________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
हितकर-हितकारक १८८८
हिम वाला, नातेदार, सम्बन्धी। अव्य..-लाभ करने वाला, नातेदार, स्नेहो, मित्र, सुहृद, के लिये, प्रसन्नता के लिये, हेतु, वास्ते, सम्बन्धी । “ विपति परे कोऊ हितू , नाह लिये, काज । " पर-हित सरिस पुन्य नहिं काहु कर होय " - वा० । भाई "- रामा०।
हितेच्छु-वि० (सं०) भलाई या हित चाहने हितकर-हितकारक-संज्ञा, पु० (सं०) वाला, शुभाकांक्षी। फायदेमन्द, लाभदायक, लाभकर, स्वास्थ्य- हितैपिता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) खैरखाही, कर, भलाई करने वाला।
भलाई चाहने को वृत्ति, हित की इच्छा : हितकारी- वि० (सं० हितकर ) भलाई हितैषी- वि० (सं० हित्तौपिन् ) खैरखाह, करने या चाहने वाला. लाभदायक स्वास्थ्य- भला चाहने वाला । स्त्री० हितषिणी।। कर । "मातु, पिता, भ्राता, हितकारो"--- हितोना*-० क्रि० दे० (हि. तिाना ) रामा०।
प्रिय या अच्छा लगना, भाना, सुहाना । हितचिंतक--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भलाई हिदायत-संज्ञा, स्त्री. (म.) अधिकारी
चाहने वाला, शुभचिन्तक, हितेच्छु. की शिक्षा, निर्देश, श्रादेश, ताकीद, सूचना ! शुभाकांक्षी, शुभेच्छु।
हिनती-रज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० हीनता ) हितचिंतन --सज्ञा, पु० यौ० (सं०) हित की हीनता. लधुता, छोटाई, नम्रता, नवनसारी।
इच्छा, भलाई की कामना, सुभाकांक्षा। हिनहिनाना---० कि. ( अनु० ) घोड़े हितजनक-वि• यौ० (स०) लाभप्रद । का बोलना, हींसना ( प्रान्ती.)। संज्ञा, हितता-संज्ञा, स्त्री. (सं० हित + ता- स्त्री० हिनहिनाहट ।
प्रत्य० ) भलाई, रखाही। । हिना- संज्ञा, सो० (१०) मेंहदी। हितवना-अ० क्रि० दे० (हि. हिताना) हिनाई--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० होन) हीनता, अच्छा लगना, हिताना।
निबलता। हितवाद-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) हित की हिनाव--संज्ञा, पु० दे० (सं० हीन- श्राव --
हि. प्रत्य० ) हीनता। बात। हितवादी-वि० (सं० हितवादिन् ) हित या
हिफ़ाजत-संज्ञा, स्त्री० (अ०। रक्षा, बचाव भलाई की बात कहने वाला । स्त्री०
खबरदारी. देख-रेख. किपी वस्तु को यों
रखना कि वह किसी प्रकार नष्ट न हो सके । हितवादिनी। हिताई-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हित -- प्राई |
हिब्बा-संज्ञा, पु० द० (अ. हिव्वः ) दाना,
२ दान, हम्बा, हिबा (दे०)। -प्रत्य ) रिश्ता, सम्बन्ध, नाता।
हिब्बा नामा--संज्ञा, पु० यौ० (अ+ फा०) हिताना*--० क्रि० दे० (सं० हित) प्रच्छा दान-पत्र, हिवानामा (दे०)।
या प्यार लगना, सुहाना, हितकारी होना, हिमंचल - संज्ञा, पु. दे. यौ० ( सं० प्रेमयुक्त या अनुकूल होना । स० कि० प्रिय । हिमाचल) हिमालय पर्वत, पार्वती के पिता, लगना । "कैहर बहुत हिताय'-क० वि०। "गिरजहिं पिता हिमंचल जैसे" - स्फु० । हितवाह-वि० (सं० ) हितकारी, मलाई । हिमंत -संज्ञा, पु० दे० (सं० हेमंत्त) एक करने वाला, लाभकारी।
ऋतु हेमंत। . हिताहित-संज्ञा, पु० (सं०) हानि-लाभ, | हिम-संज्ञा, पु. (सं०) तुहिन, पाला, तुषार, भलाई-बुराई, नफा-नुकसान।
बफ़, जाड़ा. शीत, शीत ऋतु, चंदन, हिती, हितु, हित-सज्ञा, पु० दे० (सं० हित) चन्द्रमा, कपूर, मोती, कमल । वि० ---टंढा. हितचिन्तक, गैरवाह, भलाई चाहने या ! शीत, सर्द ।
For Private and Personal Use Only