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हो
हो- संज्ञा, पु० (सं०) एक संबोधन शब्द ऐ. रे. हे । अ० क्रि० (हि०) सत्तार्थक होना क्रिया के काल तथा वर्तमान काल
क
हो
१६०४
में मध्यम पुरुष के बहुवचन का रूप ( श्रव० ), हांवे व्रज ० ) वर्तमान कालिक है के सामान्य भूत का रूप था ।
होई संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० होना ) दिवाली से ८ दिन पूर्व एक पूजन ! अ० क्रि० ( हि० होना ) होगा, है, होइ है ( ० ) । अव्य० (दे०) होगा कोई चिन्ता नहीं । होऊ - प्र० क्रि० दे० ( हि० होना ) होवो, हो, हो जायो ।
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होड संज्ञा, स्त्री० दे० ( स० हार = विवाद ) बाजी बदना, शर्त लगाना, बाज़ी, शर्त, स्पर्धा, एक दूसरे से बढ़ जाने या समान होने का यत्न या उपाय, समानता, बराबरी, हठ, श्राग्रह, जिद, टेक । यौ०:- परस्पर होड़ । यौ० - होड़ाहोड़ा-होड़ होड़ी होड़ावदी संज्ञा स्त्री० (हि० होड़ ) चढ़ाऊपरी, लाग-डॉट शर्त, बाजी, होडा-होड़ी (दे०) ।
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होड़ा-होड़, होड़ा होड़ी - - संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० ( हि० होड़ ) बाजी, चढ़ा- ऊपरी, शर्त, लाग- डाँट, बदावदी ।
होड़ा चक्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ज्योतिष में गणना की एक बीति ।
होता - संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० होना) सम्पन्नता, पास धन होने की दशा, समाई, सामर्थ्य, वित्त, समृद्धि । ० कि० दे० ( हि० होना ) हेमा सूचक होता ।
होतच होतञ्च संज्ञा, ५० द० ( हि० होन - हार ) होनहार होतव्यता
होतव्यता संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० होनहार ) होनहार होनहारी, भवितव्यता । तुलसी जस होतव्यता, तैसी मिलै सहाय । " होता- पंज्ञा, पु० (सं० होतृ ) यज्ञ में
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होना
DARYTER HOA SENA.
स्त्री० - [होत्री । प्र०
श्राहुति देने वाला
क्रि० (हि होना हे० हे० सूत ।
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"
होती - संज्ञा, सी० दे० ( हि० होना) समाई. सम्पन्नता, धन होने का भाव, सामर्थ्य, योग्यता, वित्त । मुहा० (दे०) -होनी दिखाना - सम्पन्नता या घमंड से शान दिखाना, अपव्यय करना। अ० क्रि० हि० होना) हे० हे० भूत० स्त्री० होनहार - वि० ( हि० होना । हारा प्रत्य० ) जो होने को हो या जो होकर हो रहे होने वाला, जो अवश्य होने को हो, उन्नति करने वाला, अच्छे लक्षणों या गुणों वाला, जिसके श्रेष्ठ होने या बढ़ने की आशा हो । "होनहार होइ रहें, मिटे मेदी न मिटाई --राम० । होनहार बिरवान के होत चीकने पात - नीति० । संज्ञा, पु० हि० ) भावी, भवितव्यता होनी वह बात जो श्रवश्यम्भावी हो, जो होने का हो । होना- - स० क्रि० दे० (सं० भवन ) क क्रिया, उपस्थिति मौजूदगी वर्तमानता सूचक क्रिया, अस्तित्व रखना । मुहा ( किसी के) होकर ( हो ) रहना-किसी को अपना कर उसके साथ आश्रय में) रहना किसी का होना किसी के अधिकार में या आज्ञावर्त्ती होना श्राधीन होना, किसी का प्रेमी या प्रेमपात्र होना, धात्मीय, कुटुम्बी या संबंधी होना, रुगा होना। कहीं का होना या रिश्ते में कुछ लगना, हो रहना ( हो जाना ) - कहीं से न लौटना बहुत ठहर या रुक जाना। कहीं से होकर या हुये ) जाना- गुज़रने हुये, मध्य से या बीच से, बीच में ठहरने हुये पहुँचना, जाना. मिलना । हो आना - भेंट करने को जाना. मिल थाना होने पर -- पास धन होने की हालत में संपन्नता या समाई में । एक से दूसरे रूप में थाना रूपान्तर में थाना, दूसरी दशा, स्वरूप या गुण प्राप्त करना ।
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