संज्ञा पु० (सं० ) घेरा, मंडल, मानव-जीवन में ग्रहों का नियत भोगकाल । घिरा हुआ या श्रावृत स्थान, मध्य, बीच ।। | अन्तर्दशाह-संज्ञा पु० (सं० ) यौ०, मरण अंतरिक्ष-संज्ञा पु. ( सं० ) पृथ्वी और पश्चात १० दिनों के अन्दर होनेवाले सूर्यादि लोकों के मध्य का स्थान, दो ग्रहों | कर्मकांड । या तारों के बीच की शून्य उ (ह, आकाश, | अन्तर्दाह- यौ० संज्ञा स्त्री० (सं० अन्तर+ अधर, शून्य, स्वर्गलोक, तीन प्रकार के दाह ) भीतरी जलन, एक प्रकार का रोग । केतुओं में से एक. वि.-अन्तर्धान, गुप्त, अंतर्धान-संज्ञा पु० (सं० ) लोप, अदर्शन, अप्रगट, लुप्त, ग़ायब, अंतरीक्ष-अंतरिख- छिपाव, तिरोधान, गुप्त, अदृष्ट । वि०अंतरिका-संज्ञा (दै० ), अन्तरिक्ष । अलक्ष, अदृश्य, अंतर्हित, लुप्त, अप्रगट, अंतरित-वि० (सं० ) भीतर किया या छिपा हुआ। रक्खा हुआ, छिपा हुआ, अन्तर्धान, गुप्त, । अन्तनिविष्ट-यौ० वि० (सं०) भीतर बैठा, तिरोहित, आच्छादित, ढका हुआ। हुआ, अंतःकरण में स्थित, मन में जमा अंतरीप-संज्ञा पु० ( सं०) द्वीप, टापू, | हुआ, हृदय में बैठा हुआ। पृथ्वी का वह नुकीली भाग जो सागर में अंतर्राष्टि--संज्ञा, यौ० स्त्री० (सं० अन्तर+ दूर तक चला गया हो, रास।
दृष्टि) अन्तर्ज्ञान, प्रज्ञा, आत्म चिंतन । अँतरौटा-संज्ञा पु. (सं० अन्तर - पट) अंतर्द्वार- संज्ञा, यौ० पु. (सं०, अन्तर+ साड़ी के नीचे पहिनने का वस्त्र, स्त्री० | द्वार ) गुप्तद्वार, खिड़की। अँतरौटी-(सं० अंतरपटी)।
अन्तर्गिरा--संज्ञा स्त्री० (सं०) मन की वाणी अंतर पट--( संज्ञा पु. यौ० सं० ) भीतर के | या आवाज़, भीतरी शब्द । द्वार या कपाट ।
अंतःधि संज्ञा, पु. (सं० यौ०- अन्तर+ अंतर्गत-वि० (सं० अंतर-+ गत ) भीतर बोध ) आत्म ज्ञान, आत्मा की पहिचान, गया हुअा, समाया हुआ, अन्तर्भूत, सम्मि- | आन्तरिक अनुभव, अध्यात्म ज्ञान,मानसिक। लित, भीतरी. गुप्त, अन्तःकरण-स्थित, दिल अंतर्भाव- संज्ञा, पु० यौ० (सं० अंतर् + या हृदय या मन के भीतर का छिपा हुआ भाव )-भीतर समावेश, मध्य में प्राप्ति, रहस्य । अंतर्गति-संज्ञा स्त्री. (सं०) तिरोभाव, बिलीनता, छिपाव, अंतर्गत भीतरी दशा, मानसिक दशा, संचित्त, होना, नाश, अभाव, आंतरिक भाव,प्रयोजन, हृदय, मन ।
मतलब, अभिप्राय, आशय, मंशा, ( वि०अंतर्गतिः- यौ० संज्ञा स्त्री० ( सं० अन्तर+ | अन्तर्भावित, अन्तर्भूत । गति ) मन का भाव, चितवृत्ति, भावना, अंतर्भावना - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) ध्यान,
अभिलाषा, इच्छा, हार्दिक कामना। चिन्ता, सोच-विचार, गुणन-फलान्तर से अन्तर्गृही- संज्ञा यो० स्त्री० (सं० अन्तर+ संख्याओं को सही करना । गृही ) तीर्थस्थान के भीतर पड़नेवाले प्रमुख [ अंतर्भावित-वि० (सं० ) अन्तर्भूत, लुप्त,
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